किसान प्रदर्शन से डरी मोदी सरकार! कई वरिष्ठ मंत्री समझाने में जुटे, कहा- मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी
किसानों के प्रदर्शन को लेकर सरकार चिंतित है। सरकार ने किसानों के साथ बातचीत की पेशकश की है। कई वरिष्ठ मंत्री कृषि कानूनों को लेकर किसानों को समझाने में जुटे हुए हैं।
![फोटो: सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2020-11%2Fcdaf8f94-79a0-422c-84fc-908f8afeb56b%2F95b0e9a5e19cf7d686c649d483d13047.jpg?rect=0%2C0%2C1080%2C608&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न राज्यों के कई किसान और किसान संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसान लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं हालात काबू में रहे इसके लिए किसानों के हर मूवमेंट पर आरएएफ के जवानों की निगाह बनी हुई है। किसानों के प्रदर्शन को लेकर सरकार चिंतित है। सरकार ने किसानों के साथ बातचीत की पेशकश की है। कई वरिष्ठ मंत्री कृषि कानूनों को लेकर किसानों को समझाने में जुटे हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, “नए कृषि कानून एपीएमसी मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आजादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पाएगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर।”
वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, “कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज्यादा एमएसपी पर बेचा। एमएसपी भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।”
इससे पहले पीएम मोदी भी रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कृषि कानून के फायदे गिनाए थे और किसानों से किसी तरह के अफवाह में नहीं आने की बात कही थी। गौरतलब है कि सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों में किसानों के मन में एमएसपी और मंडियों को लेकर कई संशय बरकरार है।
बता दें कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे हैं. इससे पहले बीती रात भी जेपी नड्डा के घर, अमित शाह-राजनाथ सिंह-नरेंद्र सिंह तोमर की बैठक हुई थी। इससे पहले किसानों ने सिंघु बॉर्डर पर बैठक कर गृह मंत्री अमित शाह के फैसले को ठुकराते हुए बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जाने से इनकार कर दिया था। किसानों ने कहा कि बुराड़ी का मैदान कोई पार्क नहीं बल्कि एक खुली जेल है। बुराड़ी जाने की बजाय किसानों ने जंतर-मंतर जाने की बात कही है। बुराड़ी ना जाने का फैसला 30 किसान संगठनों ने मिलकर लिया।
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