अपने हक के लिए जंतर-मंतर पर जुटे देश भर के मनरेगा मजदूर, मोदी सरकार पर लगाया फंड रोकने, भुगतान में देरी का आरोप

हाल में संसद में सरकार ने खुद माना कि मनरेगा के लिए तहत विभिन्न राज्यों को करीब 7,257 करोड़ के फंड का भुगतान नहीं हुआ है। राज्यसभा में सीपीएम सांसद बिनॉय विश्वम के सवाल के जवाब में सरकार ने कहा कि 2,537 करोड़ की श्रम सामग्री भी राज्यों को नहीं दी गई है।

फोटोः विपिन
फोटोः विपिन
user

नवजीवन डेस्क

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत काम के लिए नामांकित लोगों के वेतन का भुगतान करने में अत्यधिक देरी, योजना के लिए अपर्याप्त धन आवंटन और उसमें भी देरी, वेतन वितरण में अनियमितता और वर्तमान में रोजगार योजना के कार्यान्वयन को प्रभावित करने वाले अन्य मुद्दों के खिलाफ देश भर के मनरेगा मजदूर दिल्ली पहुंच गए हैं और जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

अपने हक के लिए जंतर-मंतर पर जुटे देश भर के मनरेगा मजदूर, मोदी सरकार पर लगाया फंड रोकने, भुगतान में देरी का आरोप

दिल्ली के जंतर-मंतर पर मनरेगा मजदूरों का यह आंदोलन 2 से 4 अगस्त तक चलेगा। मनरेगा मजदूरों के संगठन ने इस बारे में बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष 2022-23 में मनरेगा के लिए आवंटित धन का 66.44% पहले ही समाप्त कर चुकी है। इस वित्तीय वर्ष में आवंटित किए गए 73,000 करोड़ रुपये में से चालू वित्त वर्ष के चार महीनों के भीतर कुल व्यय 48,502 करोड़ रुपये है, जिसमें छह महीने से अधिक समय से बकाया भुगतान शामिल हैं।

अपने हक के लिए जंतर-मंतर पर जुटे देश भर के मनरेगा मजदूर, मोदी सरकार पर लगाया फंड रोकने, भुगतान में देरी का आरोप

मजदूरों के यूनियन ने कहा कि मनरेगा बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पिछले वर्षों की लंबित देनदारियों के भुगतान के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे बजट चालू वित्तीय वर्ष के लिए पूरी तरह से अपर्याप्त रहता है। वित्त वर्ष 2022-23 में 31 जुलाई, 2022 तक 11,464 करोड़ रुपये पिछले वर्षों की देनदारियों को पूरा करने के लिए खर्च किए गए हैं। सरकार पर 1 अगस्त, 2022 तक मजदूरी, सामग्री और प्रशासनिक खर्चों सहित 4,419 करोड़ रुपये बकाया हैं। सबसे अधिक भुगतान बकाया कर्नाटक (665 करोड़ रुपये), इसके बाद पश्चिम बंगाल (482 करोड़ रुपये), मध्य प्रदेश (456 करोड़ रुपये), उत्तर प्रदेश (434 करोड़ रुपये), ओडिशा (349 करोड़ रुपये) और तेलंगाना (257 करोड़ रुपये) का है।

अपने हक के लिए जंतर-मंतर पर जुटे देश भर के मनरेगा मजदूर, मोदी सरकार पर लगाया फंड रोकने, भुगतान में देरी का आरोप

गौरतलब है कि केंद्र में बीजेपी को मोदी सरकार आने के बाद से ही इस पर कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरु की गई मनरेगा के लिए पैसे नहीं देने के आऱोप लगते रहे हैं। हाल में सरकार ने खुद माना है कि इस योजना के लिए तहत विभिन्न राज्यों को दिया जाने वाले करीब 7,257 करोड़ के फंड का अभी भुगतान नहीं हुआ है। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर है जिन्हें मनरेगा का पैसा नहीं मिला है।

इसे भी पढ़ें: 'मनरेगा' के लिए पैसे नहीं दे रही मोदी सरकार, अब तक नहीं हुआ 7,257 करोड़ के फंड का भुगतान

अपने हक के लिए जंतर-मंतर पर जुटे देश भर के मनरेगा मजदूर, मोदी सरकार पर लगाया फंड रोकने, भुगतान में देरी का आरोप

बीते दिनों राज्यसभा में सीपीएम सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने संसद को जानकारी दी कि मनरेगा मद का 2,620 करोड़ रुपया अभी पश्चिम बंगाल को दिया जाना है। इसी तरह बीजेपी शासित हरियाणा का सबसे कम बकाया है। केंद्र को हरियाणा को सिर्फ 8.05 करोड़ रुपए ही चुकाने हैं। मंत्री ने यह भी बताया कि करीब 2,537 करोड़ की श्रम सामग्री भी राज्यों को नहीं दी गई है।

अपने हक के लिए जंतर-मंतर पर जुटे देश भर के मनरेगा मजदूर, मोदी सरकार पर लगाया फंड रोकने, भुगतान में देरी का आरोप

हालांकि, केंद्र सरकार के पास इस बात का कोई आंकड़ा नहीं है कि इस योजना के तहत कितने मजदूरों या कामगारों या सुपरवाइजरों को तीन महीने से अधिक समय से भुगतान नहीं हुआ है। सरकार के इस जवाब पर बिनॉय विश्वम ने कहा कि मनरेगा के तहत भुगतान में देरी होने से लोंगों को तमाम समस्याओं और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि वैसे भी महंगाई के इस दौर में जीवनयापन मुश्किल हो गया है।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia


Published: 02 Aug 2022, 3:49 PM