देश के आधे लोग मानते हैं मोदी सरकार करती है ईडी-सीबीआई जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग- सर्वे

मोदी सरकार के शासन में केंद्रीय जांच एजेंसियोंं का दुरुपयोग होता है और वे राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाती हैं। मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर सी-वोटर द्वारा किए गए सर्वे में करीब आधी आबादी ने माना है कि एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है।

विपक्षी दल केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं
विपक्षी दल केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं
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आईएएनएस

केंद्र की मोदी सरकार ने 26 मई को 9 साल पूरे किए हैं। इस मौके पर हुए सर्वे में सामने आया है कि देश के करीब 50 फीसदी लोगों का मानना है कि मोदी सरकार ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ करती है। यह सर्वे सी वोटर ने आईएएनएस के लिए किया है।

नरेंद्र मोदी ने केंद्र की सत्ता को 26 मई 2014 को संभाला था। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी को 282 सीटें मिली थीं। इससे बाद मोदी सरकार ने तमाम तरह के ऐसे फैसले लिए हैं जिन्हें लेकर विवाद रहा है। 2014 के चुनाव प्रचार में बीजेपी और मोदी के प्रचार का बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार था। इसी क्रम में केंद्रीय एजेंसियों को बड़े पैमाने पर सक्रिय किया गया, जिसके बाद इन एजेंसियों ने बेशुमार छापे और जब्ती की कार्यवाहियां की हैं।

विपक्ष लगातार इस बात को उठाता रहा है कि मोदी सरकार में केंद्रीय एजेंसियों को दुरुपयोग कर राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे उनके सामने राजनीतिक और चुनावी चुनौतियों के रूप में खड़े हैं।

हालांकि बहुत से लोग हैं जो मोदी सरकार के कामकाज को कई पैमानों पर अच्छा बताते हैं लेकिन सी-वोटर के सर्वे में देश के 49 फीसदी लोगों ने कहा है कि मोदी सरकार पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के विपक्ष के आरोप सही हैं। हालांकि 35 फीसदी लोगों का कहना था कि वे ऐसा नहीं मानते।


सर्वे में खुलासा हुआ है कि यूपीए समर्थकों में से 60 फीसदी लोग मानते हैं कि मोदी सरकार में केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग होता है, वहीं 30 फीसदी एनडीए समर्थक भी ऐसा ही मानते हैं।

ध्यान रहे कि बीते वर्षों में केंद्रीय एजेंसियों ने विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और उनके समर्थकों के खिलाफ जांच, अन्वेषण, छापे और गिरफ्तारियों जैसी कार्रवाई की है। सरकार का तर्क है कि एजेंसियां स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करती हैं।

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