'शकुनि रूप धारण कर मोदी सरकार ने फिर किया किसानों से छल'- खरीफ फसल की एमएसपी को लेकर कांग्रेस का पीएम पर हमला

खरीफ फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा को कांग्रेस ने किसानों के साथ छल करार देते हुए कहा है कि मोदी सरकार ने मूल्य निर्धारण में 50 फीसदी मुनाफा तो दूर, लागत तक का ध्यान नहीं रखा है।

फोटो : Getty Images
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मोदी सरकार द्वारा खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा पर कांग्रेस ने केंद्र पर निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव और मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे किसानों के साथ धोखा और छल करार दिया है। उन्होंने कहा कि एमएसपी की घोषणा में किसानों को फसल की लागत और उस पर 50 फीसदी मुनाफा देना तो दूर किसानों को फसल की लागत तक नहीं मिलेगी।

सुरजेवाला ने कहा कि आखिर देश के धरतीपुत्र अन्नदाता पर भाजपाई कुठाराघात कब रुकेगा ! उन्होंने कहा कि, "शकुनि रूप धारण किए तथा छल और कपट की चौसर बिछाए मोदी सरकार ने एक बार फिर खरीफ फसल मूल्य निर्धारण में धरतीपुत्र किसान से क्रूरता और बर्बरता का परिचय दिया है।" कांग्रेस महासचिव ने कहा कि, "मोदी सरकार का किसान विरोधी चेहरा एक बार फिर उजागर हुआ, जब खरीफ 2021-22 की फसलों की कीमतों का मूल्य निर्धारण करते हुए मोदी सरकार ने देश के किसानों से एक बार फिर विश्वासघात किया।"

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा कि एक तरफ देश के किसान महामारी के घोर संकट में भी अपनी मेहनत से रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कर देश की डूबती अर्थव्यवस्था को थामे हैं और देश के खाद्यान्न जरूरतों को भी पूरा कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ जुल्मी मोदी सरकार किसान के खेत खलिहान पर लगातार वार कर रही है। खरीफ फसलों का किसान हित विरोधी एमएसपी निर्धारण भी इसी का हिस्सा है।

सुरजेवाला ने कुछ बिंदुओं के जरिए अपनी बात रखते हुए कहा कि जब देश में मुद्रास्फीति की दर यानी महंगाई की दर 6.2 फीसदी है, ऐसे में खरीफ फसलों की एमएसपी में मात्र 3.7 फीसदी की बढ़ोत्तरी किसानों के साथ मजाक है। उन्होंने कहा कि आखिर किसान इससे अपनी फसल की लागत कैसे पूरी करेगा? उन्होंने का हि किसान के लिए वैसे भी महंगाई की दर 20 फीसदी है क्योंकि बीते 13 महीने में किसानों के ईंधन डीजल की कीमत ₹24.18 प्रति लीटर बढ़ा दी गई।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने बीते सात साल में अकेले डीज़ल पर 820 प्रतिशत एक्साईज़ ड्यूटी बढ़ाई है। यही नहीं, खाद पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया, कीटनाशक दवाई पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाया और ट्रैक्टर तथा खेती के उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाया। खाद और कीटनाशक दवाईयों की कीमतों में मोदी सरकार के सात सालों में लगभग 100 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है। इस तरह प्रति हेक्टेयर खेती पर लागत लगभग ₹20,000 प्रति हेक्टेयर बढ़ा दी है। इसके विपरीत, खरीफ फसलों की औसत वृद्धि 3.7 प्रतिशत है। ऐसे में किसान क्या कमाए और क्या खाए?


कांग्रेस ने कहा कि ताजा घोषित खरीफ फसलों की कीमतों को देखें तथा ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ द्वारा बताई गई प्रांतों में फसलों की उत्पाद कीमतों से मुकाबला करें, तो साफ है कि मोदी सरकार खरीफ फसलों की कीमतों का निर्धारण करते हुए किसान को लागत मूल्य भी नहीं दे रही। ऐसे में सत्ता में आने से पहले किसान को ‘‘लागत (C2) + 50% मुनाफा’’ कब मिलेगा। अगर यह किसान के साथ धोखा, छल व कपट नहीं, तो और क्या है?

सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार असलियत कम और अखबार की सुर्खियां बनाने में ज्यादा विश्वास रखती है। सच यह है कि एक सोचे समझे षडयंत्र के तहत मोदी सरकार एमएसपी पर फसल खरीदी कम कर रही है, ताकि धीरे-धीरे एमएसपी ही खत्म हो जाए। जब एमएसपी पर फसल खरीद होगी ही नहीं, तो एमएसपी देने के क्या मायने बचते हैं? उन्होंने कहा कि इसका सबूत सामने है।

सुरजेवाला ने बताया कि मोदी सरकार ने साल 2020-21 में एमएसपी पर 389.93 लाख टन गेहूं खरीदा। पर चालू साल में 30 अप्रैल, 2021 तक (साल 2021-22 में) एमएसपी पर खरीदे जाने वाले गेहूं की मात्रा कम कर 271 लाख टन कर दी। यानि चालू साल 2021-22 में पिछले साल 2020-21 के मुकाबले एमएसपी पर 118.93 लाख टन गेहूं कम खरीदा गया। इसी प्रकार 2019-20 में एमएसपी पर 519.97 लाख टन धान खरीदा गया। पर 2020-21 में मोदी सरकार ने एमएसपी को कमजोर करने के लिए एमएसपी पर मात्र 481.41 लाख टन धन ही खरीदा, जो38.56 लाख टन कम था।

उन्होंने कहा कि इस प्रकार से एमएसपी को खत्म करने की साजिश की जा रही है।

कांग्रेस महासचिव ने बताया कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना का बजट काट किसान के पेट पर फिर लात मारी गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण योजना का साधारण नाम भावांतर योजना भी है। बार बार यह कहा गया कि अगर किसान को मूल्य नहीं मिलेगा, तो फिर या तो सरकार इस स्कीम में खरीद करेगी या फिर किसान को न्यूनतम मूल्य और बाजार भाव के बीच की राशि किसान के खाते में डाली जाएगी। लेकिन मोदी सरकार ने इस स्कीम का बजट ही काट दिया। साल 2019-20 में पीएम आशा का बजट 1500 करोड़ था, जो साल 2020-21 में कम करके सिर्फ 400 करोड़ कर दिया गया। यानि 1100 करोड़ की कटौती कर दी। क्या 400 करोड़ रु. में देश के किसान को भावांतर योजना में कोई लाभ मिल सकता है?

उन्होंने कहा कि अब भी समय है कि किसान की एमएसपी प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी अपने किए वादे के अनुरूप - लागत+50प्रतिशत मुनाफा पर दें तथा अन्नदाता किसान के खिलाफ बनाए तीनों काले कानून खत्म करें। वरना वह दिन दूर नहीं, जब देश का अन्नदाता वोट की चोट से भाजपा सरकार को उखाड़ कर फेंक देगा।

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