पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों से देश की जनता परेशान, केंद्र ने संसद में बताया- तेल पर टैक्स वसूल कर क्या कर रही सरकार?

सरकार ने संसद में बताया कि तेल विपणन कंपनी 40 रुपये के पेट्रोलियम उत्पाद पर मात्र चार रुपये कमाती हैं। उसके ऊपर केंद्र सरकार 32 रुपये (पेट्रोल पर 32.90 रुपये और डीजल पर 31.80 रुपये) का उत्पाद शुल्क लगाती है। इसके अलावा राज्य सरकारें 39 प्रतिशत तक वैट लगाती हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कोरोना महामारी के बीच तेल की बढ़ी कीमतों से देश की जनता परेशान है। लोग सरकार से तेल पर घटाने की मांग कर रहे हैं। वहीं केंद्र सरकार ने इस पर संसद में जवाब दिया है। पेट्रोल-डीजल की ऊंची कीमतों के बारे में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को कहा कि इन पर लगाए गए केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा उपकरों के पैसों से सरकार नागरिकों को मुफ्त में कोविड-19 का टीका और गरीबों को नि:शुल्क राशन दे रही है।

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में श्री पुरी ने कहा, “पेट्रोल-डीजल के दाम वैश्विक बाजार के हिसाब से तय होते हैं। केंद्र सरकार इन पर 32 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूलती है। इससे प्राप्त पैसे से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में 80 करोड़ को लोगों को मुफ्त खाना (राशन) और 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त टीका दिया जा रहा है। प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2014 से अब तक 30 से 70 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है जिससे किसान लाभांवित हुए हैं। पीएम किसान सम्मान निधि योजना से 10 करोड़ किसान परिवार लाभांवित हुये हैं और उन्हें अब तक 1.35 लाख करोड़ रुपये की सहायता दी जा चुकी है। उज्ज्वला योजना के लिए यह पैसा काम आ रहा है।”


उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 26 जून 2010 को पेट्रोल की कीमतों का विनियमन किया था जबकि डीजल की कीमतों का विनियमन 19 अक्टूबर 2014 को किया गया था। उसके बाद से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत वैश्विक बाजार में कीमतों के आधार पर तय होती है। आज की तारीख में 85 प्रतिशत पेट्रोलियम का आयात किया जाता है। वैश्विक बाजार में दाम उत्पादक और निर्यातक देश तय करते हैं।

मंत्री पुरी ने बताया कि तेल विपणन कंपनी 40 रुपये के पेट्रोलियम उत्पाद पर मात्र चार रुपये कमाती हैं। उसके ऊपर केंद्र सरकार 32 रुपये (पेट्रोल पर 32.90 रुपये और डीजल पर 31.80 रुपये) का उत्पाद शुल्क लगाती है। इसके अलावा राज्य सरकारें 39 प्रतिशत तक वैट लगाती हैं।

पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में शामिल किये जाने के बारे में उन्होंने कहा कि यह जीएसटी परिषद् को तय करना है।

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