कार्पोरेट्स पर इनकम टैक्स का 50,000 करोड़ से ज्यादा बकाया, वसूली के बजाए माफ कर रहा है आयकर विभाग

छोटे टैक्सपेयर और नौकरीपेशा लोगों के वेतन से बिना देरी टीडीएस कटौती करने में आयकर विभाग बहुत तत्परता दिखाता है, लेकिन बड़े-बड़े कार्पोरेट पर बकाया हजारों करोड़ का टैक्स वसूलने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई जा रही, बल्कि उनका टैक्स बकाया माफ किया जा रहा है।

फोटो : सोशल मीडिया
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IANS

आरटीआई के तहत मिली जानकारियों से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जिनसे पता चलता है कि देश का लगभग हर आयकर कार्यालय और सर्किल या जोन सैकड़ों - हज़ारों करोड़ के टैक्स बकाए को वसूलने के बजाए, उन्हें माफ करने में लगा हुआ है। अकेले पुणे में कार्पोरेट पर इनकम टैक्स का 33 हजार करोड़ से ज्यादा का बकाया है, तो अकेले हैदराबाद ने 3300 करोड़ रुपए का टैक्स माफ कर दिया है।

मध्य प्रदेश के नीमच में रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौर ने आयकर विभाग से कार्पोरेट घरानों पर बकाया टैक्स और उसकी वसूली के बारे में जानकारी मांगी थी। इस पर आयकर विभाग के कई प्रमुख आयुक्तों ने अलग-अलग शहरों से जो जानकारी दी है, वह चौंकाने वाली है। इस बारे में सीबीडीटी के एक अधिकारी ने माना कि आईटी एक्ट में कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिनके तहत टैक्स बकाए को माफ किया जा सकता है। लेकिन इस अधिकारी ने कहा कि, “टैक्स बकाए की माफी के बाद भी करदाता की देनदारी खत्म नहीं होती है। हमें जैसे ही पता चलता है कि देनदार की आर्थिक स्थिति बेहतर हो गई है, तो हम तुरंत ही बकाया वसूली का कार्यवाही शुरु कर देते हैं।”

इस अधिकारी का कहना है कि टैक्स बकाया माफ करने की प्रक्रिया में समय लगता है और इसके लिए कई स्तरों से मंजूरी जरूरी होती है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कितने बकाए को माफ किया जाना है।

आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौर बताते हैं कि आयकर विभाग के कम से कम दो मुख्यालयों , हैदराबाद और पुणे – के दायरे में आने वाले कार्पोरेट पर भारी टैक्स बकाया है और इन्हीं कार्यालयों से सबसे ज्यादा टैक्स माफी की गई है।

पुणे के डिप्टी इनकम टैक्स कमिश्नर हर्षित बरी का कहना है कि उनके कार्यालय से कुल बकाया करीब 33,157.97 करोड़ रुपये है। इनमें से करीब 13 लाख रुपए ही माफ किए गए हैं। लेकिन किन लोगों का बकाया टैक्स माफ किया गया है, उनके नाम किसी भी आयकर कार्यालय ने नहीं बताया है।

वहीं हैदराबाद के आयकर अधिकारी और केंद्रीय पीआईओ के श्रीनिवास राव ने जवाब दिया है कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हैदराबाद कार्यालय ने कार्पोरेट पर बकाया 3,002.20 करोड़ रुपया टैक्स माफ किया है। इसमें से 1644.78 करोड़ रुपये 2017-18 में और 1,357.42 करोड़ रुपए 2016-17 में माफ किए गए।

विशेषज्ञों का कहना है कि हैदराबाद आयकर कार्यालय के इस जवाब से साफ है कि यहां बकाया टैक्स की वसूली के लिए कोई कोशिश हो ही नहीं रही है।

इसी तरह अमृतसर आयकर कार्यालय के सिर्फ एक वार्ड में 2,369.81 करोड़ रुपए कार्पोरेट पर टैक्स बकाए के रूप में बाकी हैं। वहीं चंडीगढ़ कार्यालय में 70.93 करोड़ और एक अन्य वार्ड में 10.31 करोड़ टैक्स का बकाया है। इसके अलावा लुधियाना के सर्किल-7 में करीब 70 करोड़स वार्ड 2(1) में 5.60 करोड़ और भटिंडा में 58.34 करोड़ रुपया बकाया है।

उधर राजस्थान के आयकर कार्यालयों का भी 6,419.57 करोड़ कार्पोरेट पर बकाया है। आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि इस रकम के अलावा इसी कार्यालय को 1202 करोड़ का जुर्माना और 1618 करोड़ का ब्याज भी बकाएदारों से वसूलना है।

यही हाल तमिलनाडु और पुडुचेरी का भी है। इन दोनों कार्यालयों में 3,553.09 करोड़ रुपया बकाएदारों से वसूला जाना है। इस कार्यालय ने तो 24 टॉप बकाएदारों की सूची भी प्रकाशित की है।

छत्तीसगढ़ के आयकर कार्यालय के दस्तावेज़ भी बताते हैं कि उसके दो दफ्तरों का कार्पोरेट पर 3,432 करोड़ रूपए बकाया है। गुजरात के भी तीन कार्यालयों को आयकरदाताओं से टैक्स बकाए के 496.32 करोड़ रुपए की वसूली करनी है। जबकि सूरत के दो कार्यालयों को 147.69 करोड़ रुपए वसूलने हैं।

मुंबई के परेल के दो कार्यालयों ने सिर्फ 2.04 करोड़ रुपए बकाए की बात कही है। जबकि डीसीआईटी सेंट्रल सर्किल 2 (2) ने 716.62 करोड़ रुपये और आईटीओ वार्ड 11 (3) (3) ने 12.40 करोड़ रुपये के बकाए की बात मानी है।

मध्य प्रदेश के भोपाल आयकर कार्यालय को 20.50 करोड़, जबलपुर को 14.62 करो रुपए वसूलने हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि, "ये आंकड़े चिंता का विषय हैं। आईटी विभाग ने बकाया राशि के रूप में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के आंकड़े पेश किए हैं, जिसमें ज्यादातर की वसूली नहीं हो पा रही। पुणे और हैदराबाद ने तो 3012 करोड़ रुपए माफ भी कर दिए हैं।"

उनका कहना है कि बैंकों की तरह आयकर विबाघ भी माफी के ही मूड में दिख रहा है। आयकर विभाग उन लोगों के बकाए माफ कर रहा है जिन पर हजारों करोड़ बाकी है, लेकिन छोटे टैक्सपेयर और नौकरीपेशा लोगों लोगों के वेतन से टैक्स की कटौती लगातार जारी रहती है।

मुंबई स्थित टैक्स कंसल्टेंट और चार्टर्ड एकाउंटेंट पुनीत गुप्ता का कहना है कि टैक्स बकाया तभी माफ किया जाता है जब आयकरदाता पहुंच से दूर हो या उसका कोई अता-पता न चल रहा हो, या फिर वह दीवालिया हो चुका है, लेकिन टैक्स बकाया माफ करने का कोई प्रावधान आईटी एक्ट में नहीं है।

गुप्ता का कहना है कि, "जनरल फाइनेंशियल रूल्स, 1963 के तहत, बकाया माफ करने की मंजूरी देने का अधिकार केंद्र सरकार ने आयकर अधिकारियों को उनकी वरिष्ठता के आधार पर दिया है।"

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