अयोध्या में बंदरों ने कई लोगों को काटा, लॉकडाउन में भूख से बेहाल हो कर रहे हमला

अयोध्या में करीब 7,000 से 8,000 बंदर हैं। आम दिनों में यहां आने वाले पर्यटक बंदरों को केले, ब्रेड, पूरियां और अन्य चीजें खिलाते हैं। लेकिन लॉकडाउन से यहां पर्यटकों की आमद बंद है। स्थानीय लोग भी बाहर नहीं निकल रहे। ऐसे में भूख से बंदर आक्रामक हो रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बंदर इन दिनों भूख से बेहाल और काफी गुस्से में हैं। देशभर में लगे लॉकडाउन के कारण पवित्र शहर में पर्यटकों की आवाजाही बंद हो गई है, जिसके कारण बंदरों को खिलाने के लिए कोई नहीं है। पिछले 24 घंटों में, बंदरों ने 39 लोगों पर हमला किया और काट लिया। अयोध्या के श्री राम अस्पताल के डॉक्टर अनिल कुमार ने बताया कि 39 लोग बंदरों के काटने के बाद अस्पताल आए हैं।

अयोध्या के निवासी रामलाल मिश्रा के अनुसार, अयोध्या में करीब 7,000 से 8,000 बंदर हैं। उन्होंने कहा, "आम दिनों में हजारों पर्यटक अयोध्या आते हैं और वे बंदरों को केले, ब्रेड, पूरियां और अन्य चीजें खिलाते हैं। अयोध्या के बंदर कभी वृंदावन के बंदरों की तरह आक्रामक नहीं हुए थे, हालांकि वे अपना भोजन यहां से गुजर रहे लोगों के बैग और धूप के चश्मे छीनकर लेना सुनिश्चित करते हैं और भोजन मिल जाने पर ही इन चीजों को लौटा देते हैं। लेकिन लॉकडाउन के बाद यहां पर्यटकों की आमद बंद हो गई है। यहां तक कि स्थानीय लोग भी बाहर नहीं निकल रहे, क्योंकि सभी मंदिर बंद हैं। ऐसे में भूख के कारण बंदर आक्रामक हो रहे हैं।"

बंदरों द्वारा काटे गए पीड़ितों में से एक, राजू ने कहा, "मैं अपनी छत पर सूखने के लिए कपड़े डाल रहा था, तभी बंदरों का एक झुंड आया और इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, वे मुझ पर झपट पड़े और उनमें से एक ने मुझे कंधे पर काट लिया। मैंने पहले कभी भी बंदरों को इस तरह का व्यवहार करते नहीं देखा।"

इस बीच यहां स्थानीय लोगों ने भी बंदरों को भोजन देना बंद कर रखा है, क्योंकि वे भी लॉकडाउन के बीच हो रही परेशानी का सामना कर रहे हैं। अपने दो बेटों और उनके परिवार के साथ रह रहीं बुजुर्ग रमा गुप्ता ने कहा, "मैं बंदरों के लिए अपनी छत पर चना और रोटी रखती थी, लेकिन अब लॉकडाउन को लेकर अनिश्चितता की वजह से मैं अपने परिवार के लिए सभी खाद्यान्न बचा रही हूं। मेरे बेटे की स्टेशनरी की दुकान है, जो 22 मार्च से बंद है, इसलिए आमदनी भी रुक गई है। ऐसी स्थिति में, अधिकांश लोग बंदरों को खिलाने में असमर्थ हैं।"

इसके अलावा क्षेत्र के सभी रेस्तरां और भोजनालयों के पूरी तरह से बंद होने के कारण भी बंदरों को बचा-खुचा भोजन भी नहीं मिल पा रहा है। हालांकि स्थानीय प्रशासन का दावा है कि वह बंदरों के लिए रोटी और चना उपलब्ध करा रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि वह 'अपर्याप्त' है।

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