MP उपचुनाव: पुलिस की लाठी और कार्यकर्ताओं के बीच दीवार बनीं प्रियंका का जादू, कांग्रेस के पक्ष में बहने लगी हवा

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के हाथरस कांड को लेकर उठाए गए कदम से मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में हवा बहने लगी है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इससे पार्टी को कांग्रेस में काफी फायदा मिलेगा।

फोटो : @INCIndia
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राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यूपी पुलिस की लाठी से कांग्रेस कार्यकर्ता को बचातीं प्रियंका गांधी की तस्वीर लोगों के दिमाग में अंकित हो गई है। भोपाल के एक पत्रकार ने कहा कि, “गांधी परिवार का हाथरस के दलित परिवार से मिलने का संघर्ष मध्य प्रदेश के दलितों में चर्चा का विषय बना हुआ है। नवंबर में होने वाले विधानसभा उपचुनाव में इसका अच्छा खासा असर देखने को मिलेगा, खासतौर से ग्वालियर-चंबल इलाकों में, क्योंकि यहां दलितों की अच्छी खासी आबादी है।”

रोचक है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र को कांग्रेस के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ माना जाता रहा है। सिंधिया इसी साल मार्च में बीजेपी में शामिल हुए हैं। मध्य प्रदेश की जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल इलाके की हैं। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, “इस इलाके में लोगों की वफादारी काफी मायने रखती है। इस लाके में किंवदंतियां हैं कि जो लोग किसी अच्छे काम के लिए वफादार रहते हैं उन्हें यश मिलता है और जो लोग इससे धोखा देते हैं उन्हें गद्दार माना जाता है।”

मध्य प्रदेश की राजनीति पर गहरी नजर रखने वाले एक राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि, “इन इलाकों की नुक्कड़ सभाओं में आजादी से पहले सिंधिया परिवार की अंग्रेजों के साथ नजदीकियां और गांधी परिवार का ब्रिटिश हुकूमत और उनके उत्पीड़िन के खिलाफ संघर्ष चर्चा का विषय है... यह निश्चित रूप से देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए वोट जुटाने में मदद करेगा।

राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि जिस तरह प्रियंका गांधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्तर प्रदेश पुलिस के लाठीचार्ज से बचाया और किस तरह सिंधिया ने सत्ता के लिए गांधी परिवार को धोखा दिया, उससे साफ हो गया है कि गांधी परिवार को सत्ता का लालच नहीं है। वे कहते हैं कि यूं भी दलित मानते हैं कि सिंधिया ने बीजेपी की मदद से कांग्रेस सरकार गिराई, और बीजेपी को दलित विरोधी पार्टी माना जाता है।


गौरतलब है कि कांग्रेस ने इस इलाके में अनुसूचित जाति समुदाय से कई उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, और हाथरस की घटना में गांधी परिवार के कदम से पार्टी और दलितों के बीच एक गहरा रिश्ता बना है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की की कथित तौर पर सामूहिक दुषकर्म के बाद हत्या कर दी गई थी।

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में कांग्रेस के मीडिया इंचार्ज के के मिश्रा कहते हैं कि इस उपचुनाव के दौरान इलाके में बीजेपी के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर है। उन्होंने कहा कि, “लोगों ने कांग्रेस को वोट देकर जिताया था लेकिन सिंधिया ने जनादेश का अपमान करते हुए बीजेपी का दामन थाम लिया। हालत यह है कि वे बिना कड़ी सुरक्षा के इलाके में घूम तक नहीं सकते हैं।” मिश्रा कहते हैं कि सिंधिया के खिलाफ लोगों में इतना गुस्सा है कि अगर वे अकेले घूमते दिख जाएं तो उनकी पिटाई हो जाने की आशंका है।

मिश्रा इलाके में कांग्रेस के प्रचार की बागडोर संभाले हुए हैं। उनका कहना है कि 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस को 20-22 सीटें तक मिल सकती हैं। उन्होंने कहा कि, “पार्टी सरकार में वापसी के लिए दृढ़संकल्प है और कमलनाथ के नेतृत्व में विकासवादी छवि के साथ जबरदस्त टक्कर दे रही है।” उनका कहना है कि बिना किसी तैयारी के किए गए लॉकडाउन से लोगों के जीवन पर जबरदस्त असर पड़ा है। इस दौरान हुई बेरोजगारी और काम-धंधे चौपट होने के साथ ही सिंधिया की बगावत से लोग बीजेपी से नाराज हैं और कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा।


वहीं, मंदसौर के युवा कांग्रेस नेता सोमिल नाहटा कहते हैं कि नोएडा में हुए लाठीचार्ज के दौरान प्रियंका गांधी ने जो दिलेरी दिखाई उससे कांग्रेसियों में जबरदस्त उत्साह है। नाहटा नीमच-मंदसौर इलाके की सौसारा सीट के उपचुनाव की बागडोर संभाले हुए हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि कमलनाथ ने खुद को आम लोगों के नेता के तौर पर स्थापित किया है और उन्होंने किसी और के मुकाबले हकीकत का बेहतर अनुमान है। नाहटा ने कहा कि, “लोग उन्हें एक काबिल प्रशासक के रूप में देखते हैं जो विकास के मुद्दे पर खरा उतरता है, खासतौर से कोरोना महामारी के दौरान कमलनाथ की लोकप्रियता बढ़ी है क्योंकि इस दौरान शिवराज सरकार बुरी तरह नाकाम साबित हुई है।”

मध्य प्रदेश की 230 सीटों वाली विधानसभा में फिलहाल कांग्रेस के 88 विधायक हैं। उसे पूर्ण बहुमत के लिए उपचुनाव वाली सभी 28 सीटें जीतने की जरूरत होगी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि भले ही कांग्रेस सभी 28 सीटें न जीत पाए, फिर भी वह अन्य की मदद से सरकार बना सकती है। विधानसभा में इस समय 4 निर्दलीय विधायकों के अलावा बेसपी के 2 और समाजवादी पार्टी का एक विधायक है।

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