महाराष्ट्र: पुलिस के दबाव के बाद गांव ने ‘पुनर्मतदान’ की योजना रद्द की, नाना पटोले बोले- निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर...
इस सीट से जानकर विजयी रहे। हालांकि, मार्कडवाडी के निवासियों ने दावा किया कि उनके गांव में जानकर को सतपुते के मुकाबले कम वोट मिले, जो संभव नहीं था। स्थानीय लोगों ने ईवीएम पर संदेह जताया।

महाराष्ट्र के मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीणों का एक समूह मतपत्रों से ‘‘पुनर्मतदान’’ कराने पर जोर दे रहा था, लेकिन पुलिस और इस सीट से एनसीपी (एसपी) के विजयी उम्मीदवार उत्तम जानकर के हस्तक्षेप के बाद ग्रामीणों ने मंगलवार को अपनी योजना रद्द कर दी।
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के दबाव में ग्रामीणों को रोकने के लिए पुलिस का इस्तेमाल किया, जिससे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की विश्वसनीयता पर गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, "राज्य की जनता को संदेह है कि विधानसभा चुनाव पारदर्शी तरीके से नहीं हुआ। सोलापुर के मरकडवाडी के ग्रामीणों ने अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए आज (मंगलवार, 3 दिसंबर) मतपत्र के माध्यम से मतदान करने की तैयारी की थी। लेकिन प्रशासन ने कर्फ्यू लगा दिया और ग्रामीणों को मतदान करने से रोकने के लिए पुलिस बल का प्रयोग किया। मरकडवाडी में प्रशासन अंग्रेजों की तरह व्यवहार कर रहा है। ऐसे में ईवीएम और निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा हो गया है।"
उन्होंने आगे लिखा, "यदि मतदान प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है तो प्रशासन एक छोटे से गांव में मतदान कराने से क्यों डर रहा है? बीजेपी के दबाव के कारण प्रशासन ने जनता को यह समझाने का मौका खो दिया है कि ईवीएम पर मतदान त्रुटिहीन है, इसमें कोई घोटाला नहीं हुआ है।"
पटोले ने आगे कहा, "इसी समय मरकडवाडी के ग्रामीणों ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक बड़ा संघर्ष शुरू किया। इस लड़ाई में कांग्रेस पार्टी ग्रामीणों के साथ है। यह लड़ाई भविष्य में बड़ी लड़ाई बनेगी और लोकतंत्र की जीत होगी।"
इससे पहले, सोलापुर जिले के मालशिरस क्षेत्र के मार्कडवाडी गांव के निवासियों ने बैनर लगाकर दावा किया था कि तीन दिसंबर को ‘‘पुनर्मतदान’’ कराया जाएगा। यह गांव मालशिरस विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 20 नवंबर को हुए चुनाव में जानकर ने बीजेपी के राम सतपुते को 13,147 मतों से हराया था। चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए थे।
इस सीट से जानकर विजयी रहे। हालांकि, मार्कडवाडी के निवासियों ने दावा किया कि उनके गांव में जानकर को सतपुते के मुकाबले कम वोट मिले, जो संभव नहीं था। स्थानीय लोगों ने ईवीएम पर संदेह जताया। मालशिरस के उप-मंडल अधिकारी (एसडीएम) ने सोमवार को कुछ स्थानीय लोगों की ‘‘पुनर्मतदान’’ की योजना के कारण किसी भी संघर्ष या कानून-व्यवस्था संबंधी स्थिति से बचने के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत दो से पांच दिसंबर तक क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू कर दी।
तहसीलदार विजया पंगारकर ने मतपत्रों के जरिए पुनर्मतदान की मांग वाली ग्रामीणों की याचिका को खारिज कर दिया। पंगारकर ने मंगलवार को कहा, ‘‘विधानसभा चुनाव वैध तरीके से कराए गए थे और मतदान या मतगणना के दौरान कोई आपत्ति नहीं उठाई गई थी। अब मतपत्र से मतदान कराना अवैध है और चुनाव प्रक्रिया के दायरे से बाहर है।’’
बाद में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) (मालशिरस संभाग) नारायण शिरगावकर ने कहा कि उन्होंने ग्रामीणों और एनसीपी (एसपी) नेता जानकर के साथ विस्तार से चर्चा की। शिरगावकर ने कहा, ‘‘हमने उन्हें कानून की प्रक्रिया समझाई और चेतावनी भी दी कि अगर एक भी वोट डाला गया तो मामला दर्ज हो जाएगा।’’ जानकर ने कहा कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की और ग्रामीणों से भी चर्चा की जिसके बाद ग्रामीणों ने ‘‘पुनर्मतदान’’ की योजना रद्द कर दी।
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