श्रमिक स्पेशल का हाल- भूख और प्यास से ट्रेनों में दम तोड़ रहे मजदूर, 2 दिन का रास्ता, 9 दिन में पहुंच रहीं ट्रेनें

प्रवासी मजदूरों के लिए रोजाना सैकड़ों श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, लेकिन कई ट्रेने ऐसी हैं जो बहुत देर से अपनी मंजिल तक पहुंच रही हैं। हालत ये है कि 2 दिन का सफर 9 दिन में पूरा हो रहा है। रास्ते में भूख, प्यास और गर्मी से मजदूर परेशान है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

प्रवासी मजदूरों के लिए रोजाना सैकड़ों श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, लेकिन कई ट्रेने ऐसी हैं जो बहुत देर से अपनी मंजिल तक पहुंच रही हैं। हालत ये है कि 2 दिन का सफर 9 दिन में पूरा हो रहा है। रास्ते में भूख, प्यास और गर्मी से मजदूर परेशान है। कई लोगों ने तो ट्रेनों में ही दम तोड़ दिया। इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का कोई माई-बाप नहीं है। आलम ये हैकि ट्रेनें रास्ता भटक जा रही हैं और कहीं की कहीं पहुंच जा रही हैं। ट्रनों में न तो खाने की व्यवस्था है न पानी की। लोग कोरोना से तो नहीं लेकिन भूख, प्यास और गर्मी के कारण दम तोड़ने लगे हैं। इनमें मासूम भी, नौजवान भी और उम्रदराज लोग भी हैं। कई घर तो ईद के मौके पर मातम में डूब गए।

ऐसी ही एक दिल तोड़ने वाली घटना महाराष्ट्र से मजदूरों को लेकर आ रही ट्रेन में घटी। मजदूर को आरा में लोगों ने जब उठाना चाहा तो पाया कि उसकी मौत हो चुकी है। उसकी पहचान नबी हसन के पुत्र निसार खान उम्र लगभग 44 वर्ष के रूप में की गई। वह गया का रहने वाला था। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लेट होने का सिलसिला कुछ ऐसा है कि गुजरात के सूरत से 16 मई को सीवान के लिए निकलीं दो ट्रेनें क्रमश: उड़ीसा के राउरकेला और बेंगलुरु पहुंच गईं।


वाराणसी रेल मंडल की खोजबीन के बाद ट्रेन का पता चला कि जिस ट्रेन को 18 मई को सिवान पहुंचना था, वह 9 दिन बाद सोमवार 25 मई को पहुंची। ट्रेन को गोरखपुर के रास्ते सीवान आना था, लेकिन छपरा होकर सोमवार की अहले सुबह 2.22 बजे आई। जयपुर-पटना-भागलपुर 04875 श्रमिक स्पेशल ट्रेन रविवार की रात पटना की बजाए गया जंक्शन पहुंच गई।

पश्चिम चंपारण जिला के चनपटिया थाना के तुलाराम घाट निवासी मो पिंटू शनिवार को दिल्ली से पटना के लिए चले। सोमवार सुबह दानापुर से मुजफ्फरपुर जंक्शन पहुंचे। मुजफ्फरपुर में बेतिया की ट्रेन में चढ़ने के दौरान इरशाद की मौत हो गई। पिंटू ने बताया कि उमस भरी गर्मी और पेट में अन्न का दाना नहीं होने के कारण उन लोगों ने अपने लाड़ले को खो दिया।

महाराष्ट्र के बांद्रा टर्मिनल से 21 मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से घर लौट रहे कटिहार के 55 वर्षीय मो अनवर की सोमवार की शाम बरौनी जंक्शन पर मौत हो गई। अनवर बरौनी ने 10 रुपये का सत्तू खरीद कर खाया और कर्मनाशा से कटिहार जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन पर सवार होने से पहले वह पानी लेने उतरा था, इसी बीच उसकी मौत हो गई।


सूरत से श्रमिक स्पेशल से दोपहर 1 बजे सासाराम पहुंची महिला ने पति से कहा भूख लगी है। स्टेशन पर ही पति के सामने नाश्ता किया और उसके बाद कांपने लगी। पति की गोद में ही उसने दम तोड़ दिया। वह ओबरा प्रखंड के गौरी गांव की रहने वाली थी। महिला की मौत होते ही सासाराम स्टेशन पर कई लोग इधर-उधर भागने लगे। पति ने कहा मैं नि:सहाय क्या करता?

महाराष्ट्र से आ रहे एक श्रमिक की ट्रेन में हालत खराब होने के बाद उसकी मौत हो गई। वह मोतिहारी जिले के कुंडवा-चैनपुर का निवासी बताया जा रहा है। दरअसल, उसकी तबियत खराब होने के बाद उसे ट्रेन से उतारकर जहानाबाद सदर अस्पताल लाया गया। वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

राजकोट-भागलपुर श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गया में सोमवार को 8 माह के बच्चे के शव को उतारा गया। परिवार मुम्बई से सीतामढ़ी जा रहा था। आगरा में बच्चे का इलाज हुआ बच्चे की कानपुर के पास मौत हो गई। दंपती देवेश पंडित सीतामढ़ी के खजूरी सैदपुर थाना क्षेत्र के सोनपुर गांव का रहने वाले हैं।

अहमदाबाद से जंक्शन मुजफ्फरपुर पहुंची स्पेशल ट्रेन में कटिहार की रहने वाली 23 साल की अलविना खातून मौत हो गई। वह अपने जीजा इस्लाम खान के साथ अहमदाबाद से घर लौट रही थी। जीजा इस्लाम खान का रो-रो कर बुरा हाल था। अलविना विक्षिप्त थी। उसका इलाज चल रहा था।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia