हरियाणा के लोगों के साथ टीका-टीका खेलती रही खट्टर सरकार, ग्लोबल टेंडर छलावा साबित, 21 जून के बाद भी भरोसा कम
खट्टर सरकार ने 13 मई को वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर का ऐलान किया, लेकिन 13 दिन बाद 26 मई को एक करोड़ डोज के लिए टेंडर निकला। फिर अंतिम तारीख खत्म होने पर आई एक बोली पर विचार के लिए 15 जून को कैबिनेट बैठक रखी गई। लेकिन उससे पहले एक नई तिथि 21 जून मिल गई।
पूरे देश में जिस समय कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही थी, ऐसे समय में भी हरियाणा की खट्टर सरकार अपनी जिम्मेदारियों से भागती नजर आई। हरियाणा में बीजेपी की खट्टर सरकार लोगों के जीवन के साथ मजाक करती रही। अप्रैल और मई में जब हर तरफ लाशें थीं, पूरे प्रदेश में मातम पसरा था, तो ऐसे वक्त में भी खट्टर सरकार जीवन रक्षक वैक्सीन के नाम पर लोगों के साथ टीका-टीका का खेल खेलती रही, जो आज भी बदस्तूर जारी है।
कोरोना वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर निकालने का ऐलान, उसका नतीजा ढाक के तीन पात आने और अब 21 जून से नए सपने दिखाने तक तकरीबन सवा महीने निकल गए। इस बीच लोगों की वैक्सीन लगवाने की उम्मीदें गर्त में समाती रहीं। हालात ऐसे बने कि अप्रैल के बाद मई में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ने की जगह घटती चली गई। आशंका यही है कि जून भी यूं ही गुजर जाएगा।
हरियाणा सरकार के एक्शन से इस बात की तस्दीक होती है कि टीकाकरण को गति देने के नाम पर कैसे वह वक्त गुजारती रही। 18 साल से अधिक के लोगों को 1 मई से वैक्सीन लगाने का उसका ऐलान जब फ्लॉप हो गया तो 13 मई को उसने ग्लोबल टेंडर निकालने की घोषणा कर दी। इस घोषणा के बाद 13 दिन तो उसने यूं ही गुजार दिए और 26 मई को एक करोड़ डोज सप्लाई करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला।
फिर 4 जून को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का बयान आया कि ग्लोबल टेंडर के लिए कोई कंपनी नहीं आई है। लिहाजा, अब हम दोबारा टेंडर निकालेंगे। इसके अगले दिन ही 5 जून को सरकार का बयान आया कि हरियाणा चिकित्सा सेवा निगम (एचएमएससीएल) के माध्यम से जारी निविदा हालांकि 4 जून को बंद हो गई और कोई बोली प्राप्त नहीं हुई, लेकिन माल्टा स्थित एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी फार्मा रेगुलेटरी सर्विसेज लिमिटेड ने स्पुतनिक-वी वैक्सीन की 60 मिलियन खुराक सप्लाई करने के लिए रुचि दिखाई है।
सरकार ने कहा कि हालांकि निविदा की देय तिथि समाप्त होने के बाद इस फर्म से प्रस्ताव आया है, लेकिन फिर भी इसकी सावधानीपूर्वक जांच की जा रही है। 6 जून को स्वास्थ्य मंत्री ने इसकी तस्दीक करते हुए कहा कि स्पुतनिक वैक्सीन की 60 मिलियन डोज का प्रस्ताव राज्य सरकार को प्राप्त हुआ है। हम इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल की बैठक में प्रस्तुत करेंगे, जो 15 जून को होनी थी। लेकिन अब प्रधानमंत्री के नए ऐलान के बाद इसमें भी ट्विस्ट आ गया और एक नई तिथि 21 जून मिल गई है।
मतलब 13 मई से 21 जून तक तकरीबन सवा महीना तो यूं ही गुजर गया। नई तारीख मिलने के बाद भी क्या होगा किसी को कुछ भी नहीं पता है और टीकाकरण की स्पीड बढ़ाने के सभी दावे धरे रह गए हैं। खुद प्रदेश के मुखिया के मुंह से 30 मई को गलती से उजागर हो गई सरकार की वैक्सीनेशन रणनीति से उसकी असलियत सामने आ गई है। संदर्भ केजरीवाल का था, लेकिन पोल हरियाणा सरकार की खुल गई।
दरअसल मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि "ड्रामा के लिए (केजरीवाल ने) क्या किया। कल से सारे वैक्सीनेशन सेंटर बंद। क्यों बंद? क्योंकि टीके नहीं मिले। हम भी 2 लाख 1 दिन में लगाकर स्टॉक खत्म कर सकते हैं। हमें पता है कि कितना स्टॉक मिल रहा है। हम 50-60 हजार रोज करेंगे तो काम हमारा चलता रहेगा। यह सूझबूझ अरविंद केजरीवाल को रखनी चाहिए।"
जून के पहले हफ्ते की राज्य की तस्वीर सीएम के इसी खुलासे से मेल खाती है। 7 जून को महज 37508 लोगों को वैक्सीन का पहला डोज दिया गया, जबकि दूसरा डोज 4911 लोगों को दिया गया। इसमें कुछ जिलों की तस्वीर बेहद दयनीय थी। हिसार में महज 228 लोगों को पहला टीका लगाया गया, जबकि नूंह में 344, रोहतक में 515 और पलवल में 537 को पहली डोज नसीब हुई। दूसरे डोज में यह तस्वीर और बदतर हो गई। नूंह में महज 6 लोगों को दूसरा डोज मिल पाया, जबकि चरखीदादरी में 20, भिवानी में 34 और फतेहाबाद में 54 लोगों को ही दूसरा डोज मिला।
6 जून को तो यह स्थिति और खराब थी। महज 21122 लोगों को ही पहला टीका मिला, जबकि 1204 लोगों को दूसरा डोज नसीब हुआ। इसमें प्रदेश की प्रशासनिक राजधानी पंचकूला का कोई रिकार्ड ही नहीं है। यमुना नगर में 75, सिरसा में 117, पलवल में 109 और नूंह में 123 लोगों को पहला डोज मिला। वहीं, दूसरा डोज चंद लोगों को ही मिल पाया।। सिरसा और कैथल में एक भी व्यक्ति को वैक्सीन का दूसरा डोज नहीं मिला, जबकि हिसार और करनाल में महज एक-एक आदमी को ही मिल पाया। फतेहाबाद में दो लोगों को, जबकि महेंद्रगढ़ और नूंह में सिर्फ तीन-तीन लोगों को ही दूसरा डोज मिला।
इससे पहले 5 जून को 40328 लोगों को पहला डोज मिला, जबकि 4213 को दूसरा टीका लगा। इसमें नूंह में दो को और चरखीदादरी में महज तीन लोगों को ही दूसरा डोज मिल पाया।फतेहाबाद में 14, रेवाड़ी में 44, यमुनानगर में 45 और झज्जर में 47 लोगों को ही दूसरी डोज मिली। वैक्सीन के सेकेंड डोज की स्थिति बेहद बदतर रही। इसी तरह 4 जून को नूंह में 7, फतेहाबाद में 15, जींद में 19, रेवाड़ी में 21 और भिवानी में 33 लोगों को ही दूसरी डोज नसीब हुई।
वहीं, 3 जून को फतेहाबाद में 10, नूंह में 15, जींद में 17, महेंद्रगढ़ में 29 और रेवाड़ी में 36 लोगों को दूसरी डोज मिली। 2 जून को नूंह में 4, फतेहाबाद में 7 और रेवाड़ी में 15 लोगों को ही दूसरी डोज मिल पाई। वहीं, 1 जून को नूंह में किसी भी व्यक्ति को दूसरा डोज नहीं मिला, जबकि फतेहाबाद में 7, जींद में 20 और रेवाड़ी में 25 लोगों को वैक्सीन की सेकेंड डोज मिली।
कुल आंकड़ों की बात करें तो हरियाणा में 31 मार्च तक 15,91599 लोगों का वैक्सीनेशन हुआ। एक महीने बाद 30 अप्रैल को यह आंकड़ा 38,13274 था। मतलब अप्रैल महीने में करीब 23 लाख लोगों को वैक्सीन लग पाई। वहीं, 31 मई को यह आंकड़ा 57,12100 था। प्रदेश में मई में, कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता और सरकार के दावे के मुताबिक टीकाकरण की रफ्तार जब बढ़नी चाहिए थी, तब अप्रैल के मुकाबले करीब पांच लाख कम होकर महज 18 लाख लोगों को ही वैक्सीन लगी।
इन आंकड़ों में भी खेल है। सरकार कुल आंकड़े पहली और दूसरी डोज को मिलाकर जारी कर रही है, जिससे संख्या ज्यादा लगे। 18 से 44 वर्ष के बीच के कितने लोगों को वैक्सीन लगी यह तो वह बता ही नहीं रही है। अब नई मिली तारीख 21 जून के बाद क्या होगा यह किसी को नहीं पता है। हां, यह जरूर है कि पूरी तरह वैक्सीनेट होने वाली राज्य की 1.76 करोड़ की आबादी सरकार के रवैये से बेहद दर्द में है।
डबवाली से कांग्रेस के युवा विधायक अमित सिहाग का कहना है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार न बढ़ा पाना पूरी तरह से मोदी सरकार की विफलता है। जब सरकार नाकाम हो गई तो उसने गोलपोस्ट बदलते हुए अपनी नाकामी राज्यों पर डालने की कोशिश की। अमित सिहाग का कहना है कि हरियाणा सरकार की नाकामी तो केंद्र की ही नाकामी से जुड़ी है। अब नई मिली तारीख 21 जून के बाद भी हम सिर्फ उम्मीद ही कर सकते हैं।
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Published: 09 Jun 2021, 10:15 PM