श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव में लश्कर की बड़ी साजिश का खुलासा, 14 साल से कर रहा है भारत की घेराबंदी

लश्कर की एक बहुत बड़ी और गहरी साजिश का खुलासा हुआ है, जो पिछले कम से कम 14 वर्षो से चल रही थी। इस साजिश के तहत लश्कर-ए-तैयबा ने भारत को घेरने की रणनीति के तहत श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव और मलेशिया में बड़े पैमाने पर कई तरह का निवेश किया।

फोटो : Getty Images
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आईएएनएस

श्रीलंका में हाल में हुए ईस्टर संडे के बम धमाकों से एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश हुआ है। इस साजिश के तहत पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्करे तैयबा पिछले डेढ़ दशक से भारत की घेराबंदी करने के लिए श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव और मलेशिया में निवेश कर रहा है और जिहादी गुटों को तैयार कर रहा है।

भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस साजिश की भनक लग चुकी है, और काफी पहले से भारतीय खुफिया तंत्र लश्कर पर नजर बनाए हुए है। खुफिया रणनीति के तहत भारत ने श्रीलंका को जानकारी मुहैया कराई थी, लेकिन श्रीलंका भारत से मिली जानकारी का इस्तेमाल करने से चूका और लश्कर ने ईस्टर संडे जैसी भयावह आतंकी घटना को अंजाम दिया।

दरअसल लश्कर ने नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) नाम का संगठन बनाया है। एनटीजे पर काफी समय से भारतीय खुफिया तंत्र की निगाह है। भारत ने इसी संगठन से जुड़ी जानकारियां ईस्टर संडे से पहले काफी तत्परता से श्रीलंका को मुहैया कराई थीं, जिन पर कार्रवाई हो सकती थी।

भारतीय खुफिया एजेंटों को यह जानकारियां भारत में गिरफ्तार एक आईएसआईएस संदिग्ध से पूछताछ के दौरान मिली थीं। वहीं श्रीलंका सरकार को भी एक चेतावनी मिली थी कि कैथोलिक चर्चो को निशाना बनाया जा सकता है। इस संदिग्ध ने भारतीय जांचकर्ताओं को जहरान हाशमी का नाम बताया था, जिसने प्रशिक्षण लिया था और वह श्रीलंका के एक चरमपंथी समूह से जुड़ा हुआ था।


इसी जहरान हाशमी को ईस्टर संडे के हमले के लिए जिम्मेदार माना गया है। जहरान हाशमी को उस एक वीडियो में पहचाना गया, जिसे आईएसआईएस ने जारी किया था। आईएसआईएस ने ही ईस्टर संडे के जनसंहार की जिम्मेदारी ली थी।

तो क्या श्रीलंका आतंक के एक नए केंद्र के रूप में उभर रहा है? इसकी पड़ताल के सिलसिले में आईएएनएस ने कई शीर्ष खुफिया अधिकारियों और विशेषज्ञों से बातचीत की।

इस बातचीत के आधार पर दौरान लश्कर की एक बहुत बड़ी और गहरी साजिश का खुलासा हुआ, जो पिछले कम से कम 14 वर्षो से चल रही थी। इस साजिश के तहत लश्कर-ए-तैयबा ने भारत को घेरने की रणनीति बनाई है और पता चला है कि इन वर्षो के दौरान श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव और यहां तक कि मलेशिया में भी कितना और किस तरह निवेश किया।


जो जानकारियां मिली हैं, उसके मुताबिक आईएसआई श्रीलंका में बेरोजगार मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी बनाने के लिए और उन्हें एनटीजे से जोड़ने के लिए इदारा खिदमत-ए-खलक (आईकेके) को एक औजार के रूप में इस्तेमाल करता रहा है। इस जानकारी के मद्देनजर भारत को तमिलनाडु और केरल में एनटीजे के सदस्यों की मजबूत उपस्थिति का पता चला और इन राज्यों में सुरक्षा तंत्र को मजबूत किया गया है।

दरअसल आईएसआईएस एक और कैलिफेट स्थापित करने की जहरीली कोशिश कर रहा है। उसकी इस विचारधारा को श्रीलंका, बांग्लादेश और मालदीव में कुछ लोगों का समर्थन मिला।

यहां यह भी पता चलता है कि मालदीव के कम से कम 200-250 नागरिकों ने सीरिया जैसे संकटग्रस्त स्थानों पर आईएस के लिए लड़ाई लड़ी थी और यही लोग यमन गए, जहां उन्हें और प्रशिक्षण दिया गया। बाद में उन्हें कभी माली और कभी चाड में या फिर कभी इराक और सीरिया में आईएस के झंडे तले लड़ने के लिए भेजा जाता रहा है।


टोक्यो स्थित एक ऑनलाइन पत्रिका 'द डिप्लोमेट' ने यह कहते हुए इस तथ्य को सत्यापित किया है कि पूर्व एफबीआई एजेंट से कॉन्ट्रैक्टर बने अली सौफान द्वारा संचालित एक निजी खुफिया एजेंसी, सौफान ग्रुप द्वारा दिसंबर 2015 में जारी एक रपट में उन विदेशी लड़ाकों की संख्या दी गई है, जिन्होंने स्वेच्छा से सीरिया और इराक में इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ाई लड़ी थी। सूची में शामिल चार दक्षिण एशियाई देशों -मलेशिया, पाकिस्तान, भारत, और मालदीव- ने उनमें से 293 लड़ाके भेजे हैं।

भारत लगातार श्रीलंका में पनप रहे इस आतंकवाद पर नजर रखे हुए है, जो 2004 से इसके लिए एक उर्वर जमीन रही है। इस देश में कट्टरवाद के उदय का मुख्य कारण हर जगह लश्कर-ए-तैयबा की उपस्थिति रही है। सियालकोट निवासी लश्कर के मुजामिल भट के नेतृत्व वाले एक विशेष समूह और उसके समर्थकों ने बांग्लादेश, मालदीव और श्रीलंका में 2005 और 2007 के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू की, ताकि भारत को घेरने और अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में इस जमीन का इस्तेमाल किया जा सके।

मुजामिल भट 26/11 का एक साजिशकर्ता है और कथित रूप चिट्टीसिंघपोरा जनसंहार की साजिश भी उसी ने रची थी। एफबीआई ने अपने 26/11 के आरोपपत्र में भट का नाम डी के रूप में दर्ज किया था, जिसे लश्कर का एक प्रमुख सैन्य कमांडर कहा गया था, जो तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के मार्च, 2000 में भारत दौरे के पहले जम्मू कश्मीर के चिट्टीसिंघपोरा जनसंहार में शामिल था।


एफबीआई ने शिकागो की एक अदालत में अपने दूसरे आरोपपत्र में एक आईएसआई अधिकारी, मेजर इकबाल, और लश्कर के चार गुर्गो -साजिद मजीद, अबु काहफा, अबु अलकामा और अज्ञात लश्कर सदस्य 'डी' का जिक्र किया था। डी के बारे में आरोपपत्र में कहा गया था कि 26/11 के हमले के संबंध में पाकिस्तान में जकी-उर-रहमान लखवी की गिरफ्तारी के बाद वह लश्कर का संचालन कमांडर बन गया था।

एफबीआई के अनुसार, अभी तक पाकिस्तान में गिरफ्तारी से दूर 'डी' डेविड कोलमैन हेडली का एक हैंडलर था। हेडली ने भारतीय जांचकर्ताओं से कहा था कि मुजामिल चिट्टीसिंघपोरा जनसंहार में शामिल था। हेडली ने यह भी कहा था कि मुजामिल लखवी का विश्वासपात्र लेफ्टिनेंट था और चिट्टीसिंघपोरा में सिखों की हत्या के अलावा उसने सितंबर 2002 में अक्षरधाम मंदिर हमले की साजिश रची थी।

भारतीय सुरक्षा महकमे के सूत्रों के अनुसार, मुजामिल कश्मीरी है और वह 1976 में पैदा हुआ था। वह शादीशुदा है और उसका परिवार पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला में रहता है।

भट एक साजिशकर्ता है और उसकी समझ यह थी कि भारतीय खुफिया और सुरक्षा बल उन दिनों दक्षिण भारत पर बराबर नजर रखे हुए थे। उसका मानना था कि विदेशों में प्रशिक्षण शिविरों में हिस्सा लेना एक बेहतर विचार होगा। सिमी दक्षिण भारत में पहले से सक्रिय था, और उसने चार राज्यों में एक दक्षिण शाखा स्थापित कर ली थी, जबकि भटकल एक नई धुरी बन गया था।

आतंक का केंद्र उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से भारत के दक्षिणी हिस्से की ओर स्थानांतरित हो रहा था। इसलिए मुजामिल श्रीलंका पहुंचा और उसने तत्काल महसूस कर लिया कि सुनामी के बाद तमिल मुसलमानों में रुझान था। यही स्थिति बांग्लादेश में 2004-2008 के मध्य रोहिंग्याओं की थी।

लेकिन रॉ ने भट या उसके गुर्गो को वहां टिकने नहीं दिया, क्योंकि एजेंसी बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों जगह अत्यंत सक्रिय थी।

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