लखीमपुर हिंसा: किसानों की हत्या मामले में 8 और आरोपियों को मिली जमानत, पहले से बाहर है आशीष मिश्रा

सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 8 हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत दी थी और उन्हें जेल से रिहा होने के एक हफ्ते के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान आशीष उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रह सकते।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में किसानों की हत्या के मामले में 8 और आरोपियों को अंतरिम जमानत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन्हें जमानत दे दी है। इसके साथ ही इस मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा उर्फ ​​टेनी के बेटे आशीष मिश्रा समेत सभी 13 आरोपी अब जमानत पर हैं। आशीष मिश्रा को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के 25 जनवरी के आदेश पर विचार करते हुए लखनऊ की एक बेंच ने मंगलवार को यह आदेश पारित किया।

न्यायमूर्ति राजेश कुमार सिंह चौहान की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 20 मार्च निर्धारित की है। जिन आरोपियों को इस मामले में अंतरिम जमानत मिली है, उनमें अंकित दास, नंदन सिंह बिष्ट, लतीफ उर्फ ​​काले, सत्यम त्रिपाठी उर्फ ​​सत्य प्रकाश त्रिपाठी, शेखर भारती, आशीष पांडे, रिंकू राणा और सुमित जायसवाल शामिल हैं। पीठ ने सभी आरोपियों पर वही शर्तें लगाईं जो आशीष मिश्रा को जमानत देने के आदेश में थी।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 8 हफ्ते के लिए अंतरिम जमानत दी थी और उन्हें जेल से रिहा होने के एक हफ्ते के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा था कि अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान आशीष उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रह सकते।

अपने आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा कि आशीष मिश्रा, उनके परिवार या समर्थकों द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से गवाहों को प्रभावित करने या धमकाने का कोई भी प्रयास किया गया तो अंतरिम जमानत रद्द हो जाएगी।


ये है पूरा मामला

3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में आठ लोग मारे गए थे, जहां उस समय हिंसा भड़क उठी थी, जब किसान तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके में दौरे का विरोध कर रहे थे।

मामले में दर्ज कराई गई एफआईआर के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया था, जिसमें कथित तौर पर आशीष मिश्रा बैठे थे। इस घटना के बाद एसयूवी के चालक और बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की कथित रूप से गुस्साए किसानों ने हत्या कर दी थी। हिंसा में एक पत्रकार की भी जान चली गई थी।

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