ममता ने मतुआ बहुल क्षेत्र में SIR के खिलाफ मार्च निकाला, चुनाव आयोग पर साधा निशाना, 'बीजेपी आयोग' करार दिया
ममता ने निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा और दावा किया कि राज्य के मतुआ बहुल क्षेत्रों के मतदाताओं को सीएए के तहत विदेशी घोषित करने पर तुरंत सूची से हटा दिया जाएगा। साथ ही कहा कि अगर बंगाल में उन्हें चुनौती दी गई तो वह देश भर में बीजेपी की नींव हिला देंगी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में जारी मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के विरोध में मंगलवार को बनगांव के चांदपाड़ा से उत्तर 24 परगना जिले के मतुआ बहुल ठाकुरनगर तक तीन किलोमीटर लंबे एक मार्च का नेतृत्व किया। इससे पहले बनगांव में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग अब निष्पक्ष संस्था नहीं रहा बल्कि बीजेपी आयोग बन गया है। साथ ही ममता ने कहा कि अगर उन्हें बंगाल में चुनौती दी गई तो वह पूरे देश में बीजेपी की नींव हिला देंगी।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट बनगांव शहर में एसआईआर विरोधी रैली को संबोधित करने के बाद यह मार्च निकाला। यह मार्च ठाकुरनगर के ढाकुरिया स्कूल में समाप्त हुआ। मार्च से पहले यहां एक रैली को संबोधित करते हुए ममता ने एसआईआर प्रक्रिया को लेकर निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा और दावा किया कि राज्य के मतुआ बहुल क्षेत्रों के मतदाताओं को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के तहत विदेशी घोषित करने पर तुरंत सूची से हटा दिया जाएगा। साथ ही कहा कि अगर बंगाल में उन्हें चुनौती दी गई तो वह देश भर में बीजेपी की नींव हिला देंगी।
एसआईआर प्रक्रिया को अव्यवस्थित बताते हुए ममता ने कहा कि मसौदा सूची निर्वाचन आयोग और बीजेपी द्वारा पैदा की गई भयावह स्थिति को दर्शाएगी। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग बीजेपी आयोग में बदल गया है, जो दिल्ली से मिले निर्देशों पर काम कर रहा है और वह एआई का इस्तेमाल हेरफेर के लिए एक उपकरण के रूप में करेगा।
तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि अगर एसआईआर प्रक्रिया दो या तीन साल में की जाए, तो वह इसका समर्थन करेंगी, और आश्चर्य जताया कि 2026 के बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले दो महीने के भीतर जबरदस्ती यह कवायद क्यों की जा रही है। उन्होंने कहा कि एसआईआर के कारण बिहार चुनाव के अलग नतीजे आए क्योंकि विपक्ष वहां बीजेपी के खेल को भांप नहीं सका। बनर्जी ने कहा कि एसआईआर के तहत गणना प्रक्रिया के बाद एक भी वैध मतदाता का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।
बीजेपी पर निशाना साधते हुए ममता ने कहा कि पार्टी करोड़ों रुपये और सभी केंद्रीय एजेंसियों को लगा सकती है, लेकिन फिर भी राजनीतिक रूप से उनसे लड़ने में सक्षम नहीं होगी। बनर्जी ने कहा, "यदि आप बंगाल में मुझे (राजनीतिक रूप से) निशाना बनाने की कोशिश करेंगे, तो मैं पूरे देश में आपकी नींव हिला दूंगी...जख्मी बाघ जिंदा बाघ से ज्यादा खतरनाक होता है।"
मुख्यमंत्री ने कहा मानव जीवन बहुत कीमती है और उन्होंने लोगों से अपील की कि वे एसआईआर के डर से आत्महत्या न करें। उन्होंने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया को लेकर फैली घबराहट के कारण 35-36 मौतें हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि कई लोगों ने खुदकुशी कर ली। एसआईआर प्रक्रिया में शामिल 10 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को अस्पताल में भर्ती कराया गया और तीन अन्य की जान चली गई। उन्होंने कृष्णानगर के एक मामले का हवाला दिया, जहां एक व्यक्ति ने आत्महत्या से पहले कथित तौर पर निर्वाचन आयोग को दोषी ठहराया था। उन्होंने निर्वाचन आयोग-बीजेपी गठजोड़ की ओर इशारा करते हुए पूछा कि इन मौतों के लिए कौन ज़िम्मेदार है?
मुख्यमंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि अगर बीजेपी शासित राज्यों का लक्ष्य अवैध बांग्लादेशियों को निकालना है, तो वहां एसआईआर आयोजित करने के पीछे क्या औचित्य है। ममता ने कहा, "क्या इसका मतलब यह है कि आप स्वीकार करते हैं कि डबल इंजन शासित राज्यों में 'घुसपैठिया' हैं?" उन्होंने अपना आरोप दोहराया कि सीएए के तहत, विदेशी के रूप में चिह्नित किसी भी व्यक्ति को मतदाता सूची से तुरंत हटा दिया जाएगा। उन्होंने कहा, "2024 के लोकसभा चुनावों में मतदान करने वाले लोग असली मतदाता हैं। अगर वे असली मतदाता नहीं हैं, तो केंद्र सरकार को शासन करने का कोई अधिकार नहीं है।"
बनर्जी ने क्षेत्र में शांतनु ठाकुर की अध्यक्षता वाले मतुआ महासंघ से जुड़े बीजेपी संबद्ध समूहों पर बांग्लादेशी मूल के बारे में भ्रामक प्रमाण पत्र जारी करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया, "वे आपको धोखा दे रहे हैं। वे लिख रहे हैं कि आप बांग्लादेश में थे। नवंबर-दिसंबर 2025 के प्रमाणपत्रों में लिखा है कि आप 2002 तक वहां रहे थे। यह बहुत बड़ी धोखाधड़ी है।" बनर्जी ने कहा, "सिर्फ़ इसलिए कि कोई बांग्ला बोलता है, वह बांग्लादेशी कैसे हो सकता है? मुझे बांग्लादेश से प्यार है क्योंकि हमारी भाषा एक ही है। अगर मैं बीरभूम में पैदा नहीं हुई होती, तो वे मुझे भी बांग्लादेशी कहते।"
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट बनगांव शहर में एसआईआर विरोधी रैली को संबोधित करने के बाद यह मार्च निकाला। मार्च ठाकुरनगर के ढाकुरिया स्कूल में समाप्त हुआ। बनर्जी मार्च का नेतृत्व कर रही थीं, जिसमें शामिल लोग नीले और सफेद गुब्बारे लिए हुए थे, टीएमसी के झंडे लहरा रहे थे और एसआईआर विरोधी नारे लगा रहे थे।
मार्च के दौरान जब बनर्जी अपनी सामान्य तेज गति से चल रही थीं तो कुछ लोगों ने उनका फूलों से स्वागत किया तथा बनर्जी ने सड़कों के दोनों ओर एकत्र लोगों की ओर हाथ हिलाकर अभिवादन किया। मार्च के दौरान कुछ बुजुर्ग महिलाएं ममता बनर्जी को गले लगाती दिखीं। ममता बनर्जी ने बच्चों को उनकी मांओं की गोद से लेकर उन्हें दुलार भी किया। टीएमसी की राज्यसभा सदस्य ममताबाला ठाकुर, मंत्री सुजीत बोस और पूर्व मंत्री एवं विधायक ज्योति प्रिय मलिक उन कई पार्टी पदाधिकारियों में शामिल थे जो मार्च में टीएमसी प्रमुख बनर्जी के साथ थे।
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