किसान क्रांति यात्रा: दिल्ली-यूपी बार्डर पर बड़ी तादाद में पहुंचे किसान, लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल

किसानों को दिल्ली में आने से रोकने के लिए पुलिस हर संभव कोशिश कर रही है। जब किसान दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए अड़े रहे तो पुलिस ने पानी की बौछार कर दी। जब इससे बात नहीं बनी तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया।

फोटो: विपिन 
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नवजीवन डेस्क

महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर देश की राजधानी दिल्ली की चौखट पर किसान और प्रशासन आमने-सामने हैं। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले लाखों किसान कई दिनों की यात्रा के बाद दिल्ली बॉर्डर तक पहुंचे। किसान दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर प्रदर्शन करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें दिल्ली की सीमा पर रोक दिया गया है। पुलिस का कहना है कि किसानों ने प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली है, जबकि किसानों का कहना है कि उन्हें क्यों रोका जा रहा है, विरोध प्रदर्शन करना उनका अधिकार है।

दिल्ली की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे लाखों की तादाद में किसानों के ऊपर मंगलवार को लाठीचार्ज, हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसके बाद किसान यूनियन के प्रतिनिधि और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बीच किसानों की मांगों को लेकर व्यापक चर्चा हुई।

रैली में प्रदर्शन कर रहे किसानों की मुख्य मांगें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाना है। इसके तहत पूर्ण कर्जमाफी, बिजली के दरों को कम करना, 60 साल के ऊपर के सभी किसानों के लिए 5000 रुपये पेंशन का प्रावधान जैसी कई मांगें शामिल हैं। साथ ही गन्ने का बकाया भुगतान, जिन किसानों ने खुदकुशी की है उनके परिजनों को नौकरी और परिवार को पुनर्वास दिलाने की मांग उठाई गई है।

किसानों की मांगें:

  • 60 साल की आयु के बाद किसानों को पेंशन देने की मांग।
  • पीएम फसल बीमा योजना में बदलाव करने की मांग।
  • गन्ना की कीमतों के जल्द भुगतान की मांग।
  • किसान कर्जमाफी की मांग।
  • सिंचाई के लिए बिजली मुफ्त में देने की भी मांग।
  • किसान क्रेडिट कार्ड पर ब्याज मुक्त लोन।
  • आवारा पशुओं से फसल का बचाव।
  • सभी फसलों की पूरी तरह खरीद की मांग।
  • इसके अलावा किसान स्वामीनाथन कमिटी की रिपोर्ट को लागू करने की मांग।
  • गन्ने की कीमतों के भुगतान में देरी पर ब्याज देने की मांग।

सरकार द्वारा अपनी मांगें पूरी नहीं होने के चलते किसान नाराज हैं। इनमें से ज्यादातर किसान भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्य हैं। अपनी मांगें मनवाने के लिए किसानों ने अपनी ‘किसान क्रांति यात्रा’ की शुरुआत 23 सितंबर को हरिद्वार स्थित बाबा टिकैत घाट से की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने देर रात किसान नेताओं से बात कर उन्हें मनाने का प्रयास किया। हालांकि यह वार्ता विफल रही और किसान दिल्ली में प्रदर्शन के अपने फैसले पर डटे रहे। केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह भी उन्हें मनाने में विफल रहे।

किसानों को दिल्ली में आने से रोकने के लिए पुलिस हर संभव कोशिश कर रही है। जब किसान दिल्ली में प्रदर्शन करने के लिए अड़े रहे तो पुलिस ने पानी की बौछारों का प्रयोग किया। जब इससे बात नहीं बनी तो पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई में कई लोग घायल हो गए जिनमें एक प्रदर्शनकारी बेहोश हो गया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिसकर्मियों ने लाठीचार्ज किया।

इसी दौरान किसानों का प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर जाकर मिला। बैठक के बाद किसान नेताओं और उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने कहा कि कुछ मांगों पर सहमति बनी है। किसानों के पास जाकर इसकी घोषणा की जाएगी।

किसानों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन के प्रयोग की कई नेताओं ने कड़ी निंदा की है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा,“विश्व अहिंसा दिवस पर बीजेपी का दो-वर्षीय गांधी जयंती समारोह शांतिपूर्वक दिल्ली आ रहे किसानों की बर्बर पिटाई से शुरू हुआ। अब किसान देश की राजधानी आकर अपना दर्द भी नहीं सुना सकते हैं।” कांग्रेस नेता रणदीप सूरजेवाला ने कहा, “महात्मा गांधी की जयंती पर मोदी सरकार ने दिखाया है कि यह भारत में स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश सरकार से अलग नहीं है। तब की ब्रिटिश सरकार ने किसानों का शोषण किया और आज मोदी सरकार किसानों में आंसू गैस के गोले फायर कर रही है।”

जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा, “राजघाट जा रहे निहत्थे किसानों से बुरी तरह बर्ताव किया गया। उन पर लाठीचार्ज किया गया, निशाना लगाकर आंसू गैस के गोले चलाए गए। हम इसकी निंदा करते हैं।” दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से क्यों रोका जा रहा है। यह गलत है। दिल्ली सबकी है। उन्हें दिल्ली में आने देना चाहिए। हम उनकी मांगों का समर्थन करते हैं।” वहीं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा, “बीजेपी की सरकार ने किसानों से जो वायदे किये उसे पूरा नहीं किया. यही वजह है कि ये सब हो रहा है। हम किसानों का समर्थन करते हैं।”

सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा है कि आजादी के बाद से अब तक किसानों में इतना असंतोष नहीं देखा गया है। इससे एक बार फिर साबित होता है कि मोदी सरकार किसान विरोधी है। स्वाभिमानी सेतकारी संगठन नेता आर शेट्टी ने पुलिस की कार्रवाई पर कहा, “किसान आतंकी और नक्सली नहीं है। वे अपनी मांगों को लेकर दिल्ली आए थे। शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मंदसौर में किसानों की हत्या की थी वो चुनाव में हारेगी। अगर अन्याय होगा तो मोदी दिल्ली में हारेंगे।”

इससे पहले हजारों किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंचे। किसानों के दिल्ली में प्रवेश को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। पूरे यमुनापार में धारा-144 लगा दी गई और यूपी से दिल्ली में प्रवेश करने के सभी रास्तों को बंद कर दिया गया। गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया गया। दिल्ली में दाखिल होने वाले हर रास्ते को सील कर दिया गया। दिल्ली से कौशांबी जाने वाले रूट में भी बदलाव किया गया।

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Published: 02 Oct 2018, 4:35 PM