मणिपुरः कर्फ्यू का उल्लंघन कर मार्च निकालने पर पुलिस ने दागे आंसूगैस के गोले, झड़प में 30 से ज्यादा लोग घायल

झड़प के बाद मैतेई बहुल घाटी के सभी पांच जिलों- बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है और विभिन्न जिलों में सुरक्षा बलों की बड़ी टुकड़ी तैनात की गई है। कई हफ्तों से इन जिलों में कर्फ्यू में ढील दी जा रही थी।

मणिपुर में कर्फ्यू तोड़कर मार्च निकालने पर पुलिस ने दागे आंसूगैस के गोले, झड़प में 30 से ज्यादा लोग घायल
मणिपुर में कर्फ्यू तोड़कर मार्च निकालने पर पुलिस ने दागे आंसूगैस के गोले, झड़प में 30 से ज्यादा लोग घायल
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नवजीवन डेस्क

मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में बुधवार को कर्फ्यू का उल्लंघन कर विरोध मार्च निकाल रहे हजारों पुरुषों और महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग करते हुए कई राउंड आंसूगैस के गोले दागे। पुलिस से झड़प में महिलाओं समेत 30 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। पुलिस ने कहा कि फोगाकचाओ इखाई में सुरक्षा बैरिकेड तोड़ने की कोशिश कर रहे हजारों पुरुषों और महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए कई राउंड आंसूगैस के गोले दागे गए।

बुधवार को आदिवासी बहुल चुराचांदपुर जिले से कुछ किलोमीटर दूर विभिन्न जिलों के हजारों लोग बिष्णुपुर जिले के फौगाकचाओ इखाई में जुटे थे। उन्‍होंने कर्फ्यू, सरकार की अपील और अभूतपूर्व संख्या में केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों की तैनाती को धता बताते हुए 'विरोध मार्च' निकाला। इस दौरान उन्‍होंने सेना के बैरिकेड को भी हटाने की कोशिश की।

यह विरोध मार्च मैतेई समुदाय की एक प्रमुख संस्था मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) और उसकी महिला शाखा ने सेना के बैरिकेड को हटाने के लिए निकाला था। स्थानीय लोगों का दावा है कि सेना का बैरिकेड उन्हें टोरबुंग में अपने घरों में जाने से रोकता है। 3 मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद इस इलाके को खाली करवा लिया गया था।


पुलिस और सीओसीओएमआई नेताओं ने कहा कि झड़प में घायलों को अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। विभिन्न घाटी जिलों के सैकड़ों और हजारों पुरुषों और महिलाओं ने भी सुरक्षा बलों की आवाजाही को रोकने के लिए सड़कों को जाम कर दिया, जो इंफाल और अन्य घाटी जिलों से फौगाकचाओ इखाई की ओर जा रहे थे। सीओसीओएमआई के मीडिया समन्वयक सोमेंद्रो थोकचोम ने कहा कि संगठन ने पहले सरकार और संबंधित अधिकारियों से 30 अगस्त तक फौगाकचाओ इखाई में बैरिकेड हटाने का आग्रह किया था।

अपुनबा मणिपुर कनबा इमा लूप (एएमकेआईएल) के अध्यक्ष लौरेम्बम नगनबी के अनुसार, 3 मई को जातीय हिंसा शुरू होने के बाद मैतेई समुदाय के सैकड़ों लोग तोरबुंग और आसपास के इलाकों में अपने घर छोड़कर भाग गए और सेना की मोर्चाबंदी के कारण अपने घरों में जाने में असमर्थ हैं। नगनबी ने कहा, "हम मांग कर रहे हैं कि जो लोग टोरबुंग और आसपास के इलाकों में अपने घर लौटने या जाने के इच्छुक हैं, उन्हें अपने घर जाने या लौटने की अनुमति दी जाए।"


गंभीर कानून और व्यवस्था की समस्याओं की आशंका के कारण मणिपुर सरकार ने बुधवार को मैतेई बहुल पांच घाटी जिलों में कर्फ्यू में ढील रद्द कर दी थी और सीओसीओएमआई द्वारा बुलाए गए विरोध मार्च के मद्देनजर बड़े पैमाने पर सुरक्षा उपाय किए गए थे। अधिकारियों ने कहा कि घाटी के सभी पांच जिलों- बिष्णुपुर, काकचिंग, थौबल, इंफाल पश्चिम और इंफाल पूर्व में पूर्ण कर्फ्यू लगा दिया गया है और मंगलवार शाम से एहतियात के तौर पर विभिन्न जिलों में सुरक्षा बलों की एक बड़ी टुकड़ी तैनात की गई है।

पिछले कई हफ्तों से घाटी के सभी पांच जिलों में सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी जा रही थी। राज्य सरकार ने भी मंगलवार रात को सीओसीओएमआई से विरोध मार्च वापस लेने की अपील की थी। सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सपम रंजन ने कहा कि सरकार ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में पहले से ही कई बैरिकेड हटा दिए हैं। इसके अलावा, टोरबुंग क्षेत्र के लगभग 700 विस्थापित लोग, जो विभिन्न राहत शिविरों में शरण ले रहे थे, वापस आकर अपने मूल घरों में बसने लगे हैं, जो पिछले कुछ दिनों के दौरान क्षतिग्रस्त नहीं हुए थे।

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