कोविड मौतों के असली आंकड़े छिपा रही है केरल सरकार, स्थानीय निकायों के आंकड़ों से खुली पोल

केरल सरकार ने कोविड से हुई मौतों के आंकड़ों को बड़े पैमाने पर छिपाया है। लेकिन स्थानीय निकायों और पंचायतों से मिले आंकड़ों ने सरकार की पोल खोल दी है। इसके मुताबिक केरल सरकार ने कोविड मौतों को आधा करके दिखाया है।

फोटो : सोशल मीडिया
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ऐशलिन मैथ्यू

केरल सरकार ने कम से कम 13 हजार मौतों को कोरोना से होने वाली मौतों के सरकारी आंकड़ों में शामिल नहीं किया है। सरकार ने स्थानीय निकायों में दर्ज मौतों के आंकड़ों में इन मौतों को छिपाया है। केरल के स्थानीय निकायों में 10 से 15 जून के बीच 26, 768 कोविड मौतें दर्ज की गई हैं, लेकिन केरल सरकार ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसके मुताबिक 4 जुलाई 2021 तक राज्य में कोविड मौतों की संख्या 13,640 है। यहां ध्यान देने की बात है कि यह आंकड़ा और बड़ा हो सकता है क्योंकि स्थानीय निकायों ने सिर्फ जून तक के आंकड़े ही जारी किए हैं।

बताया जाता है कि केरल के सरकारी आंकड़ों में कम से कम 200 स्थानीय निकायों के आंकड़ों को शामिल ही नहीं किया गया है। केरल में कुल 941 ग्राम पंचायतें, 152 ब्लॉक, 14 जिला पंचायत, 87 म्यूनिसिपैलिटी और 6 कार्पोरेशन हैं।

इस विषय में सबसे पहले मलयाला मनोरमा न्यूजपेपर ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी। नेशनल हेरल्ड के पास जो आंकड़े हैं उसके मुताबिक तिरुवनंतपुरम में 2,859 मौते दर्ज हुई हैं। लेकिन जिले की पंचायतों आदि से हासिल आंकड़ों से पता चलता है कि कोविड से होने वाली मौतें 4,200 से ज्यादा हैं। एक आरटीआई अर्जी के जवाब से पता चला है कि तिरुवनंतरपुरम के सरकारी मेडिकल कॉलेज में 1 से 31 मई 2021 के बीच 3,172 मौतें हुई हैं।

इसी तरह की धांधलिययां अलापुझा जिले में भी सामने आई हैं जहां जिला अस्पताल में 1.480 मौते रिकॉर्ड हुई है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 1017 मौतें दर्ज हैं। सबसे ज्यादा गड़बड़ी वाले आंकड़े मल्लपुरम और कोल्लन जिले से सामने आए हैं। मल्लपुरम में जिले के आंकड़ों के मुताबिक 2.758 लोगों की मौत हुई है जबकि सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ 1049 मौते ही दर्ज की गई हैं। इसी तरह कोल्लम जिले में भी 1709 मौते हुई हैं लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में सिर्फ 922 मौतों का जिक्र है।

इसी प्रकार एर्नाकुलम में भी स्थानीय निकायों के आंकड़े बताते हैं कि कुल 2600 लोगों की मौत कोरोना से हुई लेकिन सरकारी आंकड़े इसे 1314 बताते हैं। वहीं पलक्कड जिले में भी 257 मौतें हुई लेकिन सरकारी आंकड़ों में सिर्फ 1191 मौतें ही दर्ज हैं।

मौतों के आंकड़ों में इसतरह की हेराफेरी और गड़बड़ी का असर इस बात पर भी पड़ेगा कि किसे मुआवजा दिया जाए और किसे नहीं। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री की अगुवाई वाले नेशनल डिसास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी को निर्देश दिया है कि कोविड से मरने वाले लोगों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है कि वे मौतों के सही आंकड़े मुहैया कराएं।

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