देश के कई होटल बारूद के ढेर पर! लेवाना होटल अग्निकांड जैसे कई मामले आ चुके हैं सामने, फिर भी इतनी लापरवाही क्यों?

लेवाना अग्निकांड की घटना ने देश में हुए ऐसे कई हादसों की याद दिला दी है। लखनऊ की घटना कोई पहली घटना नहीं है। ऐसी कई घटनाएं यूपी समेत देश के कई हिस्सों में हो चुकी हैं। इन घटनाओं में कुछ बातें समान हैं और वो हैं लापरवाही, नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार।

फोटो: सोशल मीडिया
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विनय कुमार

अग्निकांड शब्द अपने आप में हादसे की भयावहता को दर्शाता है। बीते दिनों उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के होटल लेवाना सूट में आग लगने से 4 लोगों की जान चली गई। हादसे में कई लोग घायल भी हुए थे। इस हादसे में एक ऐसे जोड़े की मौत भी हुई थी, जिसकी कुछ ही दिनों में शादी होने वाली थी। सोचिए दो परिवारों पर क्या बीत रही होगी। इस घटना ने देश में हुए ऐसे कई हादसों की याद दिला दी है। लखनऊ की घटना कोई पहली घटना नहीं है। ऐसी कई घटनाएं यूपी समेत देश के कई हिस्सों में हो चुकी हैं। इन घटनाओं में कुछ बातें समान हैं और वो हैं लापरवाही, नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार।

लेवाना अग्निकांड से जो सवाल एक बार फिर खड़े हो गए हैं, वे हैं: क्या इस होटल के पास फायर NOC थी? क्या होटल के पास आग लगने पर इमरजेंसी एग्जिट के लिए सभी सुरक्षित रास्ते मौजूद थे? जांच एजेंसियों की मानें तो होटल लेवाना प्रबंधन ने सिर्फ NOC हासिल करने के लिए ही निकासी के लिए लोहे की सीढ़ियां लगवा दी थीं, लेकिन धुएं की निकासी की व्यवस्था तक नहीं थी। और न ही वहां के कर्मचारियों को आग बुझाने की ट्रेनिंग दी गई थी। होटल की इमारत का नक्शा तक पास नहीं कराया गया था। लखनऊ विकास प्राधिकरण का कहना है कि जहां पर होटल बना है, वह आवासीय भूमि थी।

लेकिन बड़ा सवाल है कि इतनी सारी खामियों के लिए क्या सिर्फ होटल का मालिक ही जिम्मेदार है? क्या इन खामियों के लिए तमाम अनुमति और एनओसी आदि देने वाले अधिकारी, इंजीनियर प्रशासन और सरकार जिम्मेदार नहीं है?

होटल लेवाना जैसी ही घटना साल 2018 में भी लखनऊ के एक प्रसिद्ध विराट होटल में हुई थी। इस अग्निकांड में कई लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी, और कई लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। उस समय जांच में यह बात सामने आई थी कि होटल ने कई नियमों की अनदेखी की थी।


इन घटनाओं को भी देखें, ये भी यूपी की हैं।

  1. 13 अप्रैल 2022 लखनऊ के विभूतिखंड में सेवी ग्रैंड होटल में आग लग गई थी। रुक-रु़ककर धमाके भी हुए थी। इस अग्निकांड के दौरान होटल में 15 लोग फंस गए थे।

  2. 19 जून 2018 में लखनऊ के चारबाग के नाका क्षेत्र में एसएसजे और विराट होटल में आग लगने से 7 लोगों मौत हो गई थी। जबकि इस घटना में कई लोग घायल हुए थे।

  3. 19 फरवरी 2018 गाजीपुर के अवध इंटरनेशनल में आग लग गई थी।

  4. 20 जून 2016 लखनऊ के नाका के संता इन होटल में आग लगने से दो युवक झुलस गए थे।

  5. 7 मई 2017 गाजीपुर के बेबियन इन होटल में आग लगने से लाखों का नुकसान हो गया था।

  6. 14 अगस्त 2013 में लखनऊ के दीप अवध होटल में आग लग गई थी, इस हादसे में जापानी नागरिक घायल हो गया था।

  7. 3 मई 2016 लखनऊ के सप्रू मार्ग के गोमती होटल में आग लग गई थी।

दिल्ली के होटलों और ऑफिस वाली इमारतों में हो चुके हैं हादसे

देश की राजधानी दिल्ली भी ऐसी घटनाओं से अछूती नहीं है। इसी साल 14 मई को मुंडका मेट्रो स्टेशन के पास स्थित चार मंजिला इमारत में आग लगने से कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई थी। 12 लोग जख्मी हुए थे।

साल 2019 में दिल्ली के करोलबाग स्थित होटल अर्पित पैलेस में भयानक आग लगी थी। हादसे में 17 लोगों की जान चली गई थी। लोग होटल में सो ही रहे थे। इसी दौरान शॉर्ट सर्किट से आग लगी और फैलती चली गई। शुरुआत में आग दूसरे फ्लोर पर थी, लेकिन उसके बाद तीसरे और चौथे फ्लोर पर भी आग फैल गई। जांच में होटल की लापरवाही की बात सामने आई थी।

लेवाना अग्निकांड के बाद कई मीडिया संस्थानों ने उत्तर प्रदेश के होटलों में आग से बचाव की हकीकत जानने की कोशिश की। खबरों के मुताबिक, इस दौरान काफी खामियां सामने आईं। ज्यादातर होटलों में सुरक्षा के मानक पूरे नहीं पाए गए।


एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोएडा का होटल सवॉय फायर सेफ्टी के रिएलिटी चेक में फेल हो गया। नोएडा के सेक्टर 16 स्थित होटल सवॉय के अंदर आग को लेकर सुरक्षा व्यवस्था नहीं पाई गई। फायर सेफ्टी के 4 मानकों में से 3 में होटल फेल हो गया। यहां तक कि होटल का फायर अलार्म और स्मोक डिटेक्टेर सिस्टम भी खराब मिला।

कानपुर के कई होटल सवालों के घेरे में

कानपुर के घंटाघर इलाके में बड़ी संख्या में होटल हैं, क्योंकि यहां पास में ही रेलवे स्टेशन और एक किलोमीटर की दूरी पर बस अड्डा भी है। मीडिया रिपोर्ट्स मुताबिक, हरबंस मोहाल इलाके में होटल शिव में आग बुझाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं पाई गई। यहां लगे आग बुझाने वाले सिलेंडर एक्सपायर्ड मिले। होटल में केवल एक ही सीढ़ी मिली और उसकी चौड़ाई बेहद कम थी।

कानपुर के ही होटल तिरुपति गैलेक्सी का भी कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला। आग बुझाने वाले संसाधन पूरी तरह से काम लायक नहीं मिले। आग बुझाने के लिए लगे सिलेंडर 2 साल पूर्व ही एक्सपायर हो गए थे। होटल की सीढ़ियां भी केवल ढाई फुट की पाई गईं। अगर कई हादसा हुआ तो होटल से लोगों को निकालना मुश्किल हो जाएगा।


होटलों में आखिर परेशानी क्या है?

1.. ज्यादातर होटल की इमारतों के ढांचे काफी पुराने हैं, जो हादसों को न्योता दे रहे हैं।

2. बाहुत सारे होटल रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों के पास हैं। इन होटलों की इमारतें एक-दूसरे से सटी हुई हैं, अगर किसी होटल में अनहोनी हुई तो दूसरे पर खतरा बढ़ जाता है।

3. अधिकांश होटल काफी भीड़-भाड़ वाले इलाकों में हैं, जहां लोगों के ऊपर हमेशा खतरा मंडराता रहता है।

4. सड़कों का संकरा होना भी हादसे की बड़ी वजह है। हादसा होने पर वहां राहत बचाव कर्मियों को पहुंचने में परेशानी होती है।

5. हादसे के दैरान पानी खत्म हुआ तो फिर दमकल की गाड़ी में पानी भरने का कोई सोर्स नहीं है।

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