यूपी में रेमडेसिविर की कालाबाजारी, केजीएमयू-लॉरी और क्वीनमेरी से 10 मेडकिल स्टाफ गिरफ्तार

लखनऊ पुलिस ने जाल बिछाकर ऐसे कई लोगों को पकड़ा है जो नकली रेमडिसिवर इंजेक्शन को हजारों रुपए में बेच रहे थे। पकड़े गए लोगों में अस्पतालों के स्टाफ मेडिकल स्टोर चलाने वाले शामिल हैं। इनके पास से सैकड़ों की संख्या में इंजेक्शन बरामद हुए हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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आईएएनएस

कोरोना संकट के बीच जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी करने वाले अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी बीच राजधानी में पुलिस ने ऐसे कारनामों को अंजाम देने वालों का पदार्फाश किया है। राजधानी में मानकनगर, नाका और अमीनाबाद पुलिस ने नकली दवाओं के ऐसे 10 सौदागरों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके पास से 218 इंजेक्शन, 2.38 लाख से अधिक रुपये, बिक्री में इस्तेमाल बाइक और स्कूटी समेत तीन वाहन बरामद किए हैं। खास बात यह है कि पकड़े गए आरोपितों में ज्यादातर केजीएमयू, लॉरी, क्वीनमेरी के मेडिकल स्टाफ और दो दवा व्यापारी है। पुलिस ने बताया कि गिरोह का नेटवर्क कई जनपदों में फैला है। उसकी भी पड़ताल की जा रही है। पुलिस का कहन है कि बीती रात भी चार ऐसे जालसाजों को गिरफ्तार किया था, जिनकी निशानदेही पर लखनऊ पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है।

एडीसीपी मध्य चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में अलीगंज मुसाफिर खाना सुलतानपुर निवासी विकास दुबे (नर्सिग तृतीय वर्ष का छात्र केजीएमयू), कौशल शुक्ला निवासी सीतापुर रोड खदरा (सीतापुर से डी फार्मा कोर्स कंप्लीट कर चुका है), अजीत मौर्या निवासी गेंदी पन्नुगंज सोनभद्र (केजीएमयू लारी के ओटी में टेक्नीशियन), राकेश तिवारी निवासी शंकरपुर देहात कोतवाली बलरामपुर (केजीएमयू के क्वीनमेरी अस्पताल में स्टाफ नर्स) है। इनके पास से 91 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, चार मोबाइल फोन, एक स्कूटी और 5250 रुपये बरामद किए गए हैं।

एडीसीपी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने गिरोह के सप्लायर कौशल का मोबाइल नंबर जुटाया। इसके बाद उससे बात शुरू की। सर्विलांस और मानकनगर पुलिस टीम लगाई गई। कौशल से छह इंजेक्शन की बात की गई। उसने 20 हजार रुपये में एक इंजेक्शन देने की बात कही, सौदा 15 हजार में तय हुआ। इसके बाद डिलीवरी मंगाई गई। कनौसी पुल के पास कौशल बाइक से पहुंचा। उसने इंजेक्शन निकाल कर सादे कपड़े में तैनात पुलिस कर्मी को दिए। इसके बाद टीम ने दबोच लिया। उसकी निशान देही पर विकास दुबे और अन्य को पकड़ा गया। इंजेक्शन में बेंगलुरु की मायलांन लैबोरेट्री का स्टीकर चिपका हुआ है। गिरोह का सरगना रितांशु मौर्या निवासी बाराबंकी है। उसकी तलाश में टीमें दबिश दे रही हैं।


पुलिस को पूछताछ में पता चला कि विकास दुबे को इंजेक्शन मौर्या उपलब्ध कराता था। विकास अन्य साथियों को इंजेक्शन देता था। अन्य साथी कहते थे कि अगर पकड़े गए तो इस पर विकास कहता था कि इस समय हर व्यक्ति को जरूरत है। विकास ने पूछताछ में बताया कि शुक्रवार को ही रितांशु उनसे इंजेक्शन बिक्री के 1.86 लाख रुपये लेकर गया था।

उधर, अमीनाबाद इंस्पेक्टर आलोक कुमार राय ने नजीराबाद चौकी के पास शुक्रवार दोपहर रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिलीवरी देने पहुंचे आमिर अब्बास निवासी कश्मीरी मोहल्ला सआदतगंज और सौरभ रस्तोगी निवासी नारायण दास लेन यहियागंज को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उनके पास से इंजेक्शन बिक्री के 39 हजार रुपये और 11 नकली इंजेक्शन बरामद किए हैं। इंस्पेक्टर ने बताया कि आमिर अब्बास का बाजारखाला में मेडिकल स्टोर है और सौरभ रस्तोगी का पुरानी मेडिसिन मार्केट में दवा का काम है। दोनों ने पूछताछ में बताया कि उन्हें एक दवा कंपनी का एमआर इंजेक्शन उपलब्ध कराता था।

पुलिस के मुताबिक पकड़े गए आरोपितों में राम सागर निवासी कंजलपुर मनकापुर गोंडा (संविदाकर्मी केजीएमयू), अमनदीप मदान निवासी राजाजीपुरम सेक्टर-ई (स्कोप हास्पिटल का कर्मचारी), अंकुर वैश्य निवासी मोहनलालगंज बनियाखेड़ा, अंशु गुप्ता निवासी हरदोई संडीला राजा का हाता है। इन्हें बाराबंकी निवासी रितांशु मौर्या इंजेक्शन उपलब्ध कराता था। एक इंजेक्शन 25 हजार रुपये में बेचते थे।

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