जहांगीरपुरी: फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पुलिस पर उठाए गंभीर सवाल, घटनास्थल पर दो चक्कर पहले ही लगा चुकी थी शोभायात्रा

लेफ्ट पार्टियों की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जहांगीरपुरी इलाके का दौरा करने के बाद पूरे मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। साथ ही पूरी घटना के पीछे एक सोची-समझी साजिश और ट्रेंड की तरफ इशारा किया है।

फोटो : विपिन
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नवजीवन डेस्क

  • बजरंग दल ने किया था शोभायात्रा का आयोजन

  • स्थानीय नहीं, बाहर के लोग थे जुलूस में शामिल

  • जुलूस में शामिल लोगों के पास पिस्तौल समेत थे दूसरे हथियार

  • सी ब्लॉक में दोपहर से दो बार पहले ही चक्कर लगा चुकी थी शोभा यात्रा

  • तीसरी बार ऐन इफ्तार के वक्त फिर सी ब्लॉक पहुंचा था जुलूस

  • अजान के वक्त मस्जिद के सामने बजाया डीजे

  • नमाज के दौरान लगाए गए भड़काऊ नारे

  • अनुमति न होने पर भी पुलिस की दो जीप शामिल थीं जुलूस में

    उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में शनिवार (16 अप्रैल) को हुई सांप्रदायिक हिंसा संघ परिवार से जुड़े संगठनों के उस एजेंडा के तहत हुई है जिसमें धार्मिक आयोजनों और त्योहारों को सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने और हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दिल्ली में हुई घटना को हाल के दिनों में अन्य जगहों पर हुई घटनाओं से जोडकर देखा जाना चाहिए। यह निष्कर्ष है लेफ्ट पार्टियों द्वारा तैयार की गई फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट का। इस रिपोर्ट को सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई (माले) और फॉर्वर्ड ब्लॉक ने तैयार किया है।

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि हनुमान जयंती के मौके पर 1500-200 लोगों का समूह हाथों में शस्त्र लेकर तेज आवाज में डीजे बजाते हुए जहांगीरपुरी की सड़कों पर निकला। हालांकि इस समूह के पास इस शोभायात्रा को निकालने की अनुमति नहीं थी। यह समूह 16 अप्रैल को दोपहर से ही अलग-अलग हिस्सों में भड़काऊ नारे लगाते हुए घूम रहा था।

इस जुलूस को देखने वालों का कहना है कि इस समूह में कुछ लोगों के पास पिस्तौल भी थे और जिसका वे प्रदर्शन भी कर रहे थे। कई न्यूज चैनलों पर दिखाए गए वीडियो में इस तथ्य की पुष्टि भी होती है। ये लोग आक्रामक नारे लगा रहे थे। बताया गया कि इस जुलूस का आयोजन स्थानीय लोगों ने नहीं किया था बल्कि इसे बजरंग दल की युवा शाखा ने आयोजित किया था जिसमें अधिकतर प्रतिभागी दूसरे क्षेत्रों से आए थे। जुलूस के दौरान पुलिस की दो जीप भी थीं। एक जुलूस के आगे और एक जुलूस के पीछे। लेकिन दोनों जीपों में सिर्फ दो ही पुलिस वाले थे।

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि यह जुलूस पहले ही जहांगीरपुरी के सी ब्लॉक के दो चक्कर लगा चुका था। सी ब्लॉक में अधिकतर बांग्ला भाषी मुस्लिमों के घर हैं। जब शाम को तीसरी बार यह जुलूस सी ब्लॉक में पहुंचा तो बवाल हुआ।


रिपोर्ट में कहा गया है,”जैसा कि बीजेपी के कुछ नेता आरोप लगा रहे हैं कि शोभा यात्रा पर हमले की साजिश पहले से मुस्लिमों ने कर रखी थी तो इस यात्रा पर दिन में दो बार हमला क्यों नहीं हुआ। हकीकत यह है कि जब तीसरी दफा यह जुलूस सी ब्लॉक में पहुंचा और ऐन इफ्तार के वक्त एक मस्जिद के सामने रुककर नारे लगाने लगा तो बवाल हुआ।”

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पुलिस थाने का भी दौरा किया। उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ की दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष देश गुप्ता, बीजेपी सांसद हंसराज हंस थाने के अंदर ही प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे और उस समय वहां पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान वहां मौजूद लोग ‘जय श्रीराम’ के नारे भी लगा रहे थे।

रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि पूर्व में इस इलाके में सांप्रदायिक झड़प की एक भी वारदात कभी नहीं हुई। दशकों से हिंदू-मुस्लिम मिलजुलकर इस इलाके में रह रहे हैं। दशकों पहले जब जहांगीरपुरी को रिसैटलमेंट कॉलोनी का दर्जा मिला था तभी से यहां बांग्लाभाषी मुस्लम रह रहे हैं। ये लोग अधिकतर अपने कारोबार करते हैं जिनमें छोटे-मोटे धंधे, मछली बिक्री, कबाड़ का काम आदि शामिल है। यह हैरान करने वाली बात है कि बीजेपी इन लोगों को अवैध निवासी करार दे रही है। यहां तक कि उन्हें रोहिंग्या भी कहा जा रहा है जबकि ये सभी दिल्ली के निवासी हैं।

इलाके का दौरा करने के बाद फैक्ट फाइंडिंग टीम में शामिल सीपीएम नेता ब्रिंदा करात और सीपीएम के दिल्ली सचिव के एम तिवारी ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना तो पत्र लिखकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर पुलिस जरा भी सावधानी बरतती तो इस घटना को टाला जा सकता था।

पत्र में इस बात को रेखांकित किया गया है कि अगर शोभा यात्रा निकालने की अनुमति दी गई थी, तो फिर उसमें शामिल लोग हथियारों का प्रदर्शन क्यों कर रहे थे और पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोका क्यों नहीं? दरअसल जिन लोगों ने हथियारों का प्रदर्शन किया है उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट में कार्यवाही होनी चाहिए।

पत्र में कहा गया है कि, “मीडिया में आए आपके बयान से यह स्पष्ट नहीं है कि आपने उन लोगों की पहचान कर ली है जो हथियारों का प्रदर्शन कर रहे थे और अगर कर ली है तो फिर उन्हें अभी तक गिरफ्तार कर किन धाराओं में बुक किया गया है? आपके बयान से यह भी स्पष्ट नहीं है कि पूरे मामले में पुलिस की भूमिका की जांच हो रही है या नहीं? शोभायात्रा में हथियार ले जाने की अनुमति किसने दी और इसके लिए कौन जिम्मेदार है? आखिर मस्जिद के सामने ऐन इफ्तार और नमाज के वक्त शोभा यात्रा को रुक कर नारे लगाने से पुलिस ने क्यों नहीं रोका?”


पत्र में कहा गया है कि अगर इस शोभायात्रा के दौरान पर्याप्त पुलिस प्रबंध होता, हथियार ले जाने से लोका गया होता और अगर मस्जिद के सामने शोभायात्रा को रुकने नहीं दिया गया होता तो जहांगीरपुरी की घटना नहीं होती। पत्र में कहा गया है कि जिस क्राइम ब्रांच को इस मामले की जांच सौंपी गई है, वही पुलिस टीम तो इस पूरी घटना के लिए जिम्मेदार है, ऐसे में निष्पक्ष जांच की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

वाम दलों ने मांग की है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति इस मामले का संज्ञान लें और पूरी घटना में पुलिस की जांच के निर्देश दें। और अगर पुलिस वाले दोषी पाए जाएं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई । वाम दलों ने इस घटना पर दिल्ली के उप राज्यपाल की चुप्पी र भी सवाल उठाए हैं।

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