'सवाल यह नहीं है कि बस्ती किसने जलाई, सवाल है कि पागल के हाथ में माचिस किसने दी' - महुआ ने सुनाई सरकार को खरी-खोटी

सवाल यह नहीं है कि बस्ती किसने जलाई, सवाल है कि पागल के हाथ में माचिस किसने दी... इन शब्दों के साथ तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा अपने उस हमलावर भाषण को लोकसभा में खत्म किया जो उन्होंने सरकार की तरफ से पेश अनुपूरक मांगों को लेकर दिया था।

संसद टीवी का स्क्रीनशॉट
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नवजीवन डेस्क

सवाल यह नहीं है कि बस्ती किसने जलाई, सवाल है कि पागल के हाथ में माचिस किसने दी... इन शब्दों के साथ तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा अपने उस हमलावर भाषण को लोकसभा में खत्म किया जो उन्होंने सरकार की तरफ से पेश अनुपूरक मांगों को लेकर दिया था।

महुआ नेमंगलवार को देश की अर्थव्यवस्था को संभालने के सरकार के तौर-तरीकों पर तीखा निशाना साधा। उन्होंने सरकार की नाकामी को आंकड़ों के जरिए सामने रखते हुए कहा कि 'बताओ कि असली पप्पू कौन है'? उन्होंने कहा कि किसी को नीचा दिखाने के लिए पप्पू शब्द का इस्तेमाल किया गया।

तृणमूल कांग्रेस सांसद मंगलवार को आर्थिक आंकड़ों को एक के बाद सामने रखा। उन्होंने लोकसभा में 2022-23 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांगों के पहले बैच और 2019-20 के लिए अनुदान की अतिरिक्त मांगों पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए जोरदार तरीके से अपनी बात रखी।

उन्होंने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के हवाले से कहा कि अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन चार प्रतिशत गिर गया था, जो 26 महीनों के सबसे कम न्यूनतम स्तर पर है।विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल के भीतर 72 अरब डॉलर की कमी आई है। उन्होंने कहा कि विदेश राज्य मंत्री ने सदन में बताया कि पिछले नौ वर्षों में लाखों लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी. ऐसा क्यों हो रहा है कि लोग नागरिकता छोड़ रहे हैं।

महुआ मोइत्रा ने कहा कि, ‘विरोधी दलों के नेताओं को परेशान करने के लिए ईडी को इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन सरकार यह तो बताए कि ईडी के मामलों में दोषसिद्धि का प्रतिशत क्या है? क्या सिर्फ लोगों को परेशान करने के लिए इस एजेंसी का इस्तेमाल हो रहा है?


तृणमूल सांसद ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान का जिक्र करते हुए कहा,‘हम लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारा यह अधिकार है कि सरकार की अक्षमता को लेकर सवाल करें. यह सरकार का राजधर्म है कि वह जवाब दे. वह ‘खिसियानी बिल्ली’ की तरह व्यवहार नहीं करे।’

उन्होंने हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजों और खासकर हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम का हवाला देते हुए कहा,‘सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष अपना गृह राज्य नहीं बचा सके, वहां हार का सामना करना पड़ा. अब ‘असली पप्पू’ कौन है?’ उन्होंने कहा कि सरकार वह होनी चाहिए जो ‘मजबूत नैतिकता’, ‘मजबूत कानून व्यवस्था’ और ‘मजबूत अर्थव्यवस्था’ सुनिश्चित करे।

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