मोदी सरकार 112 करोड़ देशवासियों की जेब से 1,60,000 करोड़ लूट रही, यह एक बहुत बड़ा घोटाला है: कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार वसूली में देरी कर निजी टेलीकॉम कपंनियों को फायदा पहुंचा रही है। बता दें कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के बावजूद टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग को देनदारी नहीं जमा करने पर फटकार लगाई थी।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाए को लेकर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 112 करोड़ देशवासियों की जेब से 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए निकाले हैं। उन्होंने कहा कि प्रीपेड मोबाइल ग्राहकों को लूटा गया है। इतना ही नहीं सेलफोन कंपनियों को छूट दी गई है। यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। उन्होंने आगे पूछा कि क्या एजीआर को रिकवर करने के लिए टैरिफ में 40 फीसदी को बढ़ोत्तरी की गई?

उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में आगे कहा, “मोदी सरकार द्वारा प्रिपेड मोबाईल ग्राहकों से 1,60,000 करोड़ की लूट के ‘नए प्रयोग’ की ‘अद्भुत क्रोनोलाजी’ समझिए।”

1. 24 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा टेलीकॉम कंपनियों को 1,02,000 करोड़ रुपए जमा करवाने का आदेश दिया गया, जो उन्हें टेलीकॉम पॉलिसी, 1999 में ‘एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू’ के तौर पर जमा करवाना था। यह 1,02,000 करोड़ रुपया वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल भारती, टाटा टेलीसर्विसेस (जिसकी मालिक अब एयरटेल है) और रिलायंस जियो के द्वारा दिया जाना है।

2. 29 नवंबर, 2019 को पीएम मोदी ने केंद्रीय मंत्रीमंडल की बैठक में टेलीकॉम कंपनियों द्वारा साल 2020-21 और 2021-22 की 42,000 करोड़ spectrum auction installment को लंबित कर दिया। इस तरह तीन निजी टेलीकॉम कंपनियों यानि वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल भारती और रिलायंस जियों को 42,000 करोड़ की पेमेंट पोस्टपोन हो गई है।

3. 1, 3 और 6 दिसंबर, 2019 को वोडाफोन-आइडिया, एयरटेल और रिलायंस जियो द्वारा प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों के ‘सेलफोन शुल्क’ और ‘डेटा इस्तेमाल शुल्क’ को 40 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया। इसका मतलब है कि 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों को अब 35,561.81 करोड़ रुपया सालाना अतिरिक्त टेलीकॉम कंपनियों को देना होगा

4. 23 जनवरी, 2020 को मोदी सरकार ने एक आदेश जारी कर टेलीकॉम कंपनियों से 1,02,000 करोड़ की रिकवरी और कड़ी कार्रवाई को पोस्टपोन कर दिया और आदेश दिया कि ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कंपनियों से पैसे के भुगतान का दबाव न डाला जाए और न ही कोई दंडात्मक कार्यवाही की जाए’।

5. 14 फरवरी, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना का नोटिस जारी करते हुए आदेश दिया कि टेलीकॉम कंपनियों से 1,02,000 करोड़ रुपए की रिकवरी की जाए।


रणदीप सुरजेवाला ने आगे कहा कि मोदी जी के संयोग और प्रयोग का नतीजा है कि आम मेहनतकश हिंदुस्तानी प्रिपेड सेल फोन ग्राहक है, जिसे वो अपने परिवार, व्यवसाय, रोटी और रोज़गार के लिए इस्तेमाल करता है। 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों के सेलफोन टैरिफ यानि शुल्क को 40 प्रतिशत बढ़वाकर मोदी सरकार ने मेहनतकश लोगों पर 35,561.81 करोड़ रु. का सालाना अतिरिक्त भार डाल दिया है। यानि मोदी जी के 4.5 साल के बचे कार्यकाल में 112 करोड़ प्रिपेड सेलफोन ग्राहकों को 1,60,028 करोड़ रुपए अतिरिक्त देने होंगे।

रणदीप सुरेजवाला ने आगे कहा कि मोदी सरकार से देश के कुछ सवाल हैं।

1. मोदी सरकार ने 112 करोड़ प्रिपेड सेल फोन ग्राहकों पर 1,60,028 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ डाल उनकी मेहनत की कमाई पर डाका क्यों डाला है?

2. क्या सेल फोन कंपनियों द्वारा सेल फोन टैरिफ (शुल्क) और डेटा यूजेज चार्ज 40 प्रतिशत तक बढ़ाकर कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले 1,02,000 करोड़ के भुगतान की वसूली की जा रही है?

3. मोदी सरकार द्वारा 23 जनवरी, 2020 के आदेश से टेलीकॉम कंपनियों से 1,02,000 करोड़ रुपए की रिकवरी को लंबित करने और मोदी सरकार के कैबिनेट के 29 नवंबर, 2019 के निर्णय से टेलीकॉम कंपनियों का 42,000 करोड़ रुपया की देनदारी को लंबित करने के पीछे क्या राज है?

4. क्या बीजेपी सरकार इस असीम कृपा का कारण बताएगी?

गौरतलब है कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के बावजूद टेलीकॉम कंपनियों को दूरसंचार विभाग को देनदारी नहीं जमा करने पर फटकार लगाई थी।

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