मध्य प्रदेशः सीएम शिवराज सिंह का किसानों के हक पर डाका, किसान निधि के फंड से खरीदी 30 लाख की एसयूवी कार

कांग्रेस नेता अजय सिंह का कहना है कि सीएम के लिए यह गाड़ी पिछले साल मंदसौर गोलीकांड के एक महीने पहले खरीदी गई थी। यही नहीं, इसके बाद एक एजेंट के जरिये गाड़ी का वीआईपी नंबर लेने के लिए 32,000 रुपए अलग से खर्च किये गए।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के लिए खरीदी गई 30 लाख रुपए की आलीशान एसयूवी कार का मामला अब विवादों में आ गया है। आरोप है कि इस कार की कीमत का भुगतान किसान सड़क निधि योजना के पैसों से किया गया है। यही नहीं है, खबर है कि किसान निधि से कार खरीदने के बाद कार के लिए वीआईपी नंबर हासिल करने के लिए एक एजेंट की मदद ली गई और उसे इस काम के लिए 32 हजार रुपए का भुगतान भी किया गया। विधानसभा मे नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान के लिए यह गाड़ी 6 जून 2017 को मंदसौर में हुए किसान गोलीकांड से महज एक महीने पहले ही खरीदी गई थी। उस वक्त गोलीकांड में करीब 5 किसानों की मौत हुई थी।

राज्य मंडी बोर्ड ने भी इस बात की पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री के आधिकारिक इस्तेमाल के लिए ही 30 लाख की एसयूवी कार फॉर्चूनर खरीदी गई थी। मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक ने कहा है कि वह इस बात की जांच करेंगे कि गाड़ी किस योजना के फंड से खरीदी गई। बता दें कि मुख्यमंत्री किसान सड़क निधि की सशक्त समिति के सह-अध्यक्ष भी हैं। किसान सड़क निधी का यह फंड मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा अनुरक्षित किया जाता है, जिसे मंडी बोर्ड भी कहा जाता है। ये वो पैसा है जो किसानों और फसल के खरीददारों से टैक्स के तौर पर वसूला जाता है और इस निधि के पैसे को गांव से मंडी तक की सड़क बनाने के लिए खर्च किया जाता है।

इस मामले के सामने आने के बाद राज्य में बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। विपक्ष का भी आरोप है कि एक ओर जहां किसान आर्थिक तंगी और सरकारी मदद की आस में आत्महत्या कर रहे हैं, वहीं राज्य की संवेदनहीन बीजेपी सरकार के मुखिया शिवराज चौहान अपने लिए किसान निधि के पैसों से आलीशान कार खरीद रहे हैं और उसके लिए वीआईपी नंबर भी ले रहे हैं। विधानसभा मे नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस समय राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे थे, उस समय वहां के मुख्यमंत्री के लिए 30 लाख रुपये की एसयूवी कार खरीदी गई। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि सीएम किसान सड़क निधी की सशक्त समिति के सह-अध्यक्ष भी हैं।”

इस पूरे मामले में सवाल ये खड़ा होता है कि हमेशा उच्च श्रेणी की सुरक्षा के बीच चलने वाले सीएम को अपनी कार के लिए वीआईपी नंबर लेने की क्या जरूरत पड़ गयी। और दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि क्या सरकारी कार को भी विशेष नंबर हासिल करने के लिए ऐजेंट की जरूरत होती है।

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