'मणिपुर में जारी संघर्ष को लेकर चिंतित नहीं है मोदी सरकार, पूरी तरह विफल हो चुका है सरकारी तंत्र'
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने कहा, ‘‘कानून-व्यवस्था और जान-माल की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है...लोग जानते हैं कि सरकार अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है या नहीं। सरकारी तंत्र पूरी तरह विफल हो चुका है।”
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूर्वोत्तर राज्य में एक साल से अधिक समय से जारी जातीय हिंसा को लेकर चिंतित नहीं है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता ने कहा कि विपक्ष का इस स्थिति से राजनीतिक लाभ उठाने का कोई इरादा नहीं है लेकिन उन्हें बोलने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘हम और 10 अन्य समान विचारधारा वाले राजनीतिक दल समाधान निकालने की कोशिश में जुटे हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कानून-व्यवस्था और जान-माल की सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी है...लोग जानते हैं कि सरकार अपने कर्तव्यों का पालन कर रही है या नहीं। सरकारी तंत्र पूरी तरह विफल हो चुका है।”
सिंह ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन किया होता तो कोई भी राजनीतिक दल उसकी आलोचना नहीं करता।
उन्होंने कहा, “जान-माल के नुकसान की जिम्मेदारी किसकी है? लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मणिपुरियों को भारतीय नागरिक के रूप में देखें और सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करके समस्या का समाधान निकालें।”
तीन बार मुख्यमंत्री रहे सिंह ने कहा, “प्रधानमंत्री अपने चुनाव प्रचार के लिए पड़ोसी राज्य असम में रात बिता सकते हैं लेकिन मणिपुर नहीं आना चाहते, जहां जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोग मारे गए और 60 हजार लोग बेघर हो गए।”
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