संसद के विशेष सत्र का एजेंडा और फाइल नोटिंग की कॉपी देने से मोदी सरकार का इंकार, मकसद पर रहस्य और गहराया
आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने कहा कि विशेष सत्र बुलाने के निर्णय और एजेंडे की कॉपी देने से इंकार करना सरकार की मनमानी और तानाशाही को बताता है। इससे यह भी साफ है कि अचानक संसद के इस विशेष सत्र को बुलाने के पीछे के रहस्य को मोदी सरकार जनता से छिपा रही है।
![संसद के विशेष सत्र का एजेंडा और फाइल नोटिंग की कॉपी देने से मोदी सरकार का इंकार](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2023-09%2Fc25ef2f5-87c5-44da-889c-2e57901daccc%2FModi_Govt.jpg?rect=0%2C1%2C973%2C547&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की ओर से बुलाए गए संसद के विशेष सत्र के मकसद को लेकर रहस्य की परतें और गहरी होती जा रही हैं। क्या विशेष सत्र का मकसद महिला आरक्षण विधेयक पास करवाना ही था या मोदी सरकार कुछ और बड़ा धमाका करना चाह रही थी, जो वह कर नहीं पाई। क्या इसका उद्देश्य इंडिया गठबंधन की मुंबई में हुई बैठक से ध्यान भटका कर हेडलाइन मैनेज करना था या कुछ और। विशेष सत्र बुलाने को लेकर राष्ट्रपति के आदेश और इसके एजेंडे की सूचना आरटीआई के तहत देने से इंकार कर मोदी सरकार ने इस रहस्य को और गहरा कर दिया है।
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पूरे देश की निगाहें 18 से 22 सितंबर के बीच बुलाए गए संसद के विशेष की सत्र की तरफ कुछ बड़ा होने की संभावना मानकर टिकी हुई थीं। तारीख नजदीक आते-आते कयासों का समुद्र हिलोरें मारने लगा था। फिर पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक के पास होने के बाद अचानक एक दिन पहले ही सत्र स्थगित कर दिए जाने से यह बात बलवती हो गई कि मोदी सरकार के एजेंडे में दरअसल कुछ और था। जब वह इसे जमीन पर उतार नहीं पाई तो एक दिन पहले ही अचानक सत्र स्थगित कर दिया गया।
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पानीपत के आरटीआई कार्यकर्ता पीपी कपूर ने यही बात जानने के लिए जिस दिन सदन स्थगित किया गया यानि 21 सतंबर को संसदीय कार्य मंत्रालय में आरटीआई लगा दी। इसमें उन्होंने राष्ट्रपति द्वारा 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाने के आदेश और एजेंडे की कॉपी फाइल नोटिंग सहित मांगी थी, ताकि देश जान पाए कि मोदी सरकार ने अचानक यह विशेष सत्र किसलिए बुलाया था? मोदी सरकार का आखिर मकसद क्या था?
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फोटोः सोशल मीडियाइसके ज़वाब में संसदीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी एवं अवर सचिव एसएस पात्रा ने अपने 26 सितंबर के पत्र में बेहद चौंकाने वाला जवाब दिया है। उन्होंने मांगी गई सूचना देने से ही साफ इंकार कर दिया। आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 8(1)(आई) का संदर्भ देकर उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री परिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के निर्णय तभी सार्वजनिक किए जा सकते हैं जब निर्णय लिया जा चुका हो और कार्य पूरा हो चुका हो।
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पीपी कपूर ने भारत सरकार द्वारा सूचना देने से इंकार कर देने पर हैरानी व्यक्त करते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार जानबूझ कर आरटीआई एक्ट की गलत व्याख्या देकर जनहित की अति महत्वपूर्ण सूचना छिपा रही है। गत 18 सितंबर से शुरू हुआ संसद का विशेष सत्र समाप्त हो चुका है, लेकिन देश को यह नहीं मालूम कि ये विशेष सत्र बुलाया क्यों गया था। इसके पीछे क्या सरकार का कोई गुप्त एजेंडा था?
उन्होंने कहा कि इस विशेष सत्र बुलाने के निर्णय और एजेंडे की कॉपी देने से इंकार करना सरकार की मनमानी और तानाशाही को बताता है। इससे यह भी स्पष्ट है कि अचानक संसद के इस विशेष सत्र को बुलाने के पीछे के रहस्य को मोदी सरकार जनता से छिपा रही है। लगता है किसी गुप्त एजेंडे के अंतर्गत ये विशेष सत्र बुलाया गया था, इसलिए सरकार सूचना सार्वजनिक नहीं कर रही है।
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