मोहनलाल को दादा साहेब फाल्के और शाहरुख, रानी, मैसी को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया

सादगी भरे समारोह में जब रानी और शाहरुख अपने पुरस्कार ग्रहण करने के लिए आगे बढ़े तो तालियों से समारोह स्थल गूंज उठा। पांच दशकों के उल्लेखनीय करियर और 360 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके मोहनलाल का उपस्थित लोगों ने अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर अभिवादन किया।

मोहनलाल को दादा साहेब फाल्के और शाहरुख, रानी, मैसी को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया
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नवजीवन डेस्क

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को एक समारोह में मलयालम अभिनेता मोहनलाल को दादा साहब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया। वहीं राष्ट्रपति ने शाहरुख खान, विक्रांत मैसी और रानी मुखर्जी को अभिनय के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2023 के राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा अगस्त में की गई थी।

विज्ञान भवन में, 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार ‘‘द केरला स्टोरी’’ के लिए सुदीप्तो सेन को प्रदान किया गया। फिल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा को ‘‘ट्वेल्थ फेल’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। करण जौहर और अपूर्व मेहरा को ‘‘रॉकी ​​और रानी की कहानी’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय मनोरंजन फिल्म का पुरस्कार प्रदान किया गया।

शाहरुख खान को ‘‘जवान’’ में उनकी भूमिका के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला, जिसे उन्होंने ‘‘ट्वेल्थ फेल’’ के (अभिनेता) विक्रांत के साथ साझा किया। वहीं, रानी मुखर्जी को ‘‘मिसेज चटर्जी वर्सेस नॉर्वे’’ के लिए यह पुरस्कार मिला। इन तीनों के लिए यह पहला राष्ट्रीय पुरस्कार है। पारंपरिक रूप से सादगी भरे समारोह में जब रानी और शाहरुख अपने पुरस्कार ग्रहण करने के लिए आगे बढ़े तो तालियों से समारोह स्थल गूंज उठा।

पांच दशकों के उल्लेखनीय करियर और 360 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके मोहनलाल का उपस्थित लोगों ने अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर अभिवादन किया। राष्ट्रपति ने पुरस्कार समारोह के बाद अपने संबोधन में कहा, ‘‘मुझे पता चला कि जब दादा साहब फाल्के पुरस्कार के लिए मोहनलाल के नाम की घोषणा हुई, तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। इससे पता चलता है कि उन्होंने अनगिनत लोगों के दिलों में अपने लिए जगह बनाई है।’’


मुर्मू ने कहा, ‘‘उन्होंने (मोहनलाल ने) कोमल से कोमल और कठोर से कठोर भावनाओं को सहजता से प्रस्तुत किया है... मुझे यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि उन्होंने महाभारत के कर्ण पर आधारित एक लंबे संस्कृत नाटक में कर्ण की भूमिका निभाई है। एक तरफ 'वानप्रस्थम' जैसी गंभीर फिल्म है और दूसरी तरफ कई लोकप्रिय फिल्में भी हैं।’’

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में सभी विजेताओं को बधाई दी और भारतीय सिनेमा की विविधता, भारतीय संवेदनशीलता और महिला-केंद्रित फिल्मों सहित विभिन्न मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, ‘‘अब हम सिनेमा में कई जगहों पर महिलाओं को अभिनेताओं और निर्माताओं के रूप में देखते हैं। मैंने माताओं, सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ एकजुट होती महिलाओं और अपनी आवाज उठाने वाली मजबूत महिलाओं के बारे में फिल्में देखी हैं। मैं बहनों और बेटियों की ओर से इन फिल्म निर्माताओं को सलाम करती हूं।’’

उन्होंने कहा कि कृपया अपनी सफलता के लिए अपनी-अपनी टीम को धन्यवाद दें। राष्ट्रपति ने कहा कि जिस तरह भारतीय साहित्य विभिन्न भारतीय भाषाओं में रचा जाता है, उसी तरह भारतीय सिनेमा भी अनेक भाषाओं, बोलियों, क्षेत्रों और स्थानीय परिवेशों में आगे बढ़ रहा है।

प्रतिष्ठित दादासाहेब फाल्के पुरस्कार विजेता मोहनलाल (65) ही सिने जगत से एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने इस अवसर पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि वह इस बात से बेहद खुश हैं कि वह सबसे कम उम्र के पुरस्कार प्राप्तकर्ता हैं और अपने राज्य से यह पुरस्कार पाने वाले ‘‘केवल दूसरे व्यक्ति’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह क्षण अकेले मेरा नहीं है। यह पूरे मलयालम सिनेमा का है। मैं इस पुरस्कार को हमारे उद्योग, विरासत, रचनात्मकता और लचीलेपन के लिए सामूहिक सम्मान के रूप में देखता हूं।’’

मोहनलाल को ‘‘इरुवर’’, ‘‘वानप्रस्थम’’, ‘‘पुलिमुरुगन’’ और ‘‘दृश्यम’’ जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है। मोहनलाल ने कहा कि सिनेमा के क्षेत्र में देश का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त करना उनके लिए ‘‘करिश्माई और पवित्र’’ है, जिसे उन्होंने मलयालम सिनेमा और इसके दर्शकों को समर्पित किया।


पांच बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता ने कहा, ‘‘जब मुझे पहली बार यह समाचार मिला, तो मैं न केवल इस सम्मान से, बल्कि सिनेमाई परंपरा की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए चुने जाने के सौभाग्य से भी अभिभूत था। मेरा मानना ​​है कि यह भाग्य का ही साथ है जो मुझे उन सभी लोगों की ओर से यह पुरस्कार स्वीकार करने का अवसर दे रहा है जिन्होंने अपनी दृष्टि और कलात्मकता से मलयालम सिनेमा को आकार दिया है।’’

मुख्य श्रेणियों में हिंदी सिनेमा ने पुरस्कारों में अपना जलवा कायम रखा। मेघना गुलजार और रॉनी स्क्रूवाला को फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक ‘‘सैम बहादुर’’ के लिए राष्ट्रीय, सामाजिक और पर्यावरणीय मूल्यों को बढ़ावा देने वाली सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला।

वैभवी मर्चेंट ने ‘‘रॉकी ​​और रानी की प्रेम कहानी’’ के गाने ‘‘ढिंढोरा बाजे’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफी का पुरस्कार जीता। शिल्पा राव को ‘‘जवान’’ के गाने ‘‘चलेया’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का पुरस्कार दिया गया। सान्या मल्होत्रा ​​अभिनीत ‘‘कटहल: ए जैकफ्रूट मिस्ट्री’’ को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फिल्म का पुरस्कार दिया गया।

क्षेत्रीय फिल्मों को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता और अभिनेत्री जैसी श्रेणियों और तकनीकी क्षेत्रों में पुरस्कार प्राप्त हुए। सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का पुरस्कार मलयालम फिल्म ‘‘पूकलम’’ के लिए विजयराघवन और तमिल फिल्म ‘‘पार्किंग’’ के लिए मुथुपेट्टई सोमू भास्कर को मिला। सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का पुरस्कार मलयालम फिल्म ‘‘उलोझोक्कु’’ के लिए उर्वशी और गुजराती फिल्म ‘‘वश’’ के लिए जानकी बोडीवाला को मिला। दोनों फिल्मों ने अपनी-अपनी भाषा श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता।

आशीष बेंडे को मराठी फिल्म ‘‘आत्मापम्फलेट’’ के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में पहली फिल्म का पुरस्कार मिला। एवीजीसी (एनीमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक) में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार तेलुगु फिल्म ‘‘हनु-मान’’ को मिला, जिसने सर्वश्रेष्ठ एक्शन निर्देशन का पुरस्कार भी जीता।


वर्ष 2023 की एक और ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘‘एनिमल’’ ने सर्वश्रेष्ठ साउंड डिजाइन, सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक (पृष्ठभूमि संगीत) और री-रिकॉर्डिंग मिक्सर के लिए विशेष उल्लेख के पुरस्कार जीते।गानों के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक का पुरस्कार तमिल फिल्म ‘‘वाथी’’ के वास्ते जी वी प्रकाश को दिया गया। कसारला श्याम को तेलुगु फिल्म ‘‘बालागम’’ के गीत 'ऊरु पल्लेतुरु' के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार चुना गया।

दीपक किंगरानी को मनोज बाजपेयी की फिल्म 'सिर्फ एक बंदा काफी है' के लिए सर्वश्रेष्ठ संवाद लेखक चुना गया। भाषाई श्रेणियों में- रोंगतापु 1982 (असमिया), डीप फ्रिज (बांग्ला), पार्किंग (तमिल), कंदीलु (कन्नड़), शामची आई (मराठी), पुस्करा (उड़िया), गॉडडे गोडडे चा (पंजाबी) और भगवंत केसरी (तेलुगु) को पुरस्कृत किया गया।

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