महाराष्ट्र स्पीकर ने शिवसेना मामले पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया- विशेषज्ञ की राय

वकील असीम सरोदे ने स्पीकर के फैसले पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि यह सिर्फ एक अंतर-पार्टी विवाद के बारे में नहीं है, बल्कि देश में "लोकतंत्र और संविधान के लिए बुरा संकेत" है।

विशेषज्ञ की राय- स्पीकर ने शिवसेना मामले पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया
विशेषज्ञ की राय- स्पीकर ने शिवसेना मामले पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया
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नवजीवन डेस्क

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के वर्ली में एक विशाल टाउन हॉल शैली की बैठक में शिवसेना विवाद में विधानसभा स्पीकर के फैसले की आलोचना करते हुए एक प्रमुख संविधान विशेषज्ञ ने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधायकों की अयोग्यता के मुद्दे पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया। उन्‍होंने शीर्ष अदालत की गंभीर अवमानना की है।

राहुल नार्वेकर के फैसले की आलोचना करते हुए वकील असीम सरोदे ने नार्वेकर पर फैसला लेने में देरी करने और अंततः राजनीतिक उद्देश्यों को ध्‍यान में रखकर फैसला देने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया, ''फैसला मैगी नूडल्स की तरह तैयार किया गया था...स्पीकर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट की तरह 'सबूत' लिया...राजनीतिक मंशा से फैसले में अनावश्यक रूप से लंबे समय तक देरी की गई।''


सरोदे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने उदाहरणों और मानदंडों के विपरीत अपने निर्णय में विधायक दल (मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट के) के बहुमत को स्वीकार किया और उस राजनीतिक दल को नजरअंदाज कर दिया, जो मूल पार्टी है। उन्होंने कहा कि विधायक दल का कार्यकाल पांच साल का होता है और बाद में इसमें बदलाव हो सकता है, लेकिन राजनीतिक दल एक बड़ी इकाई है और विधायक दल से ऊपर है, जिस पर अध्यक्ष ने विचार नहीं किया।

उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचेतक के रूप में भरत गोगावले (शिंदे गुट के) के चुनाव को "अवैध" घोषित किया था, मगर स्पीकर ने उन्हें कानूनी नियुक्त घोषित कर दिया और ऐसा करके "अन्याय का नाम बदलकर न्याय कर दिया गया है"।

सरोदे ने स्पीकर के फैसले पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि यह सिर्फ एक अंतर-पार्टी विवाद के बारे में नहीं है, बल्कि देश में "लोकतंत्र और संविधान के लिए बुरा संकेत" है। उन्होंने कहा कि 10 जनवरी के फैसले से बहुत पहले, दूर-दराज के इलाकों तक लोगों के बीच यह स्पष्ट था कि अन्याय होगा" और उनकी आशंकाएं सच हुईं।


शिवसेना-यूबीटी के मुख्य प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने अध्यक्ष के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि "उन्होंने शिवसेना को चोरों के झुंड को सौंप दिया है"। उन्होंने कहा, "स्पीकर का फैसला महाराष्ट्र की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराओं पर एक धब्बा है... ऐसा फैसला उनकी (नरवेकर की) पत्नी को भी स्वीकार्य नहीं होगा।"

टाउन हॉल बैठक में एसएस-यूबीटी अध्यक्ष और पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, उनकी पत्‍नी रश्मि, बेटे आदित्य और तेजस, पार्टी के शीर्ष नेता, पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद थे, क्योंकि इस कार्यक्रम को पूरे राज्य में लाइव-स्ट्रीम किया गया था।

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