बिहार विधानसभा के गेट पर कार रोके जाने से भड़के नीतीश के मंत्री, सदन के बहिष्कार का किया ऐलान
मंत्री जीवेश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि यह निर्धारित करें कि डीएम और एसएसपी की रैंक ऊपर होती है या कैबिनेट मंत्री की? इन अधिकारियों के कारण विधानसभा गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी निर्वाचित प्रतिनिधियों का अपमान कर रहे हैं।
![फोटोः @JIBESHKUMAR](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2021-12%2Fd1934ca9-a51e-4a3d-951d-3f2bb9699629%2FJibesh_Kumar.jpg?rect=0%2C0%2C828%2C466&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
बिहार की नीतीश कुमार सरकार में बीजेपी कोटे से श्रम मंत्री जीवेश कुमार ने आरोप लगाया है कि गुरुवार को विधानसभा के गेट पर सुरक्षाकर्मियों ने उनकी कार को इसलिए रोक दिया क्योंकि डीएम और एसएसपी का काफिला उस गेट से जा रहा था। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि जब तक राज्य सरकार पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह और एसएसपी उपेंद्र शर्मा को निलंबित नहीं कर देती, वह विधानसभा की कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे।
नीतीश कुमार सरकार में बीजेपी कोटा से मंत्री जीवेश कुमार ने विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा से कहा, "मैं आपसे (अध्यक्ष) अनुरोध करता हूं कि यह निर्धारित करें कि डीएम और एसएसपी की रैंक ऊपर होती है या कैबिनेट मंत्री की? इन अधिकारियों के कारण विधानसभा के गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी निर्वाचित प्रतिनिधियों का अपमान कर रहे हैं।"
जीवेश कुमार ने कहा, "हमें इन दोनों अधिकारियों को तत्काल निलंबित करने की जरूरत है। मैं विधानसभा की कार्यवाही में तब तक भाग नहीं लूंगा जब तक उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो जाती।" साथ ही उन्होंने कहा, "सर (अध्यक्ष), आप बिहार विधानसभा के संरक्षक हैं। इसलिए, आपको उनके खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन देना चाहिए।"
जीवेश कुमार को इस मुद्दे पर सदन के अंदर अन्य बीजेपी विधायकों और विपक्षी नेताओं का भी समर्थन मिला। आरजेडी विधायकों ने भी कहा कि बिहार पुलिस मानसून सत्र के दौरान विपक्षी विधायकों पर बर्बर हमले और एक कैबिनेट मंत्री के साथ बदसलूकी करने में शामिल है। हालांकि, घटना के बाद संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने एसएसपी और डीएम का बचाव किया। उन्होंने गेट पर तैनात ट्रैफिक कर्मियों को दोषी ठहराया, जिन्होंने मंत्री की गाड़ी रोक दी।
गौरतलब है कि बीजेपी विधायकों और मंत्रियों ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन पार्टी की बैठक के दौरान नौकरशाही के दबदबे पर चिंता व्यक्त की थी। कई लोगों का मानना था कि बीजेपी के लिए इस सरकार से दूर रहना ही बेहतर है, क्योंकि अधिकारी उनकी शिकायतों को नहीं सुनते हैं।
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