हरियाणा में अब शराब घोटाला! लॉकडाउन में पाबंदी के बावजूद फैक्ट्रियां करती रहीं उत्‍पादन, कांग्रेस ने उठाए सवाल

हरियाणा कांग्रेस ने खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि कोरोना महामारी में लॉकडाऊन के दौरान हरियाणा में खुलेआम ‘शराब घोटाला’ हुआ और चोर दरवाजे से औने-पौने दाम पर शराब की बेहिसाब बिक्री और तस्करी हुई।

फोटो: सोशल मीडिया
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा में शराब घोटाला एक बड़ा रूप लेता जा रहा है। लॉकडाउन में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध के बावजूद न सिर्फ खुलेआम शराब बेची गई बल्कि शराब की तीन फैक्ट्रियां शराब का उत्‍पादन भी करती रहीं। एक्‍साइज और टैक्‍सेशन विभाग शराब ट्रांसपोर्टेशन के परमिट भी जारी करता रहा। एक और डिस्‍टलरी शराब तस्‍करी में संलिप्‍त पाई गई। अधिकारविहीन होने के बावजूद विशेष जांच दल के इन निष्‍कर्षों के बाद हरियाणा सरकार बेनकाब हो गई है।

कांग्रेस ने अब हाईकोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में इस घोटाले की जांच करवाने की मांग की है, जिससे दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।

हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला ने खट्टर सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि कोरोना महामारी में लॉकडाऊन के दौरान हरियाणा में खुलेआम ‘शराब घोटाला’ हुआ और चोर दरवाजे से औने-पौने दाम पर शराब की बेहिसाब बिक्री और तस्करी हुई। शराब माफिया के तार सीधे-सीधे उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों और आला अधिकारियों से जुड़े थे।


शराब माफिया और खट्टर सरकार के गठजोड़ पर सवाल उठाने पर स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन हुआ। पर मुख्यमंत्री ने आनन-फानन में 11 मई को एसआईटी को खारिज कर ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (एसईटी) का गठन कर दिया। कमाल की बात यह है कि इस एसईटी को ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का अधिकार ही नहीं था और न ही कानूनी वैधता थी। अब एसईटी ने 30 जुलाई को ‘आधी-अधूरी’ जांच रिपोर्ट दी, पर इसमें भी घोटाला उजागर हो गया।

दोनों कांग्रेस नेताओं ने कहा कि एक बात साफ है कि ‘ऑपरेशन कवरअप’ के तहत अब एसईटी की जांच के ऊपर एक और ‘विजिलेंस जांच’ बैठाई जाएगी यानि जांच पर जांच पर जांच और नतीजा वही ‘ढाक के तीन पात’। मतलब किसी तरह, किसी प्रकार से और किसी भी हालत में सरकार में बैठे बड़े-बड़े रसूखदारों-गुनाहगारों तक आंच न आए और शराब माफिया और उच्च पदों पर बैठे राजनीतिज्ञों और आला अफसरों के गठजोड़ पर पर्दा डाल दिया जाए।

सुरजेवाला और सैलजा ने कहा कि फिर भी ‘स्पेशल इंक्वायरी टीम’ (एसईटी) की रिपोर्ट से 10 चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उनका कहना है कि एसईटी ने अपनी रिपोर्ट के शुरू में ही स्वीकारा कि उसे ‘इन्वेस्टिगेशन’ यानि तफ्तीश का कोई अधिकार नहीं दिया गया यानि न वह रिकॉर्ड खंगाल सकते थे, न गोदाम और डिस्टलरीज़ की जांच कर सकते थे, न कागजात जब्त कर सकते थे, न मुकदमा दर्ज कर सकते थे और न ही क्रिमिनल प्रोसीज़र कोड, 1973 की धारा 2 में अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते थे।


एसईटी ने यह निष्कर्ष निकाला है कि 01 अप्रैल, 2019 से 10 मई, 2020 के बीच हरियाणा में जमकर नाजायज शराब की बिक्री हुई। एसईटी ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में पुराने सालों का शराब का स्टॉक भी बेच डाला गया। शराब के ठेकों के नज़दीक शराब के स्टोर से निकालकर खुलेआम शराब बेची गई। लॉकडाऊन की अवधि में शराब की बिक्री पर रोक लगाने और शराब के ठेके बंद होने के बावजूद भी एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग ने खुलकर शराब की ट्रांसपोर्टेशन के परमिट और पास जारी किए। साफ है कि शराब माफिया द्वारा सरकार की मिलीभगत से शराब की तस्करी और बिक्री का खुला खेल खेला गया। उन्‍होंने कहा कि विशेष जांच टीम ने स्वीकारा कि लॉकडाऊन की अवधि में भी 01 अप्रैल से 05 मई, 2020 के बीच हरियाणा स्थित शराब की तीन फैक्ट्रियां शराब बनाती रहीं, लेकिन न जाने किन कारणों से एसईटी ने इन फैक्ट्रियों की जांच करने से लिखित तौर पर इंकार कर दिया।

एसईटी ने यह भी माना है कि हरियाणा की एक और शराब फैक्ट्री ‘एनवी डिस्टलरी’ शराब तस्करी में संलिप्त पाई गई, परंतु एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग ने न खुद इसकी जांच की और न ही एसईटी को एनवी डिस्टलरी में जाकर जांच करने की इजाजत दी। जांच टीम ने माना कि लॉकडाऊन की अवधि में नाजायज शराब की बिक्री के बारे में ‘प्रांत में हजारों एफआईआर दर्ज हुईं । लॉकडाऊन की अवधि में एक्साईज़ एंड टैक्सेशन विभाग तथा डिप्टी कमिश्नर्स की टीम की जांच के बाद कुल कितनी शराब की बोतलें स्टॉक में कम पाई गईं या फिर कितनी ‘दो नंबर की शराब’ अतिरिक्त पाई गई, इसके बारे में पूरी जानकारी एसईटी को उपलब्ध ही नहीं कराई गई। जबकि डिप्टी कमिश्नर और एक्साईज़ टैक्सेशन विभाग की जांच में यह सामने आया कि लॉकडाऊन में 1 करोड़ बोतलों की ‘शॉर्टेज’ यानि तस्करी पाई गई और 19 लाख बोतलें ‘एक्सेस’ अर्थात् दो नंबर की शराब पाई गई। फिर यह जानकारी एसईटी को क्यों नहीं दी गई। एसईटी ने स्वीकारा कि सोनीपत के खरखौदा शराब तस्करी के केस में तथाकथित शराब तस्कर भूपेंद्र को हरियाणा पुलिस द्वारा गनमैन व आर्म्स लाईसेंस दिए गए थे।

सैलजा और सुरजेवाला ने कहा कि एसईटी की रिपोर्ट के इन 10 बिंदुओं से शराब माफिया और खट्टर सरकार का गठजोड़ साफ है, इसीलिए अब एसईटी की जांच के ऊपर एक और विजिलेंस जांच बैठा कर सारे मामले को दबाने की साजिश की जा रही है। साफ है कि बिल्ली को दूध की रखवाली नहीं बनाया जा सकता। जब बीजेपी-जेजेपी सरकार ही शराब घोटाले में संलिप्त है, तो फिर जांच होगी कैसे? उन्‍होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी व हरियाणा की जनता की स्पष्ट मांग है कि हाईकोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में जांच हो, ताकि खट्टर सरकार में बैठे बड़े-बड़े रसूखदारों और गुनाहगारों के चेहरे बेनकाब हो सकें।

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