महाराष्ट्रः नए साल में फिर शुरू होगा मराठा आरक्षण आंदोलन, जरांगे ने 25 जनवरी से अनिश्चितकालीन अनशन का किया ऐलान
जरांगे ने सरकार पर अपने वादे पूरे करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने हमें धोखा दिया है। उन्होंने लोगों से बड़ी संख्या में विरोध स्थल पर एकत्र होने की अपील करते हुए कहा कि अंतरवाली सराटी में आकर अपनी सामूहिक ताकत दिखाएं।

महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार को नए साल में मराठा आरक्षण आंदोलन का सामना करना पड़ेगा। आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने मंगलवार को ऐलान किया कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण सहित मराठा समुदाय की मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए वह 25 जनवरी 2025 से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू करेंगे।
जरांगे ने जालना के अंतरवाली सराटी गांव में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मराठा समुदाय के लोगों से बड़ी संख्या में विरोध स्थल पर एकत्र होने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘किसी को भी घर पर नहीं रहना चाहिए। अंतरवाली सराटी में आकर अपनी सामूहिक ताकत दिखाएं।’’ जरांगे ने सरकार पर अपने वादे पूरे करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘सरकार ने हमें धोखा दिया है।’’
जरांगे गत एक साल में इस मुद्दे पर कई अनशन कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे चालू शीतकालीन सत्र के दौरान हमारी मांगें पूरी नहीं करते हैं तो हम उन्हें नहीं बख्शेंगे। उन्होंने कहा कि यह अनशन स्वैच्छिक होगा और मराठा समुदाय का कोई भी सदस्य इसमें हिस्सा ले सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘‘जो कोई भी इसमें शामिल होना चाहता है, उसका स्वागत है। किसी पर कोई दबाव या बाध्यता नहीं होगी।’’
जरांगे पाटिल उस मसौदा अधिसूचना के कार्यान्वयन की मांग कर रहे हैं, जो कुनबियों को मराठों के ‘सगे सोयारे’ (जन्म या विवाह से संबंधित) के रूप में मान्यता देता है और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण प्रदान करता है। कृषि प्रधान कुनबी समुदाय को पहले से ही ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आरक्षण का लाभ मिलता है।
जरांगे ‘सेज सोयरे’ अधिसूचना को क्रियान्वित करने के अलावा महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति के काम में भी तेजी लाने की मांग कर रहे हैं जिसे मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए गठित किया गया है ताकि उन्हें आरक्षण के लिए पात्र बनाया जा सके।
राज्य विधानसभा ने इस साल फरवरी में सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया था, जिसमें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को एक अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है। हालांकि, जरांगे मराठा समुदाय को ओबीसी के तहत आरक्षण देने की मांग पर जोर दे रहे हैं।
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