मोदी सरकार को मंत्रालयों से चाहिए ऐसे आंकड़े जिससे साबित हो, हर साल एक करोड़ रोजगार का वादा हुआ पूरा

केंद्र की मोदी सरकार ने सभी मंत्रालयों से बीते चार साल में पैदा हुए रोजगार के आंकड़े मांगे हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार अपने 4 साल के रिपोर्ट कार्ड में इसे शोकेस करना चाहती है।

फाइल फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

क्या मोदी सरकार अपनी चौथी सालगिरह पर रोजगार के ऐसे आंकड़े पेश करने वाली है जिससे सबके मुंह बंद हो जाएंगे? क्या सरकार के पास सच में ऐसे आंकड़े हैं जिनसे साबित होगा कि पीएम नरेंद्र मोदी अपने वादे के मुताबिक हर साल एक करोड़ लोगों को रोजगार दे पाए हैं?

दरअसल केंद्र की मोदी सरकार बेरोजगारी के मुद्दे पर चौतरफा घिरी हुई है और लोकसभा चुनाव सिर पर आने के बाद अब मोदी सरकार में हड़बड़ी मच गई है। सरकार के 4 साल पूरे होने पर अब किसी तरह रोजगार सृजन के आंकड़े जुटाकर एक तस्वीर पेश करने की कवायद शुरु कर दी गई है। इसके लिए पीएम मोदी ने सभी विभागों और मंत्रालयों को निर्देश दिए हैं कि वे यह आंकड़ें जुटाएं कि किस विभाग और मंत्रालय से बीते 4 साल में कितने रोजगार पैदा हुए।

मंत्रालयों को निर्देश दिया गया है कि वे कि उनके अधीन विभागों के तहत विभिन्न परियोजनाओं और कार्यक्रमों का लेखाजोखा तैयार करें और इसकी जानकारी निकालें कि इन कार्यक्रमों के जरिए कितने रोजगार पैदा किए गए? ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्रालयों से ये आंकड़ा भी जुटाने को कहा गया है कि उनके तहत चलाए गए कार्यक्रमों और परियोजनाओं का जीडीपी पर क्या असर पड़ा।

विभिन्न मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि उनसे जो आंकड़े मांगे गए हैं उसका मकसद सरकार की उस छवि को बदलना है कि मोदी हर साल एक करोड़ रोजगार पैदा करने का वादा पूरा नहीं कर पाए। सूत्रों के मुताबिक सरकार को लगता है कि अगर मोदी को 2019 जीतना है तो इसके लिए ये आंकड़े निर्णायक साबित हो सकते हैं।

गौरतलब है कि बीते कुछ महीनों से मोदी सरकार पर रोजगार को लेकर चौतरफा हमले हो रहे हैं और सरकार इस मोर्चे पर अपना बचाव नहीं कर पा रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई जनसभाओं में कहा था कि अगर उनकी सरकार बनेगी तो वे हर साल एक करोड़ रोजगार पैदा करेंगे। कुछेक जनसभाओं में उन्होंने दो करोड़ रोजगार की बात भी की थी। लेकिन अभी तक को जो आंकड़े सामने आए हैं उससे स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार इस मोर्चे पर वादा पूरा नहीं कर पाई है और बुरी तरह नाकाम साबित हुई है।

सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों को रोजगार निर्माण पर फोकस करने को कहा है। साथ ही सभी मंत्रियों को उन पांच शीर्ष जिलों की सूची भी तैयार करने को कहा है जिन्हें सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों से सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा है और इससे लोगों की जीवन शैली में आए बदलावों का भी अध्ययन करने को कहा गया है।

ब्लूमबर्ग ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि सरकार ने इन आंकड़ों के लिए गणितीय सबूत जुटाने को कहा तो है, लेकिन गणितीय तौर पर इस पर काम करना बेहद मुश्किल है और जो भी नतीजे आएंगे हो सकता है कि वे एकदम सटीक ना हों।

ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बिजनेस इन्फर्मेशन कंपनी के हवाले से रोजगार के आंकड़े दिए गए हैं। इसमें बताया गया है कि 15 महीने तक 6.23 फीसदी पर रहने वाली बेरोजगारी दर अप्रैल महीने में 0.37 फीसदी गिरकर 5.86 पर आ गई है। इसके अलावा हाल ही में आई इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में बेरोजगारी का स्तर पिछले साल की तुलना में एक स्तर ऊपर बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में भारत में 1 करोड़ 83 लाख लोग बेरोजगार थे जिनकी संख्या 2018 में 1 करोड़ 86 लाख हो गई है।

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Published: 09 May 2018, 4:31 PM