एमपी के बीजेपी युवा मोर्चा ने नेहरू को बताया सत्ता का लालची, कांग्रेस ने दिया कड़ा जवाब 

भोपाल में बीजेपी युवा मोर्चा द्वारा आयोजित मेरे दीनदयाल अंतर्राष्ट्रीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में पंडित नेहरू को सत्ता का लालची बताने पर कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है।

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

23 जनवरी को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा आयोजित ‘मेरे दीनदयाल अंतर्राष्ट्रीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता’ कार्यक्रम में पूछे गए सवाल और वितरित पत्रिका में पंडित जवाहरलाल नेहरू को ‘सत्ता का लालची’ बताये जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए बीजेपी से देश की आजादी में पंडित उपाध्याय और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के योगदान का ब्यौरा मांगा है।

भोपाल सहित प्रदेशभर में भाजयुमो ने सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता के प्रश्नपत्र में ज्यादातर सवाल राज्य की बीजेपी सरकार से जुड़े हुए थे, वहीं इसी पत्रिका में एक सवाल यह भी था कि आपातकाल किसने लगाया?

इस पुस्तक में लिखा है, “दीनदयाल उपाध्याय का स्पष्ट मत था कि भारत माता को खंडित किए बिना भी भारत की आजादी प्राप्त की जा सकती है और भारत माता को परम वैभव तक पहुंचाने में हम अधिक तीव्र गति से सफल हो सकते हैं, लेकिन ‘पंडित नेहरू’ और ‘जिन्ना’ के सत्ता के लालच और अंग्रेजों की चाल में आ जाने से भारतवासियों का यह सपना पूर्ण नहीं हुआ और खंडित भारत को आजादी मिली।”

फोटो: सोशल मीडिया 
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मेरे दीनदयाल अंतर्राष्ट्रीय सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में पंडित नेहरू को सत्ता का लालची

कांग्रेस नेता अजय सिंह ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा, “बीजेपी को भी यह पता है कि पंडित नेहरू ने इस देश के लिए क्या किया, आजादी की लड़ाई में कई बार वे जेल भी गए। बीजेपी जानबूझकर आजादी के सेनानियों के नाम मिटाने पर जुटी है।”

उन्होंने आगे कहा, “आजादी के आंदोलन में कांग्रेस के नेताओं के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन बीजेपी यह भी जानकारी दे कि पंडित उपाध्याय ने आजादी के आंदोलन में क्या किया, कोई उनका इतिहास हो तो उसे सामने लाए।”

10 रुपए की कीमत वाली इस किताब को प्रदेश में 26 लाख स्कूली छात्रों को बेचा गया। इन छात्रों को पार्टी के विचारक और चिंतक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन पर आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए ये किताब बेची गई थी।

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