प्रवासी कश्मीरी पंडितों ने हैदरपोरा मुठभेड़ को बताया 'हत्याकांड', निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की

सतीश महलदार का कहना है कि हैदरपोरा की घटना पूर्ण स्वार्थ, लालच और असहिष्णुता का मामला प्रतीत होता है, जिसके कारण अन्य नागरिकों को जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति से वंचित होना पड़ा और राज्य को नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

प्रवासी कश्मीरी पंडितों के एक संगठन ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर जिले के हैदरपोरा में हाल ही में हुई मुठभेड़ को 'हत्याकांड' करार दिया है और इस घटना की जांच की मांग की। प्रवासी कश्मीरी पंडितों के सुलह, वापसी और पुनर्वास मामलों से जुड़े संगठन के अध्यक्ष सतीश महलदार के अनुसार, "हैदरपोरा की घटना स्पष्ट रूप से हत्याकांड का मामला प्रतीत होती है।"

सतीश महलदार ने दावा करते हुए कहा, "यह हत्या एक इंसान की दूसरे द्वारा द्वेष के साथ की गई अन्यायपूर्ण हत्या है। सोमवार की मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से दो के परिवार ने पुलिस के बयान का स्पष्ट रूप से खंडन किया है।" उन्होंने कहा कि आतंकवाद का स्पष्ट रूप से मानवाधिकारों पर बहुत वास्तविक और प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है, जिसके पीड़ितों के जीवन, स्वतंत्रता और शारीरिक अखंडता के अधिकार पर विनाशकारी परिणाम होते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि इतना ही नहीं, आतंकवाद नागरिक समाज को भी कमजोर करता है, शांति और सुरक्षा को खतरे में डालता है और यह कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए खतरा है। महलदार ने कहा कि इन सभी ने प्रत्येक कश्मीरी के मानवाधिकारों पर वास्तविक प्रभाव डाला है।

उन्होंने कहा, "आपराधिक कानून का अंतिम उद्देश्य दूसरों के आक्रमण के खिलाफ व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा है- कानूनविहीन अपराधियों के खिलाफ कमजोरों की सुरक्षा।"
उनका कहना है कि हैदरपोरा की घटना पूर्ण स्वार्थ, लालच और असहिष्णुता का मामला प्रतीत होता है, जिसके कारण अन्य नागरिकों को जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति से वंचित होना पड़ा और राज्य को नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है।


महलदार ने कहा, "अगर लोग देवदूत होते तो कोई सरकार आवश्यक नहीं होती।" उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह जीवन और संपत्ति के मूल अधिकारों की रक्षा करना सरकार का प्राथमिक कार्य है। उन्होंने कहा कि राज्य को व्यक्तियों को अराजकता, अव्यवस्थित व्यवहार, हिंसक कृत्यों और दूसरों के कपटपूर्ण कार्यों से सुरक्षा प्रदान करनी होती है। सरकार द्वारा नागरिकों के मूल अधिकारों की सुरक्षा के बिना स्वतंत्रता का अस्तित्व नहीं हो सकता।

महलदार के अनुसार, "मानवाधिकारों का सम्मान और कानून का शासन आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का आधार होना चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी ऐसी रणनीतियों के विकास की आवश्यकता है, जो आतंकवाद के कृत्यों को रोकने, ऐसे आपराधिक कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों पर मुकदमा चलाने और मानवाधिकारों और कानून के शासन को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने की मांग करती है।"

सतीश महलदार ने मांग की है कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक हैदरपोरा घटना की तथ्यों पर आधारित जांच करने के लिए पांच सदस्यों- एक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, दो डिप्टी एसपी और दो निरीक्षकों की एक जांच टीम का गठन करें।

बता दें कि श्रीनगर शहर के हैदरपोरा इलाके में सोमवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच कथित मुठभेड़ में चार लोग मारे गए थे। मारे गए लोगों की पहचान एक विदेशी आतंकवादी, जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले से संबंधित उसके सहयोगी, जहां मुठभेड़ हुई उस इमारत के मालिक अल्ताफ अहमद और इमारत के एक फ्लोर पर कॉल सेंटर चलाने वाले डॉ. मुदस्सिर के रूप में की गई है।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia