मथुराः फैसल खान की गिरफ्तारी के खिलाफ गांधीवादियों में रोष, मंदिर में नमाज़ पढ़ने पर गिरफ्तारी को बताया गलत
‘खुदाई खिदमतगार’ के अध्यक्ष फैसल खान बीते दिनों अपने तीन साथियों चांद मोहम्मद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के साथ मथुरा के नंदबाबा मंदिर पहुंचे थे। इनमें से फैसल खान और चांद मोहम्मद ने वहीं ‘जोहर’ की नमाज पढ़ी, जिसकी तस्वीरें वायरल होने पर हंगामा हो गया है।
![फोटोः आस मोहम्मद कैफ](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2020-11%2Fba88e1e7-cfb7-49f6-b756-fca71668b19a%2FFaisal_Khan.jpg?rect=0%2C31%2C598%2C336&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
मानवतावादी कार्यकर्ता और सद्भाव के लिए काम करने वाली एक संस्था 'खुदाई खिदमतगार' के अध्यक्ष फैसल खान को उत्तर प्रदेश पुलिस ने दिल्ली के ओखला से गिरफ्तार किया है। फैसल खान पर आरोप है कि उन्होंने एक धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाई और उनके कृत्य से साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता था। फैसल खान पर यह आरोप इसलिए लगा है कि उन्होंने मथुरा के नंदबाबा मंदिर के प्रांगण में नमाज अदा की थी, जिसका वीडियो और फोटो वायरल हो गया था।
वहीं, फैसल खान का कहना है कि उन्होंने मंदिर में नमाज पढ़ने की इजाजत ली थी और वो ऐसा सम्प्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के लिए करना चाहते थे। वहीं इस मामले पर मंदिर के पुजारी का कहना है कि उन्होंने इसकी इजाजत नहीं ली थी। पुजारी की रिपोर्ट पर ही फैसल खान पर मुकदमा दर्ज हुआ है। यह नमाज मथुरा के नंदबाबा मंदिर के आंगन में अदा की गई थी। इन दिनों यह मामला काफी तूल पकड़े हुआ है।
![फोटोः आस मोहम्मद कैफ](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2020-11%2F9661d34c-81a2-4143-a0a8-ad9265840e7d%2FFaisal_Khan_4.jpg?auto=format%2Ccompress)
घटनाक्रम के मुताबिक खुदाई खिदमतगार संस्था को 2011 के बाद सक्रिय करने वाले फैसल खान अपने 84 कोसी सद्भावना यात्रा के तहत अपने तीन साथी चांद मोहम्मद, नीलेश गुप्ता और आलोक रतन के साथ दोपहर के समय नंदबाबा मंदिर में पहुंचे थे। इनमें से फैसल खान और चांद मोहम्मद ने मंदिर के आंगन में 'जोहर' की नमाज पढ़ी। नीलेश गुप्ता और आलोक रतन उस वक्त नजदीक ही खड़े रहे और उन्होंने उनके नमाज पढ़ने की तस्वीरें लीं। इसके बाद वे सभी लोग वहां से वापस दिल्ली लौट आए।
फैसल खान के अनुसार उस दिन नमाज पढ़ने के लिए उन्होंने पहले पुजारी से अनुमति ली थी और वे ऐसा सौहार्द बढ़ाने के लिए कर रहे थे। हालांकि, पुजारी ने अनुमति देने की बात से इनकार किया है। इसके बाद उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं और बहुसंख्यक समुदाय में नाराजगी फैल गई। मंदिर को अपवित्र करने का आरोप लगा और गंगाजल से मंदिर को पवित्र किया गया। वहां हवन और यज्ञ भी हुआ।
![मथुराः फैसल खान की गिरफ्तारी के खिलाफ गांधीवादियों में रोष, मंदिर में नमाज़ पढ़ने पर गिरफ्तारी को बताया गलत](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2020-11%2F70805f5b-3c93-4753-a2bf-0651fc0a9eb2%2FFaisal_Khan_3.jpg?auto=format%2Ccompress)
इसके बाद बहुसंख्यक समाज के कुछ लोगों ने जांच कराने की मांग उठाई। मथुरा के ही भगवताचार्य संजीव ठाकुर ने कहा कि "इसके पीछे माहौल खराब करने की साजिश लगती है। ऐसा लगता है कि दोनों समुदाय में कटुता पैदा करने का षड्यंत्र हुआ है। इस मामले की पूरी तरह गहराई से जांच होनी चाहिए। मथुरा के एसपी देहात श्रीशचंद्र के मुताबिक मंदिर के सेवादारों की शिकायत पर यह केस दर्ज किया गया है। सेवादारों ने पुलिस में शिकायत करते हुए बताया था कि उन्होंने कहा था कि वो दोनों धर्मो में आस्था रखते हैं।
खुदाई खिदमतगार के कार्यकर्ता और लखनऊ के निवासी हफीज किदवई के मुताबिक "यह बेहद तकलीफदेह है कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया, जो अपने ‘सबका घर’ में हर साल कृष्ण जन्माष्टमी मनाता था और जिसके कहने पर सैकड़ों मुसलमान लड़के दीपावली में सबका घर सजाते थे। वह उनमें आपसी मोहब्बत को बढ़ाते रहे और आज सोशल मीडिया और मीडिया की अंधी दौड़ में प्रेम के पैरोकार फैसल भाई को ही गिरफ्तार कर लिया गया। हर इंसान के सवालों के उत्तर हम दे सकते हैं, अपने कर्तव्यमठ यानी ‘सबका घर’ में जो हर त्यौहार मनाता हो, उससे आप यह पूछेंगे कि अपने यहां पूजा करने देंगे या नहीं। वो एक मानवतावादी कार्यकर्ता हैं और उनकी नीयत अमन और भाईचारा फैलाने की थी।
![फोटोः आस मोहम्मद कैफ](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2020-11%2F0c1a7531-ced4-47eb-978e-6550eacd2517%2FFaisal_Khan_2.jpg?auto=format%2Ccompress)
बता दें कि फैसल खान एक गांधीवादी कार्यकर्ता हैं। साल 2011 से उन्होंने 'खुदाई खिदमतगार' संगठन को पुनः सक्रिय किया, जिसकी स्थापना 1929 में खान अब्दुल गफ्फार खान ने की थी, जिन्हेंफ्रंटियर गांधी भी कहा जाता था। इस समय फैसल इस संस्था के राष्ट्रीय संयोजक हैं। उनकी संस्था मानवतावादी कार्यो से जुड़ी है। फैसल खान दिल्ली के ओखला इलाके में रहते हैं। यहां उन्होंने एक 'सबका घर' नाम से घर बनाया है। इस घर में सभी धर्मों की मान्यताओं का सम्मान होता है। विभिन्न धर्मों के लोग यहां अपनी धार्मिक स्वतंत्रता के साथ आश्रय ले सकते हैं।
फैसल खान ने देश भर सौहार्द्र के लिए हजारों किलोमीटर लंबी पदयात्राएं की हैं। इनमे गंगा की सफाई को लेकर यात्रा भी शामिल है। सामाजिक सद्भावना के लिए फैसल खान मंदिरों में जाते हैं, तिलक लगवाते हैं और सिर पर टोपी पहनते हैं। हिन्दू त्यौहार मनाते हैं और खासकर कृष्ण में उनकी गहरी आस्था है।
इस मामले में खुदाई खिदमतगार ने फैसल खान का पक्ष जारी करते हुए कहा है कि- “फैसल खान गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वो खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक हैं। हमारा गांधीवादी संगठन है। वो पांच दिवसीय तीर्थयात्रा (यात्रा) पर, 24-29 फरवरी 2020 को कृष्ण, ब्रज की पवित्र भूमि पर गए थे। वह गोवर्धन की प्राचीन चौरासी कोसी यात्रा में भाग ले रहे थे। अपनी यात्रा में उन्होंने कई लोगों के साथ-साथ विभिन्न मंदिरों के पुजारियों से मुलाकात की। कोई भी उनकी इस यात्रा के वीडियो और फोटो देख सकता है, जो उनके फेसबुक प्रोफाइल पर उपलब्ध हैं।”
“इस यात्रा के दौरान हिंदू धर्म के दर्शन, तुलसीदास जी के छंद, रसखान जी और रहीमदास के बारे में बड़ी चर्चा हुई। अपनी यात्रा के अंतिम दिन, फैसल खान ने "नंद बाबा" के पवित्र मंदिर का दौरा किया। वहां उनकी आज्ञा का पालन किया। उसी समय दोपहर की नमाज का वक्त हुआ तो उसके लिए उन्होंने उपयुक्त जगह मांगी। मंदिर में वहां मौजूद लोगों ने उन्हें यह कहकर मंदिर परिसर में ही पूजा करने की अनुमति दे दी कि आप पहले से ही भगवान के घर में हैं, इसलिए आपको कहीं और जाने की आवश्यकता नहीं है। यह सुनकर फैसल खान ने अपनी प्रार्थना पूरी की। इसके बाद वह और अन्य सदस्य कुछ और समय मंदिर में रहे और उन्होंने उसी मंदिर में अपना दोपहर का भोजन भी किया।”
![फोटोः आस मोहम्मद कैफ](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2020-11%2Fb5d7c4c5-7b92-4697-92ee-90c4cb37dbd3%2FFaisal_Khan_1.jpg?auto=format%2Ccompress)
फैसल खान की गिरफ्तारी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी विरोध हो रहा है। इसी कड़ी में गांधीवादी हिमांशु कुमार ने कहा, "फैसल खान ने मंदिर के आंगन में नमाज पढ़ ली उससे हिंदू और मुसलमान दोनों भड़के हुए हैं। मुसलमान इस बात से भड़के हुए हैं कि तुम मंदिर के आंगन में जाकर नमाज पढ़कर क्यों आए! कल को हिंदू अगर हमारी मस्जिद में पूजा करने की जिद करने लगे तो क्या होगा। हिंदू इस बात से भड़के हुए हैं कि हमने तो अपने धर्म की उदारता दिखा दी लेकिन तुमने नहीं दिखाई। सोशल मीडिया पर यही कमेंट आ रहे हैं कि अगर सद्भावना करनी है तो हमें मस्जिदों में भी दिवाली की पूजा हवन आरती करने दी जाए। तो भाई लोगों पहली बात तो यह है कि फैसल खान ने वह किया जिसकी इजाजत आपके मंदिर वालों ने दी थी! फैसल खान कोई जुलूस लेकर जबरदस्ती मंदिर में घुसकर हक के तौर पर मंदिर के गुंबद पर लाउडस्पीकर बांधकर अजान पढ़कर नमाज पढ़ने नहीं आए थे। वो हिंदू-मुस्लिम सद्भावना के लिए ब्रजमंडल की चौरासी कोस की यात्रा कर रहे थे और मंदिर रास्ते में पड़ा तो उन्होंने पुजारी से इजाजत मांगी। अब उनकी गिरफ्तारी पूरी तरह गलत है।”
हिमांशु कुमार आगे लिखते हैं, “फैसल खान ने जो किया वह दोनों धर्मों को मानने वाले लोगों की एकता के लिए किया। उनका समर्थन होना चाहिए, उनका साथ दिया जाना चाहिए। ऐसे वक्त में जब की नफरत बढ़ाई जा रही हो इस तरह के लोगों की बहुत ज्यादा जरूरत है। हिंदू और मुसलमानों दोनों को उनका समर्थन करना चाहिए।”
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Published: 04 Nov 2020, 6:10 PM