कोरोना संकट में अव्यवस्था पर सवालों के घेरे में मोदी सरकार, कई हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी लगाई फटकार

कोरोना वायरस महामारी पर गुरुवार को स्वत: ज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने केंद्र से कोरोना संकट से निपटने में ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं की सप्लाई, वैक्सीनेशन नीति और लॉकडाउन पर राष्ट्रीय प्लान मांगा है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश में भयावह हो चुके कोरोना महामारी से बिगड़ते हालात को लेकर देश के कई राज्यों के हाईकोर्ट के बाद आज सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय नजर आया। शीर्ष अदालत ने कोर्ट ने देश भर में अस्पताल, ऑक्सीजन, बेड और जरूरी दवाओं की मारामारी को देखते हुए गुरुवार को स्वतः संज्ञान लिया और मामले की सुनवाई में केंद्र को जमकर फटकार लगाई। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हालात भयावह हैं, देश में नेशनल इमरजेंसी जैसे हालात हैं।

इसके साथ ही चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने केंद्र से ऑक्सीजन सप्लाई, जरूरी दवाओं की आपूर्ति, वैक्सीनेशन नीति, लॉकडाउन लगाने के राज्यों के अधिकार जैसे चार मुद्दों पर नेशनल प्लान पेश करने को कहा। कोर्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि लॉकडाउन का अधिकार राज्यों के पास रहे, लेकिन फिर भी हम लॉकडाउन लगाने के हाईकोर्ट के न्यायिक अधिकारों पर गौर करेंगे।इस मामले पर अब कोर्ट कल 23 अप्रैल को सुनवाई करेगी।

आज की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कोरोना और ऑक्सीजन जैसे मुद्दों पर देश के छह अलग-अलग हाईकोर्ट में चल रहे मामलों का जिक्र करते हुए इन सबको अपने पास मंगाने के भी संकेत दिए। कोर्ट ने कहा कि इस समय कोरोना से जुड़े मुद्दों पर दिल्ली, बॉम्बे, मध्य प्रदेश, कलकत्ता, इलाहाबाद और सिक्किम हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इससे कन्फ्यूजन पैदा हो सकता है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को इस मुद्दे पर नेशनल प्लान बताने के लिए कहा और कहा कि वो इस बारे में हाईकोर्ट्स को भी बताएं।

बता दें कि देश में भयावह हो चुके कोरोना संकट और इससे बने हालात पर देश के अलग-अलग हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, जिसमें इन हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई करते हुए कई सख्त निर्देश दिए हैं। महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की कमी पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने सोमवार को केंद्र की जमकर खिंचाई की। कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र में देश के 40% कोरोना मरीज हैं तो उन्हें रेमडेसिविर भी उसी हिसाब से दिए जाने चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जिलों को मनमाने तरीके से रेमडेसिविर का बंटवारा किया जा रहा है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के वक्त यह भी कहा कि वह इस 'दुष्ट और बुरे' समाज का हिस्सा होने पर शर्मिंदा है।


वहीं उत्तर प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की पीठ ने 19 अप्रैल को सुनवाई करते हुए प्रदेश के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित पांच शहर प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर और गोरखपुर में हालात को भयावह बताते हुए 26 अप्रैल तक लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इसे मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।

इसी तरह मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में कोरोना संक्रमितों के इलाज में सामने आ रही घोर लापरवाही पर कोर्ट और राज्य सरकार को सख्त आदेश जारी करते हुए 19 बिंदुओं की एक गाइडलाइन जारी की है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हम मूकदर्शक बने रहकर यह सब नहीं देख सकते। सरकार कोरोना के गंभीर मरीजों को एक घंटे में अस्पताल में ही रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए। केंद्र सरकार रेमडेसिविर का उत्पादन बढ़ाए और अगर जरूरत पड़े तो आयात करे।

राजधानी दिल्ली में कोरोना संकट से पैदा हुए भयावह हालात सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई। ऑक्सीजन की कमी को लेकर दायर याचिका पर कोर्ट ने केंद्र को इंडस्ट्रीज की ऑक्सीजन सप्लाई फौरन रोकने का आदेश देते हुए कहा कि ऑक्सीजन पर पहला हक मरीजों का है। कोर्ट ने कहा कि मरीजों के लिए अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करना केंद्र की जिम्मेदारी है। कोर्ट ने केंद्र को कहा कि आप भीख मांगिए, उधार लीजिए या चुराइए, लेकिन ऑक्सीजन उपलबेध कराइए, हम मरीजों को मरते हुए नहीं देख सकते।

इसी तरह कोरोना महामारी के बीच बंगाल में हो रहे चुनाव में कोविड नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियों पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए कहा कि केवल गाइडलाइंस जारी करने से वह अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते। कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनावी सभाओं, रैलियों कोविड-19 के नियमों के पालन को सख्ती से सुनिश्चित कराने को कहा।

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