महाराष्ट्रः ठाणे के अस्पताल में 48 घंटे में 18 मरीजों की मौत, सरकार ने पहले दी सफाई, फिर दिए जांच के आदेश

निगम आयुक्त बांगड़ ने बताया कि सीएम शिंदे ने हालात की जानकारी ली है है और एक जांच समिति के गठन का आदेश दिया है, जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवाओं के आयुक्त करेंगे। ये समिति अस्पताल में मौतों के कारणों के बारे में जांच करेगी।

महाराष्ट्र के ठाणे के अस्पताल में 48 घंटे में 18 मरीजों की मौत
महाराष्ट्र के ठाणे के अस्पताल में 48 घंटे में 18 मरीजों की मौत
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नवजीवन डेस्क

महाराष्ट्र के ठाणे जिले के कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में बीते 48 घंटे के भीतर 18 मरीजों की मौत होने से हड़कंप मच गया है और राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गए हैं। मृतक मरीजों में 10 महिलाएं और 8 पुरुष शामिल हैं। मृतकों की उम्र 12 साल से लेकर 50 वर्ष के बीच है। इतनी बड़ी संख्या में मौतों पर पहले तो शिंदे सरकार के मंत्री दीपक करसेकर ने सफाई दी, फिर मामला बढ़ने पर सीएम शिंदे ने मामले में जांच के आदेश दिए।

ठाणे नगर निगम आयुक्त अभिजीत बांगर ने रविवार को बताया कि ठाणे के कलवा में छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में पिछले 48 घंटों में अठारह मरीजों की मौत हो गई है। सभी मृतकों की उम्र 12 से लेकर 50 वर्ष के बीच है। इन मरीजों को गुर्दे में पथरी, लक्वा, अल्सर, निमोनिया, विषाक्तता, सेप्टीसीमिया जैसी जटिल समस्याएं थीं। इनमें से 6 ठाणे शहर से, 4 कल्याण से, 3 साहपुर से, 1-1 भिवंडी, उल्हासनगर और गोवंडी से हैं। वहीं एक मरीज किसी अन्य जगह से है और एक अज्ञात है।


निगम आयुक्त बांगड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने हालात की जानकारी ली है है और एक जांच समिति के गठन का आदेश दिया है, जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य सेवाओं के आयुक्त करेंगे। साथ ही इसमें कलेक्टर, निगम प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक शामिल होंगे। ये समिति अस्पताल में मौतों के कारणों के बारे में जांच करेगी। मरीजों को दिए गए इलाज की जांच की जाएगी और मृतक के परिजनों के बयान दर्ज किए जाएंगे। कुछ परिजनों द्वारा लापरवाही के आरोप भी लगाए हैं, जिस पर भी जांच समिति विचार करेगी।

हालांकि, इससे पहले महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने मामले पर लीपापोती करने की कोशिश करते हुए कहा कि इस अस्पताल की आईसीयू क्षमता बढ़ा दी गई है और जब क्षमता बढ़ती है तो गंभीर मरीज जो अपने जीवन के अंतिम चरण में होते हैं, उन्हें भी भर्ती किया जाता है। डॉक्टर उन्हें बचाने की पूरी कोशिश करते हैं। जांच के लिए एक कमेटी पहले ही गठित की जा चुकी है। अगर ये प्राकृतिक मौतें हैं और मरीज आखिरी स्टेज पर आए तो डॉक्टरों के लिए यह बहुत मुश्किल हो जाता है। वैसे मरीज किसी भी अस्पताल में जा सकता है, डॉक्टरों के लिए उसे बचाना महत्वपूर्ण है।


वहीं, महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता गिरीश महाजन ने कहा कि 500 की क्षमता वाले अस्पताल में एक ही दिन में 16 मौतें होना चिंता का विषय है। वहीं एनसीपी नेता और क्षेत्र के विधायक जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि अस्पताल का प्रबंधन पूरी तरह से कुप्रबंधित है। उन्होंने प्रशासन से बहुत देर हो जाने से पहले चीजों को ठीक करने की मांग की।

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