धर्म और राष्ट्रीय पहचान के नाम पर देश को बांट रही है मोदी सरकार, CAA-NRC से करोड़ों मुसलमानों में खौफ

इकोनॉमिस्ट का कहना है कि मोदी सरकार देश के संविधान के सिद्धांतों को कमजोर कर रही है और उनके ताजा कदम से देश के लोकतंत्र कोदशकों तक नुकसान झेलना पड़ेगा। इतना ही नहीं मोदी औ बीजेपी सरकार देश में अलगावपैदा करने की कोशिश कर रही है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश के अलग अलग हिस्सों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारी सरकार से इस कानून को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच द इकॉनोमिस्ट की वेबसाइट पर लेख लिखा गया है, जिसमें सीएए समेत कई मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर देश में अलगाव पैदा करने का आरोप लगाया गया है।

लेख के मुताबिक, मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून में बदलाव कर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आने वाले लोगों को जिसमें, हिंदू, सिख, ईसाई के लोग शामिल हैं, उन्हें नागरिकता देने का ऐलान किया, लेकिन इस कानून में प्रताड़ित मुस्लिमों को शामिल नहीं किया है। इसको लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।


लेख के मुताबिक, बीजेपी सरकार सभी भारतीयों के लिए एक रजिस्टर बनाना चाहती है, जिसमें 1.3 अरब भारतीयों के डाटा को शामिल किया जाएगा और अवैध शरणार्थियों की पहचान की जाएगी। लेकिन देश में हालात यह है कि 20 करोड़ मुसलमानों में से कई लोगों के पास नागरिकता साबित करने के लिए कोई सबूत तक नहीं है, उनके पास को कागजात ही नहीं है। इस स्थिति को लेकर देश मुसलमान डरे हुए हैं कि उन्हें देश से बाहर कर दिया जाएगा। द इकॉनोमिस्ट के लेख में बताया गया है कि सरकार ने डिटेंशन कैंप बनाने के आदेश दिए हैं।

लेख में हिंदू राष्ट्र का भी जिक्र किया गया है। लेख के मुताबिक, मोदी सरकार सहिष्णु, सर्व-धर्म समभाव के रास्ते पर न चलकर भारत को हिंदू राष्ट्र राह पर ले जाना चाहती है। इस लेख में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और 2002 में हुए गुजरात दंगों का जिक्र किया गया और इसको लेकर बीजेपी सरकार पर आरोप लगाए गए हैं।


लेख के मुताबिक, मोदी सरकार पर देश के संविधान के साथ खिलवाड़ करने का भी आरोप लगाया गया है। ये भी कहा गया है कि मोदी सरकार देश के संविधान के सिद्धांतों को कमजोर कर रही है और इसका असर दशकों तक देश पर देखने को मिलेगा है। द इकोनॉमिस्ट का कहना है कि सरकार के इस तरह के कदम से देश में हिंसा भी भड़क सकती है लेकिन धर्म और राष्ट्रीय पहचान के आधार पर अलगाव पैदा करने से बीजेपी सरकार को फायदा मिल सकता है।

लेख के मुताबिक, मोदी सरकार का मकसद रहा है कि सीएए और एनआरसी जैसे कदमों से देश के लोगों का अन्य मुद्दों जैसे अर्थव्यवस्था से ध्यान भी हटाया जा सके।

द इकोनॉमिस्ट के लेख में आरोप लगाया गया है कि लोगों के मनों में डर और खौफ बैठकर मोदी सरकार सत्ता में बने रहना चाहती है। वहीं महात्मा गांधी के सिंद्धातों का जिक्र करते हुए लेख में लिखा गया है कि पीएम मोदी गांधी जी के सिद्धातों की धज्जियां उड़ा रही है।

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