महाराष्ट्र सरकार के फैसले से सांसत में स्कूली बच्चे: एक जैसी यूनिफॉर्म का आदेश, पर डिजाइन तय नहीं, सब्सिडी कर दी आधी

महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों की यूनिफार्म एक जैसी करने का फैसला लिया है। लेकिन यह किस रंग या प्रकार की होगी, यह तय नहीं है। ऐसे में सत्र शुरु होने में चंद रोज ही बचे हैं और अभिभावक परेशान हैं।

महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में यूनिफार्म को लेकर विवाद खडा हो गया है (फोटो : Getty Images)
महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों में यूनिफार्म को लेकर विवाद खडा हो गया है (फोटो : Getty Images)

एक राष्ट्र, एक भाषा या यहां तक कि एक धर्म के लिए अब तक के असफल अभियान के बाद, महाराष्ट्र सरकार आरएसएस-बीजेपी के ही इस अभियान को नए सिरे से जोर देने की कोशिश कर रही है। इसके तहत महाराष्ट्र सरकार ने फैसाल किया है कि राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में अब एक ही तरीके की यूनिफार्म होगी।

एकनाथ शिंदे सरकार ने यह ऐलान किया है, लेकिन यूनिफार्म का रंग क्या होगा इस बारे में अभी स्पष्टीकरण नहीं आया है। ध्यान रहे कि राज्य के स्कूल 10 जून को खुलने वाले हैं। ऐसे में यूनिफार्म के रंग और प्रकार को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश न होने के चलते अभिभावक परेशान हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र की बीजेपी-शिंदे सरकार ने स्कूल यूनिफॉर्म के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को भी ₹600 से घटाकर ₹300 कर दिया है।

इस मुद्दे पर महा विकास अघाड़ी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इसके बाद आनन-फानन सरकार ने सफाई दी कि 300 रुपए की सब्सिडी सिर्फ एक यूनिफार्म के लिए है और पहले स्कूल प्रशासन को दो यूनिफार्म के लिए 600 रुपए मिलते थे, इस तरह यूनिफार्म सब्सिडी में कोई कमी नहीं की है। लेकिन इस बात पर कोई सफाई नहीं दी है कि क्या अब छात्रों को पूरे साल के लिए सिर्फ एक ही यूनिफार्म दी जाएगी।

लेकिन पूरे राज्य में एक ही यूनिफार्म के आदेश के बाद यह तय न होना कि किस रंग या प्रकार की यूनिफार्म होगी, इससे राज्य के करीब 48 लाख स्कूली बच्चों के अभिभावक असमंजस में हैं।

इस विषय में बात करते हुए इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अनुभा सहाय कहती हैं कि, “सरकार ने यूनिफार्म को लेकर एकतरफा फैसला लिया है। अगर उन्होंने अभी फैसला लिया है तो इसे अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करना चाहिए, क्योंकि सरकारी स्कूलों यानी म्यूनिसिपल कार्पोरेशन, जिला परिषद आदि द्वारा चलाए जाने वाले स्कूलों के अधिकांश छात्र समाज के कमजोर तबके से आते हैं और वे यूनिफार्म के लिए एकमुश्त पैसे देने की स्थिति में नहीं होते हैं।“ उनका कहना है कि, “फैसले लेने का यह तरीका बताता है कि शिक्षा को लेकर सरकार कितनी लापरवाह है और उसकी नीतियों में कितनी खामियां हैं।“

उन्होंने कहा कि, “अगले सप्ताह स्कूल खुलने की संभावना है और यहां तक कि 50:50 फॉर्मूला (एक यूनिफॉर्म का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा, दूसरे का भुगतान व्यक्तिगत स्कूलों द्वारा किया जाएगा) पर भी फैसला देना बाकी है। बरसात के मौसम में सिर्फ एक यूनिफॉर्म से छात्र कैसे गुजारा करेंगे? यदि वे इस शैक्षणिक वर्ष में इसे अच्छी तरह से लागू नहीं कर सकते हैं तो वे 'एक राज्य - एक यूनिफार्म' प्रस्ताव की घोषणा क्यों कर रहे हैं?"

इस फैसले का एक और असर भी पड़ेगा। वह यह कि यूनिफार्म बनाने वाले कारोबारियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि वे तो सत्र की शुरुआत से पहले ही भारी संख्या में यूनिफार्म बनाकर तैयार रखते हैं।

लेकिन महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर के मुताबिक एक ही यूनिफार्म का फैसला टेक्सटाइल कारोबारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। उनका कहना है कि अभी तक हर स्कूल ने अपनी अलग यूनिफार्म रखी हुई थी और अलग-अलग किस्म का कपड़ा इसमें इस्तेमाल होता था। लेकिन अब एक ही यूनिफार्म होने से यह विषमता खत्म हो जाएगी। लेकिन इससे कारोबारियों का नुकसान कैसे कम होगा, यह शिक्षा मंत्री नहीं बता पाए।

ध्यान रहे कि करीब दो दशक पहले भी ऐसा ही प्रस्ताव सामने आया था, लेकिन बहुत सी विषमताओं के कारण इसे लागू करने का फैसला टाल दिया गया था। इसी बात को लेकर पिछले दिनों टेक्सटाइल कारोबारियों ने शिक्षा मंत्री से आग्रह किया था कि इस फैसले को लागू न किया जाए, जिसके बाद सरकार 50-50 फार्मूले को लेकर आई है। इसके तहत एक यूनिफार्म एक जैसी होगी, जबकि दूसरी यूनिफार्म स्कूल ही तय करेंगे।

इस बीच महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद ने म्यूनिसिपल कार्पोरेशन और जिला परिषद द्वारा चलाए जाने वाले सभी सरकारी स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे कम से कम एक यूनिफार्म छात्रों को स्कूल खुलने से पहले उपलब्ध करा दें। हालांकि यूनिफार्म कैसी होगी, यानी ट्यूनिक होगा, स्कर्ट होगा, ट्राउजर यानी पतलून होगी या फिर शॉर्ट्स यानी निकर होगा, यह अभी तक तय नहीं है।

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