चीफ जस्टिस रमना की असहमति के आगे झुकी मोदी सरकार, सीबीआई प्रमुख की दौड़ से बाहर करना पड़ा दो पसंदीदा नाम

बैठक में सीजेआई रमना ने मार्च 2019 के प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों की ओर इशारा किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे किसी व्यक्ति को सीबीआई निदेशक नहीं बनाया जा सकता है, जिसकी सरकारी नौकरी या कार्यकाल छह महीने से भी कम बचा हो।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की ओर से विरोध जताए जाने के बाद केंद्र सरकार को कम से कम अपने दो पसंदीदा नामों को सीबीआई प्रमुख की दौड़ से बाहर करना पड़ा है। प्रधान न्यायाधीश रमना की ओर से नियुक्ति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश का हवाला दिए जाने के बाद मोदी सरकार को इन नामों को हटाने का फैसला लिया गया।

सूत्रों के अनुसार, सीजेआई रमना ने मार्च 2019 के प्रकाश सिंह मामले में शीर्ष अदालत के दिशा-निर्देशों की ओर इशारा किया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि ऐसे किसी व्यक्ति को सीबीआई निदेशक नहीं बनाया जा सकता है, जिसकी सरकारी नौकरी या कार्यकाल छह महीने से भी कम बचा हो। सूत्र ने बताया कि सीजेआई रमना इस बात पर अड़े रहे और उन्हें लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का भी समर्थन मिला, जिससे प्रधानमंत्री को उनकी मांग का पालन करना पड़ा।


सीजेआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए, यह स्पष्ट किया गया कि एनआईए प्रमुख वाई. सी. मोदी, जो मई के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और राकेश अस्थाना, जो वर्तमान में बीएसएफ के प्रमुख हैं और इस साल जुलाई में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, सीबीआई के शीर्ष पद की दौड़ से बाहर हैं।

सूत्रों ने बताया कि वाई. सी. मोदी और अस्थाना सीबीआई के निदेशक पद के लिए शीर्ष दावेदारों में शामिल थे। हालांकि उनके नाम हटाए जाने के बाद, पीएम की अगुवाई वाली चयन समिति, जिसमें सीजेआई और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल हैं, ने सोमवार शाम एक बैठक में तीन आईपीएस अधिकारियों के नामों पर चर्चा की, जिनमें सीआईएसएफ प्रमुख सुबोध जायसवाल, एसएसबी डीजी के. आर. चंद्रा और गृह मंत्रालय (एमएचए) में विशेष सचिव वी. एस. के. कौमुदी शामिल हैं।

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीजेआई रमना ने सीबीआई निदेशक के चयन में एक नया बार स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि प्रकाश सिंह का फैसला राज्य पुलिस के डीजीपी की नियुक्ति के बारे में था। सीबीआई के प्रमुखों का दो साल का कार्यकाल निश्चित होता है। हालांकि, ऐसा पहली बार हुआ है कि नियुक्ति से पहले छह महीने के कार्यकाल की शर्त का पालन किया गया है।

बता दें कि मार्च 2019 में तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि हम स्पष्ट करते हैं कि ऐसे किसी व्यक्ति को सीबीआई का निदेशक नहीं बनाया जा सकता है, जिसकी सरकारी नौकरी या कार्यकाल छह महीने से भी कम बचा हो।

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