नोएडा सुपरटेक मामले में कई अधिकारियों पर गिर सकती है गाज, योगी ने SIT को भूमिका की जांच का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुपरटेक मामले में अपने फैसले में कहा था कि निर्माण अवैध है और नोएडा प्राधिकरण और कंपनी के बीच मिलीभगत का परिणाम है। कोर्ट ने सुपरटेक को दो महीने के भीतर संबंधित फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज दर के साथ पैसे लौटाने को कहा है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नोएडा सुपरटेक ट्विन टावर मामले में सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का आदेश दिया है। साथ ही उन्होंने इस मामले में नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की भूमिका की जांच का आदेश दिया है। नोएडा सुपरटेक 40 मंजिला ट्विन टावर मामले में बिल्डरों और नोएडा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की सांठगांठ खुलकर उजागर हुई है।

उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक, सीएम योगी आदित्यनाथ ने नोएडा के ट्विन टावर मामले में जांच के लिए तुरंत सरकारी स्तर पर एसआईटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। 2004 से 2017 तक इस मामले से जुड़े अधिकारियों की जवाबदेही तय करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि एसआईटी को समयबद्ध कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है। इससे पहले योगी ने बुधवार को कहा था कि नोएडा ट्विन टावर मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


उच्चतम न्यायालय द्वारा मंगलवार को सुपरटेक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखने का आदेश देने के बाद योगी सरकार का यह कदम सामने आया है, जिसमें नोएडा में दो 40 मंजिला जुड़वां टावरों- टावर एपेक्स और टावर सियेन को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की दो सदस्यों वाली पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि निर्माण अवैध है और नोएडा प्राधिकरण और रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक के बीच मिलीभगत का परिणाम है। सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक को दो महीने के भीतर संबंधित फ्लैट मालिकों को 12 फीसदी ब्याज दर के साथ पैसे वापस करने का निर्देश दिया है।


साथ ही अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दो महीने के भीतर, आवंटित फ्लैट मालिकों द्वारा निवेश की गई सभी राशि याचिकाकर्ता (सुपरटेक) द्वारा वापस की जानी है। इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 अप्रैल 2014 को फैसला सुनाते हुए दो 40 मंजिला ट्विन टावरों को गिराने का आदेश दिया था।

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