मोदी सरकार को नहीं रहा रेल यात्रियों पर भरोसा, कड़ाके की सर्दी में आधा घंटा पहले ही कंबल छीन लेगा रेलवे

ट्रेन सफर के दौरान कंबलों की चोरी रोकने के लिए रेलवे ने अनोखा तरीका निकाला है, जिसके तहत अब सफर खत्म होने से आधा घंटा पहले ही रेल यात्रियों से कंबल, चादर और तकिये वापस ले लिए जाएंगे। खास बात ये है कि यह नियम अभी कड़ाके की सर्दी में ही लागू किया जाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारतीय रेल के अधिकारियों ने ट्रेन यात्रा के दौरान यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल, चादर और तकियों की चोरी रोकने के लिए अनोखा तरीका निकाला है। इसके तहत अब रेलवे यात्रियों का गंतव्य स्टेशन आने से आधे घंटे पहले ही उनसे कंबल, चादर और तकिये वापस ले लेगा। रेल मंत्रालय ने ये फैसला ट्रेनों से कंबल, तकिए, चादर और तौलियों की चोरी रोकने के लिए लिया है।

इस नये फैसले की जानकारी खुद रेल राज्य मंत्री राजेन गोहांई ने लोकसभा को देते हुए बताया कि अब एसी कोच में यात्रा कर रहे यात्रियों से उनका स्टेशन आने से आधा घंटा पहले ही ये सभी सामान ले लिए जाएंगे। गोहांई ने बकहा कि रेलवे ने यह कदम सामानों की बढ़ रही चोरी रोकने के लिए उठाया है।

बता दें कि ट्रेन से यात्रा के दौरान एसी कोच में यात्रियों को एक कंबल, दो चादर, कवर लगा एक तकिया और एक तौलिया दिया जाता है। आमतौर पर यात्री पूरी होने के बाद यात्री ये सभी सामान अपनी सीट पर छोड़कर चले जाते हैं, जिसे बाद में कोच अटेंडेंट उठाकर ले जाता है। लेकिन पिछले कई सालों से सीएजी की रिपोर्ट से पता चला है कि हर साल यात्रा के दौरान ट्रेनों से लाखों तौलिए और लाखों चादर और कंबल भी चोरी हो गए। हालांकि रेलवे ने बीते दिनों ट्रेन में तौलिये की चोरी को देखते हुए उसकी जगह यूज एण्ड थ्रो वाला नैपकिन देना शुरु कर दिया था। हालांकि अभी यह सभी रेल मंडलों में लागू नहीं किया गया है।

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बीते साल रेल मंत्रालय ने ट्रेनों से हो रही सामानों की चोरी पर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार साल 2017-18 में सफर के दौरान ट्रेनों से 14 करोड़ रुपये के कंबल, चादर, तकिया और तौलिया जैसे सामान चोरी हो गए। एक अनुमान के मुताबिक इस दौरान 12,83,415 तौलिये, 4,71,077 चादर, 56,287 तकिए और 46,515 कंबल गायब हुए थे। बता दें कि वर्तमान नियमों के हिसाब से रेलवे ट्रेन यात्रा के दौरान ये सभी सामान ठेकेदार के माध्यम से यात्रियों को उपलब्ध कराता है। ऐसे में जब सामान चोरी होता है तो रेलवे ठेकेदार से ही चोरी हुए सामानों की वसूली करता है।

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