अमेरिकी अदालत में अब पेश होना ही होगा गौतम अडानी को! एसईसी ने मोदी सरकार के जरिए गुजरात कोर्ट से तामील कराया समन
अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस के आरोप पत्र के मुताबिक, अडानी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए थे। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी आरोप अडानी पर लगाया गया था।

गौतम अडानी को अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) ने अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी मामले में समन भेजा है। इस समन को केंद्रीय कानून मंत्रालय ने 25 फरवरी को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया है, ताकि इसे गौतम अडानी के पते पर पहुंचाया जा सके।
अडानी पर एक प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वत देने के आरोप लगे हैं। इसी मामले को लेकर यह समन भेजा गया है।
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, ये समन 1965 की हेग संधि के तहत भेजा गया है। संधि में किसी भी मामले से जुड़े देश एक-दूसरे के नागरिकों को कानूनी दस्तावेज सौंपने में सहायता के लिए सीधे अनुरोध कर सकते हैं। गौरतलब है कि, पिछले साल अमेरिका में अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे थे।
इस मामले पर आपराधिक मामलों के वकील अर्शदीप खुराना ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "ऐसा लगता है कि यह समन न्यूयॉर्क की एक अदालत में पेश होने के लिए है। यदि यह समन भारतीय अदालत के माध्यम से भेजा जाता है, तो बचाव पक्ष को पेश होना पड़ेगा।"
वहीं एनएम लॉ चैंबर्स के संस्थापक और वकील मलक भट्ट ने कहा कि इस सम्मन से अडानी के लिए प्रत्यर्पण का खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, "प्रत्यर्पण कार्यवाही केवल तभी सामने आती है जब अमेरिकी अदालत गिरफ्तारी का वारंट जारी करती है।"
अमेरिकी अटॉर्नी ऑफिस के आरोप पत्र के मुताबिक, अडानी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए थे। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वत देने का भी आरोप अडानी पर लगाया गया था।
इसी मामले में, एसईसी ने न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले में संघीय अभियोजकों के साथ मिलकर गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की है। दोनों पर भारतीय सरकारी अधिकारियों को ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारी रिश्वत देने का आरोप है। कथित तौर पर इन अनुबंधों से अडानी ग्रीन और सौर ऊर्जा ऑपरेटर एज़्योर पावर को फ़ायदा हुआ।
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