संवैधानिक पद के अनुरूप नहीं है महाराष्ट्र के राज्यपाल की भाषा, शरद पवार ने कोश्यारी के खिलाफ पीएम को लिखा पत्र

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हाल में सीएम उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र में राज्य में मंदिरों को नहीं खोले जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि मुझे आश्चर्य है कि आपको मंदिर नहीं खोलने के लिए कोई दिव्य प्रेम प्राप्त हो रहा है या फिर आप धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ओर से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे अपने पत्र में जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया है, उससे वह हैरान हैं। महाराष्ट्र में राज्यपाल कोश्यारी और मुख्यमंत्री ठाकरे के बीच वाक युद्ध छिड़ा हुआ है। यह बवाल धार्मिक स्थानों को फिर से खोलने को लेकर शुरू हुआ, जिस पर ठाकरे और राज्यपाल कोश्यारी आमने-सामने हैं।

दरअसल इसकी शुरूआत उस चिठ्ठी से हुई, जो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखी थी, जिस पर ठाकरे ने राज्यपाल को पलटकर जवाब दिया था। अब महा विकास अघाड़ी के घटक दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने इस मामले पर सीधे प्रधानमंत्री को ही चिठ्ठी लिख डाली है, जिसमें उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे का समर्थन किया है।

शरद पवार ने पीएम मोदी को पत्र में लिखा कि राज्यपाल का अपना व्यक्तिगत मत हो सकता है, लेकिन एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपनी भाषा में शब्दों के चयन पर ध्यान देना चाहिए। पवार ने पत्र में कहा, "मैं इस बात से सहमत हूं कि राज्यपाल इस मुद्दे पर अपने स्वतंत्र विचार और राय रख सकते हैं। मैं राज्यपाल के अपना मत मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की भी सराहना करता हूं, लेकिन राज्यपाल के पत्र और उस तरह की भाषा को देखकर मैं हैरान हूं।"

राज्यपाल के पत्र में सेक्युलर शब्द का जिस तरह इस्तेमाल किया गया है उसे लेकर शरद पवार ने कहा कि आपने देखा होगा कि किस तरह से असंयमित भाषा का प्रयोग किया गया है। दुर्भाग्य से राज्यपाल का पत्र किसी राजनीतिक पार्टी के नेता का पत्र लग रहा है। उन्होंने कहा, "मैं इस बात में विश्वास करता हूं कि लोकतंत्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री में स्वतंत्र विचारों का आदान-प्रदान जरूरी है, लेकिन इसकी भाषा संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों के पद की गरिमा के अनुरूप होनी चाहिए।"

पवार ने आगे लिखा कि उन्होंने इस बारे में राज्यपाल और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात नहीं की है, लेकिन वे चाहते हैं कि माननीय राज्यपाल की ओर से संवैधानिक पदों के क्षरण किए जाने को लेकर अपना दुख आपसे और जनता से साझा करूं।

बता दें कि महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने हाल ही में सीएम ठाकरे को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री से धार्मिक स्थलों को फिर से खोलने का आग्रह किया। राज्यपाल ने पत्र में कहा कि एक जून से राज्य में धार्मिक स्थलों को खोलने का एलान किया गया था, लेकिन चार महीने बीत चुके हैं, इस दिशा में कोई भी कदम नहीं उठाया गया है।

राज्यपाल ने आगे कहा कि यह विडंबना है कि सरकार ने एक तरफ बार और रेस्तरां को खोल दिया है, लेकिन दूसरी तरफ मंदिर जैसे धार्मिक स्थानों को नहीं खोला गया। आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं। आपने भगवान राम के लिए सार्वजनिक रूप से अपनी भक्तिव्यक्त की है। कोश्यारी ने आगे लिखा कि मुझे आश्चर्य है कि आपको मंदिरों को नहीं खोलने के लिए कोई दिव्य प्रेम प्राप्त हो रहा है या फिर आप धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं। यह एक ऐसा शब्द है, जिससे आप नफरत करते हैं।

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की चिट्ठी पर पलटवार किया है। संजय राउत ने कहा कि मंदिरों की बार के साथ तुलना करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि महाराष्ट्र में कोरोना का खतरा पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। जब प्रधानमंत्री भी यहां की स्थिति से बहुत चिंतित हैं, तो राज्यपाल को भी इसके बारे में सोचना चाहिए।

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