मेन्यू पहले से तय था, बिना अनुमति की जा रही थी पूजा, बहाने से 'ABVP गुंडों' ने किया हमला- JNU कावेरी अध्यक्ष का दावा

जेएनयू के कावेरी हॉस्टल में मेन्यू हर माह पहली तारीख को तय होता है, इसके अलावा बिना अनुमति पूजा की जा रही थी, इसके बाद भी एबीवीपी ने बहाने से छात्रों पर हमला कर दिया। यह दावा किया है कावेरी हॉस्टल के अध्यक्ष नवीन कुमार ने।

फोटो : सोशल मीडिया
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जेएनयू के कावेरी हॉस्टल के अध्यक्ष नवीन कुमार का दावा है कि, “विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने हिंसा की शुरुआत की और अब वे दावा कर रहे हैं कि रामनवमी की पूजा को बाधित करने की कोशिश की गई।” ध्यान रहे कि रविवार को जेएनयू में आरएसएस की छात्र शाखा विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओँ ने मांसाहार भोजन पर हंगामा किया और अन्य छात्रों के साथ मारपीट की थी। इस हिंसा में कम से कम एक दर्जन छात्रों को चोटें आई थीं।

नवीन कुमार का कहना है कि पूजा में किसी ने भी कोई बाधा डालने की कोशिश नहीं की थी। उन्होंने दावा किया कि, “विद्यार्थी परिषद कार्यकर्ताओं ने पूजा की अनुमति भी नहीं ली थी।” उन्होंने कहा, “नियमानुसार छात्रों को किसी भी तरह के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। लेकिन इस मामले में एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कोई भी अनुमति नहीं ली थी। वैसे भी इस पूजा से किसी को आपत्ति नहीं थी क्योंकि राम की पूजा तो आस्था का मामला है।”

नेशनल हेरल्ड को मिली जानकारी के मुताबिक कावेरी हॉस्टल के वार्डन गोपाल परिहार ने भी राम नवमी की पूजा के लिए कोई अनुमति नहीं दी थी। उन्होंने छात्रों को लिखे एक पत्र में कहा है कि एबीवीपी को किसी आयोजन से पहले प्रशासन की अनुमति लेना चाहिए।

जेएनयू में पीएचडी कर रहे एक अन्य छात्र ने कहा कि, “दूसरे हॉस्टल से एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने कावेरी आकर हिंसा को अंजाम दिया।” इस छात्र ने कहा, “पहले तो इन लोगों ने बिना अनुमति पूजा का आयोजन किया, इसके बाद कावेरी के गेट पर करीब 2 बजे इन्होंने वेंडर पर हमला किया, इसके बाद शाम को उस समय कावेरी हॉस्टल में छात्रों पर हमला किया जब छात्रों और वार्डन के बीच मेन्यू बदलने पर बातचीत हो रही थी।”

नवीन कुमार ने भी यही बात कही। उन्होंने कहा कि हॉस्टल मेस का मेन्यू हर महीने पूरे महीने के लिए पहली तारीख को तय हो जाता है। एबीवीपी पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए नवीन कुमार ने कहा, “मेन्यू मेस सेक्रेटरी तय करता है जो कि चुना हुआ छात्र प्रतिनिधि होता है।” उन्होंने कहा कि ये सबकुछ बहुत ही लोकतांत्रिक तरीके से होता है। मेन्यू हर महीने की शुरुआत में आपस में बातचीत कर तय किया जाता है। हम हर महीने की पहली तारीख को जीबीएम बुलाते हैं और मेन्यू पर सबकी सहमति ली जाती है। किसी पर कुछ भी थोपा नहीं जाता। जो लोग नॉन वेज खाना चाहते या नहीं खाना चाहते हैं उनकी मर्जी होती है। हॉस्टल में दोनों तरह का खाना मिलता है।“


नवीन कुमार ने जोर देकर कहा कि, “पूरे मामले को जानबूझकर विवादित किया जा रहा है ताकि जेएनयू को धार्मिक आधार पर बांटा जा सके।” उन्होंने कहा कि, “यह पहला मौका नहीं है जब नवरात्रि के दौरान जेएनयू में नॉन वेज भोजन परोसा जा रहा है। लेकिन चूंकि एबीवीपी को तो हंगामा करना था इसीलिए इसे तूल दिया गया।”

रविवार रात हुई हिंसा में कई छात्रों को चोटें आई हैं. मामला पुलिस तक भी पहुंचा है। लेफ्ट छात्रों का दावा है कि हिंसा में करीब 50 छात्रों को चोट लगी है जबकि एबीवीपी ने भी दावा किया है कि उसके कम से कम 10 लोगों चोटें आई हैं।

पूरे मामले के कई वीडिओ भी सामने आए हैं, जिनमें एमए समाजशास्त्र द्वितीय वर्ष की छात्रा अखतरिस्ता अंसारी के सिर से खून बहता दिखाई दे रहा है। घटना के बाद छात्रो के दोनों गुटों ने रविवार रात कई जगहों पर प्रदर्शन आदि भी किया।

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