लखीमपुर में शहीद किसानों को अंतिम अरदास में दी गई श्रद्धांजलि, प्रियंका भी पहुंचीं, दोषियों को सजा देने की गूंजी मांग

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित अंतिम अरदास में मंच पर दीवान हाल सजाया गया था और दिवंगत किसानों की आत्मा की शांति के लिए पाठ और प्रार्थना की गई। लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिजन भी इस अंतिम अरदास में मौजूद रहे।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में हुई हिंसा के दौरान मारे गए किसानों की आत्मा की शांति के लिए आज संयुक्त किसान मोर्चा ने अंतिम अरदास (श्रद्घांजलि सभा) कार्यक्रम का आयोजन किया। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी अरदास में शामिल होने के लिए लखनऊ से वहां पहुंचीं। प्रियंका गांधी मंच के सामने नीचे ही बैठकर किसानों की समस्या सुनती नजर आईं। राष्ट्रीय लोकदल के अयक्ष जयंत चौधरी भी किसानों की आत्मा की शांति के लिए अंतिम अरदास कार्यक्रम में शामिल हुए।

किसान नेताओं ने श्रद्धांजलि सभा के लिए करीब 30 एकड़ इलाके में इंतजाम किये थे। यह कार्यक्रम स्थल लखीमपुर हिंंसा के घटनास्थल से एक किलोमीटर की दूरी पर है। मंगलवार की सुबह कड़ी सुरक्षा में किसानों की अंतिम अरदास शुरू हुई। हजारों की संख्या में किसानों का आना भी शुरू हो गया। संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित अंतिम अरदास में मंच पर दीवान हाल सजाया गया था और दिवंगत किसानों की आत्मा की शांति के लिए पाठ और प्रार्थना की गई। लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों के परिजन भी इस अंतिम अरदास में मौजूद रहे।

लखीमपुर में शहीद किसानों को अंतिम अरदास में दी गई श्रद्धांजलि, प्रियंका भी पहुंचीं, दोषियों को सजा देने की गूंजी मांग

तिकुनिया में आयोजित इस अंतिम अरदास कार्यक्रम का संचालन संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी डा़ दर्शनपाल सिंह ने किया। एक तरफ जहां किसान नेता उस घटना पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर अटूट लंगर का आयोजन भी चल रहा था। मंच से किसान नेताओं ने एक बार फिर सरकार को आगाह किया कि तीन अक्टूबर को हुई घटना दुखद है और इसके सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए बिना संयुक्त किसान मोर्चा मानने वाला नहीं है।

वहीं, शहीद किसानों के अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए लखीमपुर खीरी आने वाले किसानों को जगह-जगह रोके जाने की भी खबर है। इसको लेकर किसान आक्रोशित भी दिखे। मंच से बार-बार अनाउंस किया जा रहा था कि प्रशासन उन्हें परेशान न करे। इस कार्यक्रम में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के तमाम जिलों से किसान शामिल होने पहुंचे।

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