महाराष्ट्र: दूध की कीमत बढ़ाने को लेकर किसानों का बड़ा आंदोलन, सड़कों पर बहाया सैकड़ों लीटर दूध

महाराष्ट्र में किसानों का दूध आंदोलन शुरू हो गया है। राज्य सरकार की ओर से एक लीटर दूध पर 27 रुपए देने का वादा पूरा न करने के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इस दौरान किसानों द्वारा राज्य के कई जिलों में सड़कों पर दूध की नदियां बहाई गईं।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

स्वाभिमान शेतकरी संगठन के किसान सोमवार से दूध की कीमतों में वृद्धि की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक लीटर दूध पर 27 रुपये देने की मांग पूरी न होने के विरोध में इसकी घोषणा की गई है। संगठन को ऑल इंडिया किसान सभा और दूध उत्पादक शेतकरी संघर्ष समिति का भी समर्थन मिला है। आंदोलन का बड़ा असर मुंबई और पुणे में देखने को मिल रहा है। पुणे में स्वाभिमान शेतकारी संगठन के कार्यकर्ताओं ने दूध के पैकेट से भरे ट्रक को रोक उसमें तोड़फोड़ की और उसमें रखे दूध के पैकेट सड़क पर फेंक दिए।

खबरों के मुताबिक, संगठन ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने दूध पर 27 रुपये प्रति लीटर कीमत देने की घोषणा की थी, लेकिन किसानों को केवल 17 से 20 रुपये ही मिलता है। वहीं, बाज़ार में जाकर यही दूध 40 से 45 रुपये की कीमत में बेचा जाता है।

लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने बताया कि, “किसान डेयरी में 17 रुपये प्रति लीटर दूध बेचते हैं। इसके प्रसंस्करण के बाद डेयरी इसे पाउच में पैक करते हैं और 42 रुपये प्रति लीटर न्यूनतम दर से बेचते हैं। कमाई में इस अंतर का लाभ किसान को नहीं मिलता है। उन्होंने आगे कहा, “पुणे और मुंबई में मध्यरात्रि से दूध की आपूर्ति रोकी जाएगी। हमें हमारी मांगों के लिए दबाव बनाना पड़ेगा क्योंकि राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कोई मजबूत फैसला नहीं ले रही है।”

किसान नेता अजित नवले ने बताया कि दूध उत्पादक किसान पिछले छह महीनों से राज्य सरकार से दूध के सही दाम देने की मांग कर रहे हैं और मार्च महीने में निकाले गए किसान लॉन्ग मार्च में भी किसानों ने यह मुद्दा उठाया था. इसके अलावा राज्य स्तर पर किसान पहले भी आंदोलन कर चुके हैं और साथ ही उन्होंने जिलाधिकारियों के दफ्तर में मुफ्त में दूध भी बांटा है।

15 जुलाई को महाराष्ट्र के सांगली में स्वाभिमान शेतकरी संघटना के कार्यकर्ताओं ने दूध की एक टैंकर की तोड़फोड़ की और दूध को सड़क पर बहा दिया। हालांकि किसान नेताओं ने यह आश्वासन दिया है कि 16 जुलाई से होने वाली आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से की जाएगी और पहले केवल दूध को बिक्री के लिए नहीं दिया जाएगा और ज़रूरत पड़ने पर किसान सड़कों पर भी उतरेंगे।

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