असम एनआरसी प्रमुख हलेजा को हटाने का क्या सुप्रीम कोर्ट को है अधिकार, कानूनी विशेषज्ञों ने उठाए सवाल

क्या सुप्रीम कोर्ट के पास किसी सरकारी कर्मचारी का ट्रासंफर करने का अधिकार है? कानूनी विशेषज्ञों के बीच यह सवाल इसलिए चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी भरा फैसला लेते हुए असम में एनआरसी कोआर्डिनेटर प्रतीक हलेजा का मध्य प्रदेश तबादला कर दिया है।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को असम के एनआरसी कोआर्डिनेटर प्रतीक हलेजा का तबादला करने का आदेश दिया। हलेजा 1995 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस अफसर हैं, और असम में एनआरसी कोआर्डिनेटर के पद पर तैनात थे। लेकिन कोर्ट ने उनका तबादला मध्यप्रदेश कर दिया। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने दिया। इसमें जस्टिस एस ए बोबडे और जस्टिस रोहिंटन नारीमन भी शामिल हैं।

फैसला सुनाए जाते वक्त अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल अदालत में मौजूद थे, उन्होंने अदालत से पूछा, “इस फैसले का कोई कारण है?” इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, “नहीं, आदेश बिना किसी कारण के है।” कोर्ट के इस आदेश में तबादले का कारण नहीं बताया गया है। इसी से इस फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधिकार पर बहस छिड़ गई है कि क्या सुप्रीम कोर्ट कार्यपालिका के कर्मचारियों का तबादला कर सकता है।

कोर्ट के इस फैसले पर हैरानी के साथ एक कौतूहल भी सामने आया है। पत्रकार मनीष छिब्बर ने ट्वीट किया, ”सुप्रीम कोर्ट ने प्रतीक हलेजा को डेपुटेशन पर मध्यप्रदेश भेज दिया, लेकिन मैं हैरान हूं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट क्या ऐसा कर सकता है? आगे क्या होगा, क्या सुप्रीम कोर्ट क्लर्क और दूसरे अफसरों को भी एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजेगा?”


वहीं वरिष्ठ वकील अमन वदूद लिखते हैं, “एनआरसी से 19 लाख लोग बाहर हो गए। खारिज होने का एक भी आदेश अभी तक जारी नहीं हुआ। और जो शख्स एनआरसी को हेड कर रहा था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया। क्या इससे हैरानी नहीं होती। एनआरसी मामले में अगली सुनवाई 26 नवंबर को होनी है, तब तक चीफ जस्टिस रिटायर हो चुके होंगे।”


प्रतीक हलेजा असम का एनआरसी तैयार करने वाली टीम के प्रमुख थे। उनके जिम्मे इस वृहद काम को अंजाम देना था, जिसमें तमाम नागरिकों की जानकारी भरी जानी थीं। यह ऐसा काम था जिसे लेकर तमाम किस्म के विवाद हुए और सांप्रदायिक और भाषाई आधार पर विभाजन की कोशिश की गई। प्रतीक को एक काबिल अफसर के तौर पर जाना जाता है जो अपना काम बेहतर तरीके से करते हैं।

उनके अधीन करीब 50,000 अफसरों और कर्मचारियों की टीम थी। प्रतीक हलेजा आईआईटी के छात्र रहे हैं। एनआरसी को लेकर उन्हें राजनीतिक दलों के साथ ही सिविल सोसायटी का भी कोपभाजन भी बनना पड़ा था। उनकी सबसे ज्यादा आलोचना सत्ताधारी बीजेपी ने की थी। बीजेपी का आरोप था कि संशोधित एनआरसी से बहुत स हिंदुओं को नाम हटा दिए गए।

पिछले महीने एक मुस्लिम संगठन ने प्रतीक हलेजा के खिलाफ मामला दायर किया था। उन पर आरोप लगाया गया था कि एनआरसी में वास्तविक भारतीय नागरिकों को बाहर कर दिया गया है।

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