असम में स्थिति सामान्य होने पर हिंसा प्रभावित इलाकों में मोबाइल इंटरनेट बहाल

पिछले हफ्ते पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के कुछ हिस्सों में हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 170 से अधिक लोग घायल हुए थे।

फोटो: सोशल मीडिया
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पीटीआई (भाषा)

असम के हिंसा प्रभावित कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के बाद रविवार को मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बहाल कर दी गईं। यह जानकारी एक आधिकारिक आदेश में दी गई। एक अधिकारी ने बताया कि दोनों जिलों में कड़ी सुरक्षा निगरानी जारी है और सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं।

पिछले हफ्ते पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के कुछ हिस्सों में हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 170 से अधिक लोग घायल हुए थे। इनमें अधिकांश सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। गृह एवं राजनीतिक विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय तिवारी द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को 23 दिसंबर को निलंबित किया गया था, जिन्हें अब तत्काल प्रभाव से बहाल कर दिया गया है।

आदेश में कहा गया है कि दोनों जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति सामान्य हो गई है और फिलहाल सार्वजनिक शांति एवं सौहार्द भंग होने की कोई आशंका नहीं है। इसके तहत मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने का आदेश रविवार सुबह आठ बजे से रद्द कर दिया गया और दोनों जिलों में कार्यरत सभी मोबाइल सेवा प्रदाताओं को अपनी सेवाएं बहाल करने का निर्देश दिया गया।

दीफू में एक अधिकारी ने बताया कि संकटग्रस्त क्षेत्रों में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। दुकानें और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुलने लगे हैं और लोग आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए बाहर निकल रहे हैं।


उन्होंने कहा कि सेना, त्वरित प्रतिक्रिया बल और केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में तैनात हैं। अधिकारी ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा फिलहाल लागू रहेगी।

आदिवासी क्षेत्रों में ग्राम चरागाह आरक्षित क्षेत्र (वीजीआर) और व्यावसायिक चरागाह आरक्षित क्षेत्र (पीजीआर) पर हिंदी भाषी लोगों द्वारा कथित अतिक्रमण को लेकर कार्बी और बिहारी समुदायों के बीच टकराव जारी है।

शुक्रवार को राज्य सरकार, कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) और प्रदर्शनकारियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक हुई थी, जिसमें मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया कि सरकार दोनों जिलों में चरागाह भूमि से बेदखली पर लगी रोक के संबंध में शीघ्र आदेश के लिए गुवाहाटी उच्च न्यायालय का रुख करेगी।

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