संसद में मोदी सरकार जारी करे 'श्वेत पत्र', बताए- किसानों की आय दोगुनी करने के लिए क्या कदम उठाए गए?: कांग्रेस

कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, फरवरी 2016 में पीएम मोदी ने वर्ष 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इन वर्षों में किसानों की आय वास्तव में कम हुई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

एमएसपी कानून की मांग के बीच कांग्रेस ने गुरुवार को साल 2004, 2014, 2022 में किसानों की आय पर मोदी सरकार से संसद में श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैरा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, फरवरी 2016 में पीएम मोदी ने वर्ष 2022 में किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया था। लेकिन इन वर्षों में किसानों की आय वास्तव में कम हुई है। खैरा ने कहा, 2004 और 2014 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने किसानों की आय को दोगुना से अधिक कर दिया था।

उन्होंने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) किसानों की आय निर्धारित करने के बुनियादी मापदंडों में से एक है। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने सत्ता में आने के आठ साल के भीतर दो मुख्य फसलों गेहूं और धान के एमएसपी को दोगुना कर दिया था। किसान कांग्रेस के अध्यक्ष ने कहा, 2004 में जब डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए ने सत्ता संभाली थी, तब गेहूं का एमएसपी 640 रुपये प्रति क्विंटल था जो 2011-2012 में बढ़कर 1,285 रुपये प्रति क्विंटल हो गया और बाद में 1,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। इसी तरह 2004 में धान का एमएसपी 560 रुपये प्रति क्विंटल था, जो 2013-14 में 1,310 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।

खैरा ने कहा, इसके विपरीत बीजेपी सरकार के कार्यकाल में अब तक धान और गेहूं के एमएसपी में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि नहीं हुई। आजादी के बाद मोदी सरकार भारत की पहली सरकार है, जिसने कीटनाशकों, उर्वरकों और कृषि उपकरणों पर जीएसटी लगाया। उन्होंने टिप्पणी करते हुए पूछा, किसानों की आय दोगुनी करना प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का एक और महाकाव्य 'जुमला' है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 5 साल में पूंजीपतियों का 10 लाख करोड़ रुपए माफ किया है। लेकिन मोदी सरकार ने किसानों का कोई कर्जा माफ नहीं किया।

किसान नेता ने कहा, किसानों को भी डीजल जैसे इनपुट लागत में वृद्धि के मामले में दोहरी मार का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपने आरोप की पुष्टि करते हुए कहा, मई 2014 में डीजल की कीमतें 55.48 रुपये प्रति लीटर थीं, जबकि दिसंबर 2022 में ये 89.62 रुपये प्रति लीटर हैं, यानी डीजल की कीमतें करीब 61 फीसदी तक बढ़ गई हैं। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद है।


26 मई, 2014 को जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी और मोदी सरकार आई थी, कच्चे तेल की कीमत दिसंबर 2022 में 108 डॉलर प्रति बैरल थी, औसत 77.99 डॉलर प्रति बैरल थी, जो कि लगभग 28 प्रतिशत कम है। उन्होंने कहा, लेकिन सरकार किसानों और आम आदमी को लाभ नहीं दे रही है। भारत सरकार ने 2016 में किसानों की आय दोगुनी करने वाली समिति का गठन किया, जिसने 2018 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की और वह रिपोर्ट अभी भी सत्ता के गलियारों में धूल फांक रही है, उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों की आय दोगुना करना सरकार का कोई इरादा नहीं था, वह लोगों को केवल बेवकूफ बनाना चाहते थे।

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के अपने वादे को पूरा नहीं करने पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने उनसे पूछा कि 2016 में गठित समिति की सिफारिशों का क्या हुआ। खैरा ने कहा, किसानों की आय दोगुनी होने की बजाय घट गई। इसकी पुष्टि भारत सरकार के राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण ने भी की है।

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