कोरोना के घातक और तेजी से संक्रमण करने वाले वेरिएंट से पैदा हो सकता है तीसरी लहर में बड़ा संकट, 40 करोड़ लोगों पर खतरा

चिंता का दूसरा कारण वायरस के म्यूटेट होने की प्रकृति है। यदि नए अधिक संक्रामक और घातक रूप सामने आते हैं, तो देश जितना अनुमान लगा पा रहा है, संकट उससे कहीं अधिक होगा। अनुमान है कि तीसरी लहर में संक्रमण के दैनिक मामले बढ़कर लगभग एक लाख हो सकते हैं।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

भारत कोरोना की तीसरी संभावित ऐसी लहर से केवल तीन से छह सप्ताह दूर हो सकता है जिससे देश पर बड़े पैमाने पर असर पड़ेगा। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने चेतावनी दी है। हालांकि यह चेतावनी तीसरी लहर से संबंधित नहीं है, बल्कि कोरना केसों में आ रही गिरावट और इससे होने वाले दूसरे संक्रमण को लेकर जो कि मॉनसून के दौर में समस्या का कारण बन सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ऐसी चेतावनी के 24 घंटों के अंदर ही देश में कोरोना केसों की संख्या में उछाला और इनकी प्रति संख्या 29,689 से बढ़कर 43,654 पहुंच गई।

पूरे देश के साथ-साथ क्षेत्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर नए मामलों में इस उच्च स्तर के उतार-चढ़ाव के अलावा कई अन्य कारणों से भी चिंता का कारण स्पष्ट है। क्योंकि हमारी केंद्र और राज्य सरकारें फिलहाल तीसरी लहर को संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं। अनुमानों के मुताबिक तीसरी लहर अगस्त के तीसरे सप्ताह में हमला कर सकती है और सितंबर में यह चरम पर पहुंच जाएगी।

चिंता के दूसरे कारण हैं कि देश के ज्यादातर हिस्सों और लगभग सभी हिस्सों को खोल दिया गया है और कोविड नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। साथ ही आम लोगों की लापरवाही और सरकारी स्तर पर वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार से हालात बेकाबू होने का अंदेशा है। सार्वजनिक स्थानों पर बड़ी संख्या में और अक्सर बिना मास्क जैसे न्यूनतम स्तर की सुरक्षा के भी नजर आ रहे हैं।

मंत्रालय की चेतावनी को इस संदर्भ में देखना चाहिए कि भले ही अधिकारिक तौर पर हमारी रिकवरी दर 97 फीसदी से ज्यादा हो गई हो, लेकिन खतरा अभी टला नहीं है। हमें इससे संतुष्ट नहीं हो जाना चाहिए क्योंकि अभी भी 2.61 फीसदी संक्रमण दर बनी हुई है जो कि एक खतरा है। चूंकि हमें पता है कि वायरस के कई वेरिएंट आ चुके हैं और डेल्टा जैसा वेरिएंट तो पहले कोरोना संक्रमित होकर ठीक हो चुके लोगों पर हमला कर रहा है और वैक्सीनेशन को भी मात दे रहा है। ऐसे में लापरवाहियों से खतरा और बढ़ सकता है।


चिंता का दूसरा कारण वायरस के उत्परिवर्तित यानी म्यूटेट होने की प्रकृति है। यदि नए अधिक संक्रामक और घातक रूप सामने आते हैं, तो देश जितना अनुमान लगा पा रहा है, संकट उससे कहीं अधिक होगा। अनुमानित तीसरी लहर के बारे में एक आकलन यह है कि संक्रमण के दैनिक मामले बढ़कर लगभग एक लाख हो सकते हैं। चूंकि विशेषज्ञ ऐसा कह रहे हैं, हम उनका खंडन नहीं कर सकते, भले ही आज हमारे पास 46000 से अधिक नए संक्रमण हैं, हालांकि हमारे पास संदेह करने का हर कारण है कि ये आकलन रूढ़िवादी हो सकते हैं।

यदि तीसरी लहर आती है, तो दैनिक संक्रमण विशेषज्ञों के आकलन से काफी अधिक हो सकते हैं। यह मुख्य रूप से इसलिए क्योंकि भारत में अभी भी 40 करोड़ से अधिक ऐसे लोग हैं जिनके संक्रमित होने का खतरा सर्वाधिक है। यह आंकड़ा देश में किए गए सीरो-सर्वेक्षण द्वारा दिए गए आंकड़े को घटाने के बाद सामने आया है, जिसमें परीक्षण किए गए व्यक्तियों के रक्त में एंटी-बॉडी की उपस्थिति पाई गई, जो कोरोना वायरस से उनकी प्रतिरक्षा को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, हमारे पास 44.61 करोड़ लोग हैं जिन्हें एक वैक्सीन की कम से कम एक खुराक दी गई है। हालांकि यह कुछ राहत की बात है, लेकिन लगातार उच्च स्तर का खतरा चिंता का एक गंभीर कारण है। रिकवरी होने वालों की संख्या अभी भी ठीक होने वालों की संख्या से कम है और मौतों के आंकड़े भी अधिक हैं। इसका अर्थ है कि भारत में अभी भी महामारी को संभालने और पूरे तंत्र की क्षमता सीमित है जो कि समस्या की बात है।

फिलहाल देश मेंकरीब 4 लाख कोरोना मरीज हैं और इसमें 1.27 फीसदी ऐक्टिव केस हैं। साप्ताहिक पॉजिटिवी रेट 5 फीसदी से नीचे हैं। टेस्टिंग क्षमताएं बढ़ाई गई हैं, लेकिन हमें नहीं भूलना चाहिए कि देश की आबादी करीब 140 करोड़ है। हमें कम से कम 22 जिलों में संक्रमण बढ़ने का ट्रेंड दिख रहा है जबकि 54 जिलों में पाजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा है। इसके अलावा वायरस का व्यवहार कैसा होगा, यह निश्चित नहीं है।

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